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    दैनिक जागरण से सीखा, गाजियाबाद में दारोगा को सीपीआर देकर बचाई जान

    गाजियाबाद के बीएसएनएल कार्यालय में दरोगा इंद्रपाल सिंह को हार्ट अटैक आया। वहां मौजूद इंजीनियर सुधांशु कुमार ने दैनिक जागरण में पढ़ी CPR तकनीक का इस्तेमाल कर उनकी जान बचाई। सीने में दर्द होने पर इंद्रपाल सोफे पर गिर गए थे। सुधांशु ने तुरंत CPR दिया और उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया जहां उनकी हालत अब स्थिर है। CPR की जानकारी सुधांशु को दैनिक जागरण में छपे लेख से मिली थी।

    By Hasin Shahjama Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 13 Aug 2025 08:43 AM (IST)
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    बीएसएनएल कार्यालय में दरोगा को हार्ट अटैक आने के बाद सहारा देकर उठाते कर्मचारी l सौ. बीएसएनएल

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। राजनगर आरडीसी स्थित बीएसएनएल कार्यालय में में आए यूपी पुलिस के दारोगा को हार्ट अटैक आ गया। वहां मौजूद सब डिविजनल इंजीनियर सुधांशु कुमार ने सीपीआर देकर उनकी जान बचाई। उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया।

    बीएसएनएल के अन्य लोगों ने भी इसमें उनकी मदद की। सुधांशु कुमार ने सीपीआर दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर को पढ़कर सीखा था। बीएसएनएल कार्यालय के ग्राहक सेवा केंद्र पर मंगलवार को लोगों की आवाजाही लगी हुई थी। तभी वहां पर इंद्रपाल सिंह भी अपने मोबाइल कनेक्शन के काम से यहां पहुंचे। वह वहां पर खड़े ही हुए थे कि उनके सीने में तेज दर्द हो गया।

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    हार्ट अटैक आने पर वह सोफे पर गिर गए। तभी कार्यालय में मौजूद कर्मी उनकी मदद के लिए दौड़े। केंद्र पर लखनऊ निवासी सुधांशु कुमार चौहान भी मौजूद थे। उन्होंने बिना देरी किए हुए मरीज को तुरंत सीपीआर दिया। सीपीआर देने में उन्होंने एक कर्मचारी की भी मदद ली। इससे वह होश में आए, लेकिन उनका सीने का दर्द कम नहीं हुआ।

    तुरंत ही एंबुलेंस और स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दी गई। एंबुलेंस भी तुंरत आ गई। बीएसएनएल की टीम ने उन्हें एंबुलेंस में लिटा दिया। उन्हें जिला संयुक्त अस्पताल ले जाया गया। अब उनकी सेहत में सुधार है।

    दफ्तर में रोज पढ़ते थे दैनिक जागरण

    सुधांशु चौहान ने बताया कि पहले वह असम में तैनात थे। पिछले सात वर्ष से वह गाजियाबाद बीएसएनएल कार्यालय में कार्यरत हैं। गाजियाबाद आने के बाद से वह प्रतिदिन दैनिक जागरण पढ़ते हैं। कुछ दिन पहले दैनिक जागरण में सीपीआर देने के बारे में डॉक्टरों के हवाले से खबर लिखी थी। इसे बढ़कर वह सीपीआर देना सीख गए। इससे पहले उन्हें सीपीआर के बारे में नहीं पता था।

    कैसे दिया जाता है सीपीआर?

    डॉ. आलोक ने बताया कि सीपीआर आपातकालीन जीवन रक्षक प्रक्रिया है। किसी व्यक्ति की सांस बंद होने, दिल धड़कना बंद होने, हार्ट अटैक, डूबने या बिजली का करंट लगने की स्थिति में सीपीआर दिया जाता है।

    सीपीआर जिस स्थान पर देना है होता है वह सुरक्षित होना चाहिए। सबसे पहले मरीज के कंधे हिलाकर आवाज लगाएं कि आप ठीक हैं? प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर किसी को एंबुलेंस बुलाने के लिए कहें। सांस और पल्स चेक करें। बिना देरी किए सीपीआर दें। दोनों हाथ की हथैली छाती के बीच में रखे।

    100 से 120 दबाव प्रति मिनट की गति होनी चाहिए। पांच सेंटीमीटर तक दबाव डालें। अपनी कोहनियां सीधी रखें और शरीर का भार हाथों पर डालें। इसके बाद ऊपर-नीचे दबाएं।

    दबाव के बाद छाती को पूरी तरह ऊपर आने दें। 30 बार सीने पर दबाव देना होता है। फिर दो बार सांस देनी होती है। यह चक्र तब तक दोहराएं जब तक मदद न आ जाए या मरीज होश में न आ जाए।