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    Ghaziabad News: घरेलू हिंसा की शिकार महिला को कोर्ट ने दी राहत, पति को किराया और खर्च देने का आदेश

    Updated: Tue, 08 Apr 2025 11:49 AM (IST)

    गाजियाबाद कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा की शिकार पीड़िता को राहत देते हुए उसके पति को किराए और खर्च के लिए पैसे देने का आदेश दिया है। पीड़िता से कई बार ससुराल वालों ने दहेज की मांग की और जब वह उनकी मांग पूरी नहीं कर सकी तो उसके साथ मारपीट की। साथ ही उसे घर से बाहर निकाल दिया।

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    दहेज प्रताड़ित पीड़िता को पति से मिलेगा खर्च।

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा की शिकार पीड़िता के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए राहत दी है। कोर्ट ने महिला के पति को तीन हजार रुपये किराए के लिए और चार हजार रुपये खर्च के देने के आदेश दिए हैं।

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    लोनी बार्डर थानाक्षेत्र निवासी पीड़िता का विवाह वर्ष 2018 में हुआ था। विवाह के कुछ समय बाद से ही ससुराल पक्ष द्वारा दहेज में एक कार और दो लाख रुपये की अतिरिक्त मांग की जाने लगी।

    डिमांड पूरी नहीं कर सकी तो घर से निकाला...

    पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि जब वह इस मांग को पूरा नहीं कर पाई, तो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। कई बार उसके साथ मारपीट की गई, गालियां दी गईं और जान से मारने की धमकी भी दी गई।

    पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि उसकी सास, ननद, जेठ और जेठानी ने भी पति को उकसाया और प्रताड़ना में सक्रिय भूमिका निभाई। महिला को घर से निकाल दिया गया और अब वह अपने मायके में रहने को विवश है। मामले में सोमवार को कोर्ट ने महिला का प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए पति को किराया और खर्च देने का आदेश दिया है।

    वकील ने मारपीट का आरोप लगा मुकदमा दर्ज कराया

    उधर, एक अन्य मामले में अधिवक्ता सुभाष कुमार तोमर ने पुलिस को शिकायत देकर बताया है कि पूर्व बार सचिव स्नेह त्यागी ने सात मार्च को उनके चैंबर में घुसकर मारपीट की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि स्नेह त्यागी के साथ उसका भाई आलोक त्यागी भी था।

    एसीपी कविनगर स्वतंत्र कुमार सिंह का कहना है कि शिकायत पर केस दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। दूसरी ओर बार एसोसिएशन अध्यक्ष दीपक शर्मा का कहना है कि पुलिस वकीलों पर बार एसोसिएशन पदाधिकारियों से बिना कोई वार्ता किए मुकदमे दर्ज कर रही है। इसलिए सोमवार को अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे। हालांकि बार एसोसिएशन के निर्णय के बाद भी कचहरी मेें वकीलों ने काम किया। कई कोर्ट ने जमानत प्रार्थना पत्रों पर निर्णय दिए।

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