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    'हां मैं मुजरिम हूं...', चार महीने बाद अदालत में बोला आरोपी, कोर्ट ने सुनाई 200 रुपये जुर्माने की सजा

    गाजियाबाद में चाकू रखने के दोषी पाए गए एक व्यक्ति को कोर्ट ने 200 रुपये का जुर्माना लगाया जिसे न भरने पर दो दिन की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। पुलिस ने शाकिब नामक इस व्यक्ति को 2021 में गश्त के दौरान वजीराबाद रोड से गिरफ्तार किया था जिसके पास से चाकू बरामद हुआ था। शाकिब ने कोर्ट में अपनी गरीबी का हवाला देते हुए कम सजा की गुहार लगाई थी।

    By Hasin Shahjama Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 27 Aug 2025 06:00 AM (IST)
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    चाकू रखने के आरोप में गिरफ्तार हुआ था युवक (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज सिंह की कोर्ट संख्या सात में चाकू रखने में दोषी पाए गए व्यक्ति को 200 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई।

    जुर्माना जमा नहीं करने पर दो दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। आरोपित पर चार वर्ष से कोर्ट में केस चल रहा था। आखिरकार सोमवार को सुनवाई के दौरान उसने कोर्ट में कहा कि हां वह मुजरिम है। वह गरीब व्यक्ति है उसे कम से कम सजा दी जाए।

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    दो जून 2021 को टीला मोड़ पुलिस कोरोना के दौरान नियमों का पालन कराने के लिए गश्त रही थी। तभी पुलिस को वजीराबाद रोड के किनारे युवक दिखाई दिया। पुलिस ने उन्हें देखा तो वह भागने की कोशिश करने लगा। युवक को पुलिस ने पकड़ लिया।

    सीमापुरी का रहने वाला है शाकिब

    उसकी पहचान दिल्ली के सीमापुरी के 18 वर्षीय शाकिब के रूप में हुई। उसकी पेंट में चाकू बरामद होने के बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। पुलिस ने दावा किया कि वह मोबाइल छीनने के उद्देश्य से खड़े हुए थे। इसके चलते पुलिस ने आर्म्स एक्ट 4/25 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। पुलिस ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगा था।

    इस वजह से मौके पर कोई गवाह नहीं मिला। पुलिस ने विवेचना कर कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। इसके बाद चार वर्ष से शाकिब का केस कोर्ट में चल रहा था।

    मंगलवार को कोर्ट में हुई सुनवाई

    मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट में उससे पूछा गया कि दो जून शाम चार बजे टीला मोड़ पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर आपके कब्जे से प्रतिबंधित चाकू बरामद हुआ, इस संबंध में आपको क्या कहना है?

    शाकिब ने जवाब दिया- जी हां चाकू बरामद हुआ। दूसरा सवाल पूछा गया कि क्या आप स्वेच्छा से जुर्म कुबूल कर रहे हो? शाकिब ने उत्तर दिया- जी हां। तीसरा प्रश्न पूछा गया कि क्या कुछ और कहना है? शाकिब ने जवाब देते हुए कहा कि वह गरीब व्यक्ति है।

    उस पर परिवार की जिम्मेदारी है। उसे कम से कम सजा दी जाए। कोर्ट ने उसका जवाब सुनकर आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया। सजा के बिंदु पर सुनने के लिए दोषी को अभिरक्षा में लिया गया। उसकी जेल में बिताई गई अवधि को ध्यान में रखकर 200 रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना नहीं देने पर दो दिन के लिए कारावास भुगतना होगा।