गाजियाबाद में 19 महीनों में 142 करोड़ की ठगी, रुपये वापसी के लिए पीड़ित काट रहे चक्कर
गाजियाबाद में साइबर क्राइम थाना बनने के बाद 19 महीने में 541 मामले दर्ज हुए जिनमें 142 करोड़ की ठगी हुई। शेयर ट्रेडिंग में ठगी के मामले सबसे ज्यादा हैं। पुलिस ने 35 करोड़ रुपये वापस कराए हैं। ठगी के बाद गोल्डन आवर में शिकायत करने से रुपये वापसी की संभावना बढ़ जाती है। पुलिस लोगों को साइबर अपराध के प्रति जागरूक कर रही है।

विनीत कुमार, गाजियाबाद। साइबर क्राइम थाना बनने के बाद 19 महीने में 142 करोड़ रुपये की ठगी के 541 मुकदमे लिखे जा चुके हैं। ठगी में गई रकम में से 35 करोड़ रुपये ही पीड़ितों के वापस आए हैं। रकम गवांने वाले पीड़ितों की परेशानी ठगी के साथ ही शुरू हो जाती है।
ठगी पीड़ितों को पहले केस दर्ज करने के लिए पुलिस के पास जाना पड़ता है। इसके बाद जिन खातों में धनराशि ट्रांसफर होती है उन खातों में फ्रीज कराई गई धनराशि वापस पाने में भी खूब दौडना पड़ता है। पीड़ितों को एक महीने से लेकर छह महीने तक में रुपये वापस मिलते हैं। कोर्ट के भी चक्कर लगाने पड़ते हैं।
साइबर ठग आम लोगों को फर्जी मोबाइल एप, वेबसाइट या इंटरनेट मीडिया के जरिए शेयर मार्केट में निवेश कर भारी मुनाफा कमाने का लालच देते हैं। शुरुआत में कुछ लाभ दिखाकर विश्वास हासिल किया जाता है और फिर बड़ी रकम निवेश करवाकर अचानक संपर्क तोड़ दिया जाता है। पीड़ितों को जब तब आभास होता है तब तक उनकी गाढ़ी कमाई साइबर अपराधी कई खातों में डायवर्ट कर चुके होते हैं।
ठगी होने के बाद गोल्डन आवर में शिकायत से रूपये वापसी के आसार
साइबर ठगी होने के बाद शुरुआती पहला घंटा बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि साइबर ठग जिस खाते में धनराशि ट्रांसफर कराते हैं उसकी निकासी के लिए किसी अन्य खाते में धनराशि ट्रांसफर करें या उसी खाते से रुपये निकालने का प्रयास करें उन्हें पहले एटीएम बूथ पर जाकर निकासी करनी होगी। उससे पहले शिकायत करने पर खाता फ्रीज कराया जा सकता है।
खाता फ्रीज होने के बाद रुपये वापसी की संभावा सबसे ज्यादा हाेती है। लेकिन शेयर ट्रेडिंग के नाम पर हुई ठगी में अक्सर लंबे समय तक पीड़ित आरोपितों के संपर्क में रहते है और कई दिन में विभिन्न बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर करते हैं। ऐसे में गोल्डर आवर की महत्ता समाप्त हो जाती है।
पीड़ितों को रुपये वापसी के लिए भी करनी पड़ती है मेहनत और इंतजार
सिद्धार्थ विहार निवासी शिल्पी मंगल को कुरियर में ड्रग्स रखने का आरोप लगा साइबर ठगों ने बीते वर्ष 19 फरवरी को डिजिटल अरेस्ट बताकर 6.13 लाख रुपये ठग लिए थे। पीड़िता ने ठगी के बाद तत्काल थाने जाकर पुलिस को मामले की शिकायत की। इसके बाद खाता फ्रीज कराया गया। उन्हें कोर्ट जाकर प्रार्थना पत्र देना पड़ा। 13 मार्च को उन्हेें 5.53 लाख रुपये वापस मिले।
ठगी गई रकम 1.38 करोड़ रुपये, वापस मिल पाए 70 लाख रुपये
वसुंधरा निवासी दीपक से साइबर अपराधियों ने बीते वर्ष जनवरी से फरवरी के बीच शेयर ट्रेडिंग में निवेश के नाम पर 1.38 करोड़ रुपये ठग लिए थे। पीड़ित की शिकायत पर मार्च में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। काफी प्रयास के बाद उनके 70 लाख रुपये वापस मिल पाए हैं। पुलिस का कहना है कि बाकी धनराशि वापसी के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
- 541 मामले साइबर अपराध के दर्ज किए गए
- 142 करोड़ रुपये साइबर अपराधियों ने ठगे
- 35 करोड़ रुपये पुलिस ने वापस कराए
- 135 आरोपित गिरफ्तार
- 47 मामलों में पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है
फ्राड दर्ज केस ठगी गई रकम
- शेयर ट्रेडिंग 281 98.75 करोड़
- टेलीग्राम टास्क फ्राड 117 18.49 करोड़
- डिजिटल अरेस्ट 35 7.50 करोड़
- डुप्लीकेट ईमेल / हैकिंग 3 82.85 लाख
- क्रिप्टो ट्रेडिंग 6 3.08 करोड़
- फोन हैक, कस्टमर केयर 6 82.31 लाख
- केवाईसी अपडेट 2 11 लाख
- इंश्योरेंस पालिसी 2 11.91 लाखअन्य 85 11.65 करोड़
- कुल 541 142.04 करोड़
नोट-सभी आंकड़े एक जनवरी 2024 से 15 अगस्त 2025 तक के हैं।
सावधान रहें
- केवल सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) से मान्यता प्राप्त ब्रोकर या प्लेटफार्म के माध्यम से ही निवेश करें।
- फर्जी एप, वेबसाइट या इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर कभी भी पैसा न लगाएं।
- अनजान नंबरों से आए लिंक पर क्लिक न करें
- दोगुने रिटर्न के झांसे में न आएं, इससे आर्थिक नुकसान हो सकता है
- ओटीपी, पासवर्ड, बैंक डिटेल या आधार नंबर किसी को न बताएं
- अपने इंटरनेट मीडिया, ईमेल और बैंक खातों पर दो-स्तरीय सुरक्षा सुविधा सक्रिय करें
- साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल करें या www.cybercrime.gov.in पर आनलाइन शिकायत दर्ज करें।
साइबर क्राइम में ठगी गई धनराशि में से 35 करोड़ रुपये वापस कराए जा चुके हैं। लोगों को साइबर अपराध के प्रति लगातार जागरूक किया जा रहा है। साइबर अपराध की जांच के लिए बीते तीन महीने में ही पुलिसकर्मियों की संख्या में बढ़ोतरी की गई है।
पीयूष कुमार सिंह, एडीसीपी क्राइम
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