Fake Embassy: Seborga तो इटली का गांव है! जिन 4 देशों के बनाए फर्जी दूतावास; जान लीजिए उनकी हकीकत
गाजियाबाद में एसटीएफ ने एक ऐसे व्यक्ति को पकड़ा है जो वर्षों से फर्जी देशों के दूतावास चला रहा था। आरोपित हर्षवर्धन जैन सेबोर्गा वेस्ट अर्टिका पौल्विया और लोडोनिया जैसे स्थानों को देश बताकर दूतावास चला रहा था। सेबोर्गा वास्तव में इटली का एक छोटा सा गांव है। हर्षवर्धन नौकरी के नाम पर लोगों से ठगी करता था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।

डिजिटेल डेस्क, गाजियाबाद। सोचिए, कोई आपके सामने आए और कहे कि वह 'वेस्टार्कटिका' या 'सेबोर्गा' जैसे किसी देश का राजनयिक (Diplomat) है। इतना ही नहीं आप ये मान भी लें। फिर पता चले कि जिनका नाम लिया जा रहा है, असल में वे देश हैं ही नहीं।
गाजियाबाद के कवि नगर में एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसका एसटीएफ (Special Task Force) ने भंडाफोड़ किया है।
आरोपित हर्षवर्धन जैन खुद को चार देशों का प्रतिनिधि बताकर दूतावास चला रहा था। ये देश हैं- सेबोर्गा (Seborga), वेस्टार्कटिका (Westarctica), पौल्विया (Paulvia) और लैडोनिया (Ladonia)।
हैरानी की बात ये है कि इनमें से सेबोर्गा असल में इटली का एक छोटा सा गांव है, जिसे कुछ लोग ‘माइक्रोनेशन’ मानते हैं, जबकि बाकी नाम तो इंटरनेट पर ही बने फर्जी देश हैं, जिनका कोई वजूद ही नहीं है।
आइए जानें, इन देशों की बेहद हैरान कर देने वाली असलियत
सेबोर्गा (Seborga)
सेबोर्गा इटली के लिगुरिया प्रांत में स्थित एक छोटा सा पहाड़ी गांव है। यहां के कुछ स्थानीय लोगों ने इसे प्रतीकात्मक रूप से एक ‘माइक्रोनेशन’ घोषित किया है और प्रिंस तक नियुक्त किया गया है।
हालांकि, इटली सरकार, संयुक्त राष्ट्र या किसी भी देश ने इसे स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। यह एक मजाक या पर्यटन आकर्षण से अधिक कुछ नहीं है।
वेस्टार्कटिका (Westarctica)
वेस्टार्कटिका का कोई भौगोलिक या कानूनी अस्तित्व नहीं है। यह नाम केवल इंटरनेट पर मौजूद है, जिसे कुछ लोगों ने खुद से मिलकर एक कथित माइक्रोनेशन बना लिया है। इसे बनाने वालों का संबंध अमेरिका से है।
इसका न तो कोई नक्शा है, न नागरिक, न ही मान्यता प्राप्त सरकार। यह पूरी तरह से एक काल्पनिक देश है, जिसका इस्तेमाल ठगी के लिए किया गया।
पौल्विया (Paulvia)
पौल्विया एक ऐसे देश का नाम है, जो कहीं मौजूद ही नहीं है न कोई गांव न आईलैंड। यह पूरी तरह से कल्पना के आधार पर बनाया गया नाम है। इस देश का कोई वास्तविक भूभाग, प्रशासनिक ढांचा या कानूनी पहचान नहीं है।
न तो इसका कोई दफ्तर है, न पासपोर्ट और न ही कोई वैध दस्तावेज। ऐसे फर्जी देशों का निर्माण अक्सर ठगी के लिए किया जाता है।
लैडोनिया (Ladonia)
लैडोनिया की शुरुआत 1996 में स्वीडन के एक कलाकार ने एक कला प्रोजेक्ट के रूप में की थी। इस तथाकथित देश की अपनी सरकार, मुद्रा और नागरिकता है, लेकिन सब कुछ सिर्फ प्रतीकात्मक और ऑनलाइन है।
लैडोनिया को कोई भी देश मान्यता नहीं देता और न ही इसका कोई वास्तविक प्रशासनिक अस्तित्व है। यह सिर्फ एक आर्ट इंस्टॉलेशन की तरह है, जिसे कुछ लोगों ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।
आखिर क्या होता है Micronation
Micronation वह स्वघोषित देश होता है, जिसे किसी भी सरकार या अंतरराष्ट्रीय संस्था की ओर से कानूनी मान्यता नहीं मिली होती है।
ऐसे कथित देश आमतौर पर किसी व्यक्ति या समूह की ओर से शौक, व्यंग्य, कला या कभी-कभी ठगी के इरादे से बनाए जाते हैं। इनमें खुद का झंडा, मुद्रा, पासपोर्ट और सरकार जैसी चीजें होती हैं, लेकिन इनका कोई वैध अस्तित्व नहीं होता है।
जैसे—सेबोर्गा, वेस्टार्कटिका, लैडोनिया आदि केवल प्रतीकात्मक या इंटरनेट आधारित देश हैं, जिन्हें असली राष्ट्र नहीं माना जा सकता है।
अब तक के आरोप और कार्रवाई
हर्षवर्धन जैन इन चार देशों के नाम पर लोगों को विदेश में नौकरी, डिप्लोमैटिक पास और सुविधाएं दिलाने का झांसा देता था। उसने गाड़ियों पर डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगाकर, नकली लेटरहेड्स और मुहरों का इस्तेमाल कर एक असली दूतावास जैसा माहौल तैयार किया था।
एसटीएफ ने आरोपी को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से कई फर्जी दस्तावेज और अन्य सामग्री बरामद की है। पुलिस का कहना है कि भारत में दूतावास को चलाने के लिए विदेश मंत्रालय की अनुमति आवश्यक होती है। बिना मान्यता के ऐसा कोई भी कार्य देश की संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ माना जाता है।
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