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    आते को नाम लेकर नमस्ते और जाते को अलविदा बोलेगी स्वदेशी चेहरा पहचान मशीन

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 14 Jan 2021 10:38 PM (IST)

    गाजियाबाद वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केंद्रीय इलेक्ट्रानिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआइआर-सीरी) ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित चेहरा पहचान उपस्थिति प्रणाली मशीन (एफआरएएस) बनाई है।

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    आते को नाम लेकर नमस्ते और जाते को अलविदा बोलेगी स्वदेशी चेहरा पहचान मशीन

    दीपा शर्मा, गाजियाबाद : वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केंद्रीय इलेक्ट्रानिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआइआर-सीरी) ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित चेहरा पहचान उपस्थिति प्रणाली मशीन (एफआरएएस) बनाई है। यह स्वदेशी मशीन पिलानी स्थित प्रयोगशाला के बाद देश में पहली बार गाजियाबाद के सीएसआइआरडीसी केंद्र में लगेगी। मशीन चेहरे की रीडिग कर उपस्थिति दर्ज करने के बाद नाम लेकर नमस्ते और अलविदा बोलती है। आज (शुक्रवार) को सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ.शेखर सी मांडे गाजियाबाद केंद्र पर मशीन का उद्घाटन करेंगे।

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    सीएसआइआर के अधिकारियों का दावा है कि सीएसआइआर सीरी द्वारा बनाई गई एफआरएएस मशीन देश में बनी इस तरह पहली मशीन है। कोरोना काल में कार्यालयों में उपस्थिति के पुराने बायोमीट्रिक सिस्टमों का उपयोग बंद कर दिया गया है। पुराने सिस्टम में अंगुली या अंगूठे को स्पर्श करके कार्यालयों में अपनी उपस्थिति दर्ज की जाती थी। वहीं कोरोना काल में स्पर्श आधारित इस उपस्थिति प्रणाली को रोग फैलाने में सहायक मानते हुए अनुपयोगी माना गया है। ऐसे में आवश्यकता को देखते हुए प्रणाली का डिजाइन एवं विकास किया है।

    एक हजार की उपस्थिति दर्ज करने की क्षमता:

    वरिष्ठ विज्ञानी डॉ.शोभना चौधरी और वरिष्ठ तकनीकि अधिकारी डॉ.विजेंद्र पाल ने बताया कि एक मशीन में एक हजार व्यक्तियों की सफलतापूर्वक उपस्थिति दर्ज करने की क्षमता है। इसके अलावा 45 दिन का आंकड़ा संग्रहित किया जा सकता है। आंकड़े संग्रहण की क्षमता को बढ़ाया और घटाया भी जा सकता है। उपयोगकर्ता मशीन के सामने आने के एक से दो सेकेंड में दो फीट की दूरी से सफलतापूर्वक उपस्थिति दर्ज कर सकता है। यह मशीन एक साथ तीन इमेज की फेस रीडिग करने में सक्षम है। इसके संचालन के लिए लोकल एरिया नेटवर्क की जरूरत होगी। यह प्रणाली सौ फीसद सटीक परिणाम देती है। 45 दिन के ट्रायल में इस मशीन में किसी तरह की समस्या नहीं आई। ये पूरी तरह से सफल रहा था। डेटा स्टोरेज क्लाउड और कंप्यूटर पर की जा सकती है।

    सीएसआइआर-सीरी में आवश्यकता को देखकर किया विकास : पिलानी स्थित सीएसआइआर-सीरी केंद्र के निदेशक डॉ.पीसी पंचारिया ने बताया कि कोरोना में आवश्यकता को देखते हुए सीएसआआइआर के महानिदेशक एवं डीएसआइआर सचिव डॉ.शेखर सी मांडे के समक्ष इस प्रणाली तकनीक का प्रस्तुतिकरण किया, तो उन्होंने प्रयोगशाला सीएसआईआर-सीरी को इस प्रणाली के शोध एवं विकास की जिम्मेदारी सौंपी। समूह प्रमुख डॉ.रवि सैनी और प्रधान विज्ञानी डॉ.संजय सिंह ने बताया कि संस्थान के तीन सौ से अधिक उपयोगकर्ता के साथ इस प्रणाली का सफल उपयोग के बाद इसे अन्य प्रयोगशालाओं में लगाया जा रहा है। शोधकर्ता टीम के सदस्यों में पीएचडी स्कालर श्याम सुंदर, प्रधान विज्ञानी डॉ.संजय सिंह, प्रधान वैज्ञानिक डॉ.रवि सैनी, प्रधान विज्ञानी अनिल कुमार सैनी, प्रधान विज्ञानी सुमीत सौरव और प्रशांत गिद्दे शामिल रहे। सीएसआइआर-सीरी में प्रयोगशाला में विकसित करने के बाद एक अक्टूबर को इसका उपयोग शुरु हुआ था। इसके बाद अभी तक इसका उपयोग सफल रहा। वर्जन..

    कोविड-19 के दौर में उपयोगिता और सुरक्षा को देखते हुए संस्थान द्वारा विकसित यह प्रणाली सीएसआइआर मुख्यालय सहित सभी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में स्थापित होगी। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बाद यह देशभर के कार्यालयों, विद्यालयों आदि में भी उपयोग की जाएगी।

    -डॉ.पीसी पंचारिया, निदेशक, सीएसआइआर-सीरी

    पिलानी (राजस्थान) स्थित प्रयोगशाला के बाद गाजियाबाद सीएसआइआर केंद्र पर चेहरा पहचान उपस्थिति प्रणाली की पहली मशीन लगेगी। 15 जनवरी को सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ.शेखर सी मांडे गाजियाबाद केंद्र पर मशीन का उद्घाटन करेंगे।

    -डॉ.आरके सिन्हा, प्रमुख, सीएसआइआर-एचआरडीसी