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    Ghaziabad News: धोबी घाट आरओबी का हुआ उद्घाटन, रोजाना पांच लाख लोगों को मिल रहा लाभ

    Updated: Tue, 12 Mar 2024 11:15 AM (IST)

    यह रेलवे ओवर ब्रिज जनता के लिए उद्घाटन से पहले ही खुलवा दिया था ताकि औपचारिकता के कारण जनता को किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। इस रास्ते पर यातायात की बाधाओं से घिरे गाजियाबाद के लोग एक आरओबी के अभाव के कारण छह से सात किलोमीटर अतिरिक्त वाहन चलाकर अपनी मंजिल तक पहुंच रहे थे।

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    Ghaziabad News: धोबी घाट आरओबी का हुआ उद्घाटन, रोजाना पांच लाख लोगों को मिल रहा लाभ

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। सांसद एवं केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग एवं नागर विमानन राज्यमंत्री विजय कुमार सिंह ने मंगलवार को धोबी घाट आरओबी का विधिवत उद्घाटन कर दिया है। यह आरओबी पिछले कई महीनों से यातायात के लिए खुला हुआ है।

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    विजयनगर में स्थित धोबी घाट बनने से विजयनगर के लोगों की सीधी शहर से कनेक्टिविटी हो गई है। बीते 40 वर्षों से विजयनगर पर इसकी आवश्यकता थी लेकिन इस समस्या को समाधान तक सांसद वीके सिंह ने पहुंचाया। इस रेलवे ओवर ब्रिज पर प्रतिदिन तीन से पांच लाख लोगों की आवाजाही हो रही है।

    लोगों को समस्या से मिलेगा छुटकारा

    यह रेलवे ओवर ब्रिज जनता के लिए उद्घाटन से पहले ही खुलवा दिया था ताकि औपचारिकता के कारण जनता को किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। 1982 से गाजियाबाद के लोगों की विजयनगर से गाजियाबाद शहर को जोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन पर आरओबी की एक प्रमुख मांग थी।

    इस रास्ते पर यातायात की बाधाओं से घिरे गाजियाबाद के लोग एक आरओबी के अभाव के कारण छह से सात किलोमीटर अतिरिक्त वाहन चलाकर अपनी मंजिल तक पहुंच रहे थे। सांसद वीके सिंह के संज्ञान में यह बात आयी और उन्होंने इस सम्बंध में कार्य करना शुरू कर दिया। जल्द से जल्द सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण कराकर गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर आरओबी की आधारशिला रख दी गई।

    घंटो की दूरी अब मिनटों में हो रही पूरी

    110 करोड़ रुपये की लागत से 1.34 किलोमीटर लंबे 1500 टन के भार वाले इस आरओबी के बनने से विजयनगर और गाजियाबाद शहर की बीच बेहतर कनेक्टिविटी बनी है और घंटो की दूरी अब मिनटों में पूरी हो रही है। इस रेलवे ओवर ब्रिज को बनाने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन सांसद ने सभी समस्याओं का समाधान किया।

    इस क्षेत्र में रेलवे आवासों को स्थानांतरित किया गया, यह बहुत सारे पेड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र था, यहां सैन्य भूमि थी, प्रोजेक्ट का काम चलते समय ठेकेदार की मृत्यु हो गई थी इसके साथ ही यह गाजियाबाद के भारी ट्रैफिक वाले इलाके में बनाया जाना था। इन सभी समस्याओं को खत्म किया और गाजियाबाद को इतना शानदार रेलवे ओवर ब्रिज मिल गया।