दुर्गा पूजा पंडाल पर नजर पड़ते ही दिखेगी भारत की विविधता में एकता, भगवान शिव के नटराज रूप को भी दर्शाया गया
साहिबाबाद में दुर्गा पूजा पंडाल विविधता में एकता की थीम पर आधारित है। यह भारत की समृद्ध नृत्य परंपराओं को प्रदर्शित करता है जिसमें भरतनाट्यम कथकली ओडिसी आदि शामिल हैं। बंगाल के कारीगर जूट और कागज जैसी पर्यावरण-अनुकूल सामग्री का उपयोग करके पंडाल को सजा रहे हैं। पंडाल में भगवान शिव के नटराज रूप को भी दर्शाया गया है जो कला और संस्कृति का प्रतीक है।

राहुल कुमार, साहिबाबाद। भारत अविश्वसनीय विविधताओं का देश है, अपनी समृद्ध नृत्य शैलियों के माध्यम से एकता की गहरी भावना को दर्शाता है। तमिलनाडु के मनोहर भरतनाट्यम से लेकर पंजाब के भांगड़ा तक, ओडिशा की आध्यात्मिक ओडिसी से लेकर केरल के भावपूर्ण कथकली तक, प्रत्येक नृत्य शैली एक क्षेत्र की विरासत की कहानी कहती है और साथ ही राष्ट्र की सामूहिक सांस्कृतिक पहचान में भी योगदान देती है।
भाषा, वेशभूषा और लय में भिन्नता के बावजूद, ये नृत्य एक समान सूत्र साझा करते हैं। ये जीवन, भक्ति व परंपरा का उत्सव मनाते हैं। जो भारत की पहचान विविधता में एकता का प्रतीक है। ये संदेश इस बार इंदिरापुरम के अहिंसा खंड-दो में प्रांतिक कल्चरल सोसायटी के दुर्गा पूजा पंडाल में देखने को मिलेगा।
इस परिकल्पना को साकार करने के लिए पर्यावरण-अनुकूल और पारंपरिक सामग्रियों जूट के कपड़े, पेपर और हाथ से चित्रित कलाकृतियों का उपयोग करके बंगाल के कुशल कारीगरों द्वारा पंडाल को तैयार किया जा रहा है। उनकी शिल्पकला और कल्पनाशीलता से पंडाल को को लय, रंग व एकता के जीवंत उत्सव में बदला जा रहा है। यहां हर राज्य की नृत्य शैली चित्रकारों द्वारा तैयार की गई पेंटिंग्स के माध्यम से देखने को मिलेगी।
पंडाल में प्रवेश करते ही ऐसा एहसास होगा जैसे पूरा भारत पंडाल में समा गया हो। हर तस्वीर अलग राज्य का एहसास कराएगी। भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, कथकली, कथक, ओडिसी, सत्रिया, मणिपुरी और मोहिनीअट्टम सभी दिखाई देंगे।
इसका उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना और भक्ति व अभिव्यक्ति के बीच के शाश्वत बंधन का उत्सव मनाना है। समिति के अध्यक्ष देबजानी सामंत व उपाध्यक्ष अभिजीत राय ने बताया कि प्रांतिक सांस्कृतिक संस्था इस भव्य परंपरा को आगे बढ़ाने के अपने 17वें वर्ष का जश्न मनाने की तैयारी कर रही है।
भगवान शिव की नटराज कलात्मकता भी दिखेगी
पंडाल में घुसते ही भगवान शिव की नटराज कलात्मकता भी दिखाई देगी। नटराज शिवजी का एक नाम है। उस रूप में जिस में वह सबसे उत्तम नर्तक हैं। पंडाल में प्रवेश करने से पहले ही यहां पहुंचने वाले दुर्गा मां के भक्तों को यह भी देखने को मिलेगी।
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