63 साल पहले अधिग्रहित 368 एकड़ जमीन की फाइल कलक्ट्रेट से चोरी, गाजियाबाद से लखनऊ तक मचा हड़कंप
गाजियाबाद कलक्ट्रेट से 63 साल पहले अधिग्रहित 368 एकड़ जमीन से संबंधित फाइल चोरी हो गई है। इस घटना से गाजियाबाद से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया है। उच्च अधिकारियों ने तत्काल जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है।
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सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। अति सुरक्षित कलेक्ट्रेट से 63 साल पुराने जमीन अधिग्रहण की फाइल चोरी हो गई है। बोंझा गांव की 368 एकड़ जमीन पर लोहिया नगर और पटेल नगर कॉलोनी का निर्माण किया गया। इस जमीन के अधिग्रहण की पत्रावली चोरी होने की जानकारी कई वर्ष पूर्व होने के बाद भी अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
अधिग्रहण संबंधी मामले में उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल है। इस याचिका पर उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में 28 अक्टूबर को मूल पत्रावली तलब की गई है। इसे देखते हुए अधिकारियों ने अज्ञात के खिलाफ फाइल चोरी का मुकदमा दर्ज करा दिया है।
बोंझा गांव की 368 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने के लिए 13 अगस्त 1962 को धारा-4 की अधिसूचना जारी की गई थी। खसरा संख्या 532 और 582 की भूमि का अर्जन अधिसूचना जारी होने के बाद वर्ष 1962 से 1975 के बीच किया गया। उस समय गाजियाबाद मेरठ जिले की तहसील था। वर्ष 1976 में गाजियाबाद जिले का गठन होने पर गाजियाबाद इंप्रुवमेंट ट्रस्ट की जगह गाजियाबाद विकास प्राधिकरण बनाया गया।
उससे पूर्व बोंझा की जमीन का अधिग्रहण पूरा कर पटेल नगर का कुछ हिस्सा विकसित किया गया था। जिन लोगों की जमीन ली गई उनमें से कुछ लोगों ने कोर्ट में कम मुआवजा को लेकर केस किया। यही मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में चल रहा है। दीपक कुमार गुप्ता अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले में खंडपीठ में 28 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
13 अक्टूबर को पिछली सुनवाई में बेंच ने मूल पत्रावली 28 अक्टूबर को पेश करने का आदेश दिया था। फाइल की तलाश के लिए एडीएम भूअर्जन ने 18 अक्टूबर को पांच सदस्यीय कमेटी बनाई। कमेटी ने फाइल की तलाश की, लेकिन कहीं भी फाइल नहीं मिली। इसके बाद पटल सहायक जयप्रकाश शर्मा की शिकायत पर शनिवार को कविनगर थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। एसीपी कविनगर सूर्यबली मौर्य के मुताबिक शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है। जांच के बाद शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
मूल अभिलेख पेश न करने पर एडीएम को फटकार
खंडपीठ ने 13 अक्टूबर को अपने आदेश में लिखा है कि कथित अभिलेख के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि यह एडीएम भूमि अधिग्रहण का पूर्ण अभिलेख नहीं है। हम एडीएम (भूमि अधिग्रहण) को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं कि क्यों न यह न्यायालय उनके विरुद्ध आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी करे, क्योंकि उन्होंने इधर-उधर से एकत्र किए गए कागजातों को पुनः क्रमांकित करके भूमि अधिग्रहण कार्यवाही से संबंधित कथित अभिलेख के रूप में भेजकर न्यायालय को गुमराह किया है।
एडीएम भूमि अधिग्रहण द्वारा ऐसा हलफनामा 28 अक्टूबर तक दाखिल किया जाए। ऐसा हलफनामा दाखिल न करने की स्थिति में एडीएम भूमि अधिग्रहण को अपने आचरण का स्पष्टीकरण देने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। इस मामले को 28 अक्टूबर को बोर्ड के प्रथम मामले के रूप में सूचीबद्ध करें। इस आदेश के पारित होने के बाद एक रजिस्टर प्रस्तुत किया गया है जो एक पुराना रजिस्टर है और एडीएम भूमि अधिग्रहण कार्यालय के पैरोकार के अनुसार मूल अभिलेख राजस्व जमा रजिस्टर है।

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