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    Ghaziabad Dog Attack: नहीं भूल पाए कुत्तों के काटने की घटना, सुप्रीम के आदेश से लोगों में निराशा

    गाजियाबाद में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं से लोग परेशान हैं। सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश से राहत मिली थी लेकिन नए फैसले से निराशा है। लोगों का कहना है कि कुत्ते प्रेमियों के कारण जनहित को नजरअंदाज किया गया। सोसायटियों में रहने वाले लोग कुत्तों की समस्या से जूझ रहे हैं और नगर निगम से उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

    By Deepa Sharma Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 24 Aug 2025 08:18 AM (IST)
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    गाजियाबाद में कुत्ते के काटने की घटनाएं आए दिन सामने आती हैं।

    जागरण संवादादाता, गाजियाबाद। शहर भर में आए दिन कुत्ते काटने की घटनाएं होती हैं। गली मोहल्ले, खास तौर पर सोसायटियों में कुत्ते काटने के मामले ज्यादा आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के कुत्तों को आवासीय इलाकों से हटाने के आदेश के बाद लोगों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिए फैसले से लोग निराश दिखे।

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    लोगों का कहना है कि कुछ कुत्ते प्रेमियों के कारण सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया है। जनहित को नजर अंदाज किया गया है। जबकि आए दिन कुत्ते काट कर लोगों को गंभीर रूप से घायल कर देते हैं। रेबीज संक्रमित कुत्तों के काटने से लोगों की मौत तक की घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने जनहित को ध्यान में रखकर फैसला नहीं सुनाया।

    जिन लोगों के साथ या उनके स्वजन को कुत्तों ने काट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था, आज भी वह कुत्तों को देखकर सहज नहीं हो पाते। कुत्तों को देखते ही पुरानी घटना ध्यान आ जाती है। इस मुद्दे पर सोसायटियों में रहने वाले लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दीं।

    क्या बोले सोसायटी के लोग?

    सोसायटियों में कुत्तों की समस्या काफी ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है नगर निगम उसका पालन करें तब भी समस्या का समाधान हो सकता है। कुत्तों का बंध्याकरण करने के साथ पशु प्रेमी फीडिंग पाइंट पर ही खाना डालें।

    - सौरभ शर्मा, अध्यक्ष, देविका स्काईपर्स सोसायटी

    दो जून को मेरे पति को कुत्तों ने पूरे शरीर पर काटकर बुरी तरह से घायल कर दिया था। पूरे शरीर में कई जगह टांके आए थे। हाथ की हड्डी टूट गई थी जिसका आपरेशन करना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने से काफी निराशा मिली है कुत्तों को हटाया जाना चाहिए था।

    निधि झा, केडीपी ग्रैंड सवाना सोसायटी

    सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों को लेकर पहले सुनाया फैसला लोगों के हित में था। बाकी दोबारा जो फैसला दिया है उसमें पहले से बने नियमों में कोई खास अंतर दिखाई नहीं दिया। अब यह जरूरी है कि नगर निगम ऐसी जगह चिह्नित करें जहां लोगों का आवागमन न हो। सोसायटी परिसर में कुत्ते प्रतिबंधित होने चाहिए।

    - सचिन त्यागी, अध्यक्ष, फेडरेशन का राजनगर एक्सटेंशन सोसायटीज