पर्यावरण और परंपरा में संतुलन का कदम, लोगों ने सराहा ग्रीन पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों को अनुमति देकर पर्यावरण और परंपरा के बीच संतुलन स्थापित किया है, जिसका लोगों ने स्वागत किया है। ग्रीन पटाखे कम प्रदूषण करते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। इस फैसले से त्योहारों की परंपरा भी बनी रहेगी और लोग धूमधाम से त्योहार मना सकेंगे। यह पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक मूल्यों के समन्वय का एक अच्छा उदाहरण है।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दीपावली पर ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति के आदेश के बाद सोसायटी में खुशी की लहर दौड़ गई है। निवासियों ने इस फैसले का जोरदार स्वागत करते हुए कहा कि साल में एक बार आने वाले इस बड़े त्योहार पर आतिशबाजी का आनंद हर किसी को मिलना चाहिए।
लोगों का कहना है कि ग्रीन पटाखों से प्रदूषण पर नियंत्रण रहेगा और त्योहार की रौनक भी बनी रहेगी। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी में उत्साह साफ झलक रहा है। कई निवासियों ने कहा कि यह फैसला परंपरा और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की दिशा में अहम कदम है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब लोग दीपावली को और खास बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। लोगों का मानना है कि यह फैसला त्योहार की खुशियों को और रंगीन बना देगा।
क्या बोले सोसायटीवासी?
पटाखों का उपयोग समय के साथ बढ़ता गया। जोकि वर्तमान में लोगों के सांस संबंधी बीमारी के लिए मुख्य कारक बनता जा रहा है, ग्रीन पटाखों में तुलनात्मक प्रदूषण कम होता है, निवासियों को भी इन्हें अपनाना चाहिए।
- दीपांशु मित्तल, निवासी, ब्रेव हार्ट्स सोसायटी
दीपावली पर बच्चों में पटाखे जलाने का उत्साह होता है, हम भी पूजन के बाद शगुन के तौर पर कुछ पटाखे जलाते है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ग्रीन पटाखे की अनुमति देना हमारे लिए एक बहुत बड़ी राहत है।
- अंकुर मल्होत्रा, निवासी, गौर कैसकेड्स सोसायटी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों पर दिए गए हालिया आदेश ने न केवल कानून बल्कि संस्कृति और आस्था दोनों के बीच संतुलन स्थापित किया है। हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं।
- तेजस चतुर्वेदी, निवासी, राज एम्पायर सोसायटी
सरकार को तेज ध्वनि वाले और ज्यादा प्रदूषण करने वाले पटाखों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। यह प्रतिबंध पूरे वर्ष लगना चाहिए। ग्रीन पटाखे बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए अच्छा विकल्प है।
- निधि विश्वकर्मा, निवासी, केडीपी ग्रैंड सवाना सोसायटी
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