करोड़ों के आशियानों में कितने सुरक्षित लोग? 5 साल तक ही जिम्मेदारी ले रहा आवास विकास परिषद
वसुंधरा सेक्टर-17 के ग्रीन व्यू अपार्टमेंट में तीसरे फ्लोर से छत की ओर जा रहीं सीढ़ियां रविवार सुबह 430 बजे भरभरा कर गिर गईं। घटना के बाद से पिता-पुत्र व एक पालतू कुत्ता फ्लैट में ही फंस गए जिन्हें करीब दस घंटे बाद बाहर निकाला गया। वहीं आवास विकास ने इसे लोगों की लापरवाही बताते हुए अपनी जिम्मेदारी से हाथ खड़े कर दिए हैं।

राहुल कुमार, साहिबाबाद। निजी सोसायटी तो दूर की बात सरकारी भवनों में भी लोग सुरक्षित नहीं है। आवास विकास परिषद (आविप) की सोसायटियों के करोड़ों के फ्लैटों में भी लोग असुरक्षित हैं। केवल पांच वर्ष तक ही आवास विकास परिषद सोसायटियों के देखरेख की जिम्मेदारी लेता है। इसके बाद मेंटेनेंस के अभाव में सोसायटी जर्जर हो जाती हैं।
आरडब्ल्यूए व समितियों को भी लोग इतना शुल्क नहीं देते कि उससे बिल्डिंग का भी मेंटेनेंस हो सके। ग्रीन व्यू अपार्टमेंट में सीढ़ियां गिरने का सबसे बड़ा कारण इसको भी माना जा रहा है। वहीं, समिति के एक पदाधिकारी का कहना है कि जिस बिल्डिंग की आयु कम से कम 60 से 75 वर्ष होती है, 30 वर्ष में ही सीढ़ियां गिरना स्ट्रक्चर पर सवाल खड़े करता है।
कब बनी थी सोसायटी?
आवास विकास परिषद ने वर्ष 1994-95 में वसुंधरा को विकसित करना शुरू किया था। शुरुआत में वार्तालोक, आदर्श पार्क, डॉक्टर पार्क, रेल विहार समेत कई सोसायटी बनाई गईं। वर्ष 1998-99 से यहां आवास विकास परिषद ने लोगों को फ्लैटों में पजेशन देना शुरू कर दिया था।
वर्तमान में यहां आवास विकास द्वारा बसाई गईं करीब 20 सोसायटी हैं, जिनमें से आठ सोसायटियों को समितियों व 12 को आविप ने बसाया है। जो सोसायटी आवास विकास ने बसाई हैं उनकी जिम्मेदारी वह केवल पांच वर्ष तक उठाया है।
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि यह नियम पहले केवल दो वर्ष तक के लिए था। करीब तीन से चार वर्ष पहले इसमें शासन स्तर से बदलाव किए गए और इस अवधि को पांच वर्ष कर दिया गया, लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यही है कि इतने वर्षों में किसी बिल्डिंग में कोई समस्या नहीं आती है। 10 से 15 वर्ष बाद ही बिल्डिंग की गुणवत्ता का पता चल पाता है।
300 से 400 तक लिया जा रहा मेंटेनेंस शुल्क
आवास विकास परिषद द्वारा विकसित सोसायटियों में आरडब्ल्यूए व समितियां मेंटेनेंस देख रही हैं। इन सोसायटी में मेंटेनेंस शुल्क बहुत कम लिया जा रहा है। कहीं 300 से 400 रुपये तो कहीं 700 से 1200 रुपये लिया जा रहा है। आरडब्ल्यूए व समिति पदाधिकारियों का कहना है कि जो शुल्क मिलता है उससे रोजमर्रा वाली सुविधाओं का मेंटेनेंस ही किया जा सकता है। बिल्डिंग की मरम्मत कराना संभव नहीं है।
आविप की सोसायटी में करीब 70 से 80 हजार आबादी रह रही
आविप की सोसायटी में वर्तमान में करीब 70 से 80 हजार की आबादी रह रही है। इनमें से कई सोसायटी में रखरखाव की कमी के कारण लोगों में असुरक्षा का माहौल बना रहता है। वर्षा के दिनों में बालकनी व छज्जों से प्लास्टर टूट कर गिरता रहता है।
सहकारी आवास समिति लिमिटेड के सचिव का ये है कहना
समिति के सचिव प्रेमनाथ पांडेय का कहना है कि ज्यादातर सोसायटी की समितियों को मेंटेनेंस के नाम पर लोग बहुत कम शुल्क देते हैं। लोग जल्दी से बढ़ाने भी नहीं देते हैं। जो मिलता है उसमें प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, साफ-सफाई, सिक्योरिटी आदि कार्य ही हो पाते हैं। इसमें लोगों की जिम्मेदारी है कि वह मिलकर सोसायटी में अपने-अपने फ्लोर या टावर का मेंटेनेंस कराएं, जिससे कोई हादसा न हो।
कोई भी भवन रेनफोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट (आरसीसी) का स्ट्रक्चर होता है। इसकी उम्र 60 से 75 वर्ष की होती है। उससे पहले अगर किसी भवन का कोई हिस्सा गिरता है तो ये विभाग की लापरवाही है। -आरके सिंह, अध्यक्ष, वार्तालोक सहकारी आवास समिति लिमिटेड
सोसायटी कई जगह से जर्जर हो रही है। वर्षा में कई बार प्लास्टर भी टूट कर गिरा है। इससे डर लगा रहता है कि कोई बड़ा हादसा न हो जाए।
-रोहित कश्यप, निवासी, शिखर एन्क्लेव, वसुंधरा सेक्टर-15

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