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    गाजियाबाद के अस्पताल में नवजात की मौत से हड़कंप, स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी लापरवाही आई सामने

    Updated: Wed, 23 Apr 2025 02:52 PM (IST)

    गाजियाबाद के जिला महिला अस्पताल में नवजात शिशु की मौत का मामला सामने आया है जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं। एक मामले में प्रसव के बाद भी नवजात को नर्सरी में नहीं भेजा गया जिससे उसकी मौत हो गई। सीएमएस ने इस पर लापरवाही बरतने वाले स्वास्थ्यकर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा है और वेतन काटने का आदेश दिया है।

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    प्रसव के डेढ़ घंटे बाद भी नर्सरी नहीं भेजा नवजात, शिशु की हुई मौत

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। प्रसव के डेढ़ घंटे बाद भी अस्वस्थ नवजात को नर्सरी में नहीं भेजा गया। इसके बाद लेबर रूम में ही शिशु की मौत हो गई। इस प्रकरण को छिपाने के लिए चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मियों ने खूब प्रयास किया, लेकिन नवजात की मौत के चार दिन बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया।

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    जिला महिला अस्पताल के लेबर रूम में चिकित्सक, स्टाफ नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी लापरवाही से नवजात की मौत के मामले की फिलहाल जांच बैठा दी गई है। सीएमएस डॉ. अल्का शर्मा ने मंगलवार को संबंधित चिकित्सक समेत चार स्वास्थ्यकर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा है।

    साथ ही सभी का एक सप्ताह का वेतन काटने का आदेश जारी कर दिया है। उधर समाजसेवी सचिन सोनी ने इस प्रकरण में मुख्यमंत्री को लिखित में शिकायत भेजते हुए जांच कराने की मांग की है।

    यह है मामला

    जिला महिला अस्पताल में प्रसव पीड़ा के बाद विजयनगर के रहने वाले शारिया की पत्नी निशा को 18 अप्रैल को दोपहर बाद 3:10 बजे भर्ती कराया गया। 6:56 बजे निशा ने बेटे को जन्म दिया। नवजात का वजन 2.71 किलोग्राम था।

    प्रसव में स्वास्थ्यकर्मियों एवं चिकित्सक की लापरवाही से हुए विलंब के चलते नवजात के पेट में गंदा पानी भर गया। नवजात को सांस लेने में परेशानी होने लगी। ऐसे में नवजात को तुरंत नर्सरी में भेजकर बाल रोग विशेषज्ञ की निगरानी में रखा जाना जरूरी था लेकिन डेढ़ घंटे तक किसी ने भी नवजात को नर्सरी भेजने का प्रयास नहीं किया।

    नवजात ने लेबर रुम में ही दम तोड़ दिया। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों ने इस मामले में वार्ड आया को दोषी मानते हुए लेबर रूम से हटा दिया,जबकि नवजात को नर्सरी में भेजने का निर्णय केवल चिकित्सक ही ले सकती हैं।

    लेबर रुम में इनकी थी ड्यूटी

    सीएमएस डॉ. अल्का शर्मा ने बताया कि नवजात की मौत गंभीर मामला है। ड्यूटी पर लेबर रुम में डा. सुषमा भारती, स्टाफ नर्स कंचन और रूबिका व वार्ड आया रेखा थी। सीएमएस का कहना है कि लेबर रुम में तैनात पूरे स्टाफ की यह घोर लापरवाही है। संबंधित के खिलाफ जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

    एसएनसीयू में 11 माह में 22 बच्चों की मौत पर जांच जारी

    जिला महिला अस्पताल में बीमार नवजात के इलाज को संचालित एसएनसीयू (सिक एंड न्यू बोर्न केयर यूनिट) में इलाज की जगह नवजात जान गंवा रहे हैं । रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक एसएनसीयू में भर्ती हुए कुल 1286 नवजात के सापेक्ष 22 नवजात की मौत हुई है।

    इसके पीछे का कारण एसएनसीयू में चिकित्सकों और प्रशिक्षित स्टाफ नर्स की कमी है। साथ ही पर्याप्त इलाज न मिलने पर अधिकांश नवजात की मौत हुई है।जिला स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर इन मौतों का डैथ आडिट कराया जा रहा है। गाजियाबाद समेत प्रदेश की 78 एसएनसीयू में प्रशिक्षित स्टाफ नर्स की कमी है।

    नवजात की मौत पर हुए हंगामों का विवरण

    केस एक

    छह सितंबर 2018 को संजयनगर के रहने वाले दीपक की पत्नी ने जिला महिला अस्पताल में बेटे को जन्म दिया। छुट्टी होने के बाद घर पहुंचने पर बच्चे की तबीयत बिगड गई। फिर से भर्ती कराया तो बच्चे की मौत हो गई। स्वजन ने इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर हंगामा किया। सीएमएस ने दो नामजद समेत 50 के खिलाफ तहरीर दी। दीपक ने भी पुलिस को तहरीर दी थी।

    केस दो

    चार जून 2023 को विजयनगर के रहने वाले विकास की पत्नी गीता ने बच्चे को जन्म दिया। एसएनसीयू में भर्ती बच्चे की उपचार के दौरान मौत होने पर किसान यूनियन के नेताओं ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। जांच जारी है।

    केस तीन

    15 दिसंबर 2024 को मोरटा के रहने वाले प्रवीण की पत्नी ने संयुक्त अस्पताल बच्चे को जन्म दिया। तबीयत खराब होने पर जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। उपचार के दौरान बच्चे की मौत हो गई। स्वजन ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। जांच लंबित है।

    नवजात की मौत का मामला संज्ञान में आते ही जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं। नवजात की मौत के समय लेबर रूम में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक समेत पांच स्वास्थ्यकर्मियों को नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण मांगा गया है। सभी का एक सप्ताह का वेतन काटने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। एमएनसीयू में नवजात के साथ अब मां को भी भर्ती किया जा रहा है। चिकित्सकों की टीम 24 घंटे नवजात के इलाज में जुटी रहती है। सात चिकित्सक, 12 स्टाफ नर्स, तीन वार्ड आया, तीन स्वीपर और तीन गार्ड तैनात हैं।

    - डॉ. अल्का शर्मा, सीएमएस जिला महिला अस्पताल