Yamuna Flood: गाजियाबाद में यमुना किनारे बसे गांवों में बाढ़ का खतरा, लोगों को याद आया 47 साल पहले का मंजर
लोनी में यमुना किनारे बसे गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। पिछले साल जुलाई में आई बाढ़ से लोगों को भारी नुकसान हुआ था उनके घर डूब गए थे और सामान बर्बाद हो गया था। ट्रोनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र भी ठप हो गया था जिससे कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया था। इस साल भी यमुना का जलस्तर बढ़ने से लोगों में दहशत है।
राहुल कुमार, साहिबाबाद। 11 जुलाई 2023 को यमुना का पानी खेती वाले क्षेत्रों से होता हुआ आबादी में घुस गया। देखते ही देखते यमुना किनारे खादर में बसे गांवों के घरों में चार से पांच फीट पानी भर गया। चारों ओर पानी ही पानी दिख रहा था।
स्थिति इतनी भयावह हो गई कि घरों में ताले लगाकर पलायन कर गए और रिश्तेदारों के यहां रहने लगे थे। कुछ लोग घरों में फंसे रहे थे। यही स्थिति 47 वर्ष पहले हुई थी। अब आंखों के सामने फिर से बाढ़ का मंजर आ रहा है। ये कहना है कि यमुना किनारे बसे आसपास के गांवों के लोगों का।
बागपत-लोनी सीमा में पानी के बहाव से टूटे पुश्ते ने लोनी के खादर क्षेत्रों में बाढ़ के हालत बना दिए थे। पानी का बहाव इतना तेज है कि पुश्ता टूटने के 24 घंटे के अंदर ही खादर के मीरपुर हिंदू, सुंगरपुर, बदरपुर, अलीपुर, पचायरा, नवादा, सुभानपुर गांव, ट्रानिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में चार से पांच फीट पानी भर गया था। इसके बाद कुछ ग्रामीण पानी से होकर अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थान चले गए थे।
कुछ ग्रामीणों ने अपने घरों के सामान को ऊपर मंजिल पर रख लिया। वहीं, कुछ लोग घरों में फंसे रहे थे। पानी में फंसे ग्रामीणों को निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू अभियान चलाया था। एनडीआरएफ टीम ने लोगों को नाव में बैठाकर बाहर निकाला था। विद्युत आपूर्ति ठप होने से लोगों को मोबाइल डाउन हो गए थे। इससे लोगों के अपनों से संपर्क टूट गए थे।
लाखों का सामान बर्बाद, घरों में आ गई थी दरार
यमुना सिटी, बदरपुर समेत कई गांवों में कई दिनों तक जलभराव रहने के कारण घरों में दरार आ गई थीं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने कर्जा लेकर घर बनाए थे। वहीं, लोगों के घरों में रखा लाखों का सामान बर्बाद हो गया। स्थिति ये हो गई थी कि लोग रोजमर्रा की चीजों के लिए तरस गए थे।
50 हजार कामगार की रोजी-रोटी पर छा गया था संकट
ट्रोनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र में 2317 इकाइयों ठप हो गई थीं। इससे करीब 50 हजार कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया था। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों समेत बिहार, मध्यप्रदेश व बंगाल के कामगार अपने घर लौट गए थे।
3000 हेक्टेयर से अधिक फसल हो गई थी बर्बाद
लोनी में करीब 6520 किसान करीब 8150 हेक्टेयर भूमि पर खेती करते हैं। इनमें से करीब 3000 हजार हेक्टेयर से अधिक फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो गई थी। इनमें से महज 40 से 50 किसानों का ही फसल बीमा था। पशुपालकों के आगे चारे के लाले पड़ गए थे।
खेतों के साथ ही खेती वाले इलाकों में बने घरों में पानी घुस गया है। खेतों में ऐसी फसलें हैं जो पानी के कारण एक-दो दिन में ही बर्बाद हो जाएंगी। दो वर्ष पहले भी यही हुआ था।
-राजकुमार, निवासी, पयाचरा
वर्ष 2023 के अलावा 47 वर्ष पहले भी बाढ़ के मंजर अपनी आंखों से देखा है। अब फिर से यमुना का स्तर बढ़ने से बाढ़ ने चिंता बढ़ा दी है। कुछ लोग यहां से जाने की तैयारी कर रहे हैं।
-हेमराज, निवासी, पचायरा
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