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    Ghaziabad: अमेरिकी मुस्लिम महिला बनी हिंदू, पारदेश्वर महादेव के लिए भेजा 19 तोला सोने का मुकुट

    By Deepa SharmaEdited By: Geetarjun
    Updated: Wed, 22 Mar 2023 08:21 PM (IST)

    अमेरिका की रहने वाली डॉक्टर सुप्रिया (बदला हुआ नाम) ने शिव शक्ति धाम डासना में पारदेश्वर महादेव के लिए शुद्ध सोने का मुकुट व शृंगार भेंट किया। मुकुट व ...और पढ़ें

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    अमरीकी मुस्लिम महिला बनी हिंदू, पारदेश्वर महादेव के लिए भेजा 19 तोला सोने का मुकुट

    गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। अमेरिका की रहने वाली डॉक्टर सुप्रिया (बदला हुआ नाम) ने शिव शक्ति धाम डासना में पारदेश्वर महादेव के लिए शुद्ध सोने का मुकुट व शृंगार भेंट किया। मुकुट व शृंगार 19 तोले शुद्ध सोने से बनाया गया है। करीब एक साल पहले ही उन्होंने मुस्लिम धर्म को छोड़कर सनातन धर्म अपनाया था।

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    मंगलवार को सुबह शिवशक्ति धाम डासना में विधि-विधान से रुद्राभिषेक के बाद पंडित सनोज शास्त्री और पंडित कृष्ण वल्लभ भारद्वाज ने पारदेश्वर महादेव को मुकुट पहनाकर शृंगार किया। शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज व कार्ष्णि स्वामी अमृतानंद महाराज के विचारों से प्रभावित होकर सुप्रिया ने इस्लाम और सनातन धर्म का अध्ययन किया।

    जगदंबा महाकाली को माना मां

    इसके बाद करीब एक साल पहले उन्होंने मुस्लिम धर्म को छोड़कर सनातन धर्म ग्रहण कर लिया और भगवान शिव को गुरु और जगदंबा महाकाली डासना वाली को मां मान लिया। डासना मंदिर के पीठाधीश्वर एवं श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने बताया कि ये महिला डॉक्टर मूल रूप से गुजरात की रहने वाली हैं। फिलहाल वे अमेरिका में रहती हैं और वहां प्रैक्टिस कर रही हैं।

    उन्होंने बताया कि चैत्र नवरात्र से एक दिन पहले अमावस्या को भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है। इस विशेष दिवस पर डॉक्टर सुप्रिया ने पारदेश्वर महादेव के लिए शुद्ध सोने से बना मुकुट और शृंगार भेंट किया। मुकुट और शृंगार सोमवार को ही मंदिर में प्राप्त हो गया था। इस मुकुट को यूपी के हरदोई जिले के दो कारीगरों ने तैयार किया है।

    पांच साल पहले इंटरनेट मीडिया पर हुआ था संपर्क

    महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने बताया कि सुप्रिया ने इंटरनेट मीडिया पर उनका एक वीडियो देखा था और उनके विचार सुने थे। इसके बाद उन्होंने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से ही संपर्क किया था। उस दौरान एक बार डासना मंदिर में भी आयी थीं। करीब एक साल पहले उन्होंने सनातन धर्म अपनाने की इच्छा बताई तो वहां पर उनके मार्गदर्शन में ही ब्राह्मणों आदि की व्यवस्था कराई गई। इसके बाद उन्होंने अपने पति के साथ सनातन धर्म अपनाया।