दिल्ली धमाके के बाद भी नहीं जागा सिस्टम; गाजियाबाद की पार्किंगों में खड़े लावारिस वाहन, बिना ID चेक किए मिल रहा प्रवेश
दिल्ली में हुए धमाके के बाद भी गाजियाबाद में सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही बरती जा रही है। शहर की पार्किंगों में लावारिस वाहन खड़े हैं, जिनकी कोई जानक ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। दिल्ली में लाल किला के बाहर बम धमाका करने वाले आतंकी ने पार्किंग में भी पनाह ली थी। इस हमले के बाद सिस्टम ने सबक नहीं लिया। पार्किंग संचालन की व्यवस्था में बदलाव नहीं किया गया। गाजियाबाद की किसी पार्किंग में संचालक द्वारा वाहन चालक की आइडी चेक नहीं की जाती है।
कई पार्किंग में संदिग्ध लावारिस वाहन खड़े हुए हैं। इनके मालिकों का पता नहीं चल पा रहा है। रेलवे की पार्किंग में एक दर्जन से ज्यादा संदिग्ध लावारिस वाहन खड़े हैं। इसी तरह आरडीसी की पार्किंग में कई वाहन लावारिस खड़े हैं। कुछ पार्किंग में सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगे हैं। इससे सिस्टम की लापरवाही का अंदाजा लगाया जा सकता है।
शहर में नगर निगम की 20 से अधिक पार्किंग हैं । जीडीए, प्रशासन और रेलवे की भी तीन बड़ी पार्किंग हैं। कई पार्किंग में वर्षों से लावारिस वाहन खड़े हैं। कुछ लोग वाहन खड़े करने के बाद उन्हें लेने के लिए नहीं आए। इस तरह के वाहनों की संख्या रेलवे की पार्किंग में अधिक है। पूरी पार्किंग को कवर करने के लिए सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे है।
शुल्क की सूची का भी नियमानुसार बोर्ड पर नहीं लगाया गया है। आरपीएफ का दावा है कि वह कई बार इन वाहनों के संबंध में सिविल पुलिस को पत्र लिख चुके हैं। आरडीसी में निजी स्तर पर बड़ी संख्या में वाहन पार्क किए जाते हैं। ऐसे में इन वाहनों से अनहोनी की आशंका रहती है।
जीडीए कार्यालय के बाहर बनी पार्किंग निश्शुल्क है। यहां पूरी पार्किंग को कवर करने को कैमरे नहीं लगे है। इसी तरह मेट्रो स्टेशन के पास बनी पार्किंगों में भी नियमों की अनदेखी हो रही है।
सोसायटियों में खड़े संदिग्ध वाहन
दैनिक जागरण ने कुछ सोसायटियों की भी पड़ताल की। बहुमंजिला सोसायटियों में लावारिस वाहन खड़े हैं। कई वर्ष से ये वाहन धूल फांक रहे हैं। सोसायटी की आरडल्यूए का कहना है कि कुछ लोग नया वाहन खरीद लेते हैं और पुराने वाहन को खड़ा छोड़ देते हैं। जिस वजह से इन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। जबकि लावारिस वाहनों की सूचना पुलिस को देनी चाहिए। आरडल्यूए को वाहन मालिकों का पता लगाकर उनका नाम रजिस्टर में दर्ज करना चाहिए।
पार्किंग से जुड़े कानून
मोटर वाहन अधिनियम 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के तहत पार्किंग नियम बनाए गए हैं। नो-पार्किंग जोन में वाहन खड़ा करना अवैध है। सार्वजनिक सड़कों को ब्लाक करना गैरकानूनी है। पार्किंग स्टैंड, मल्टी-लेवल पार्किंग, कामर्शियल पार्किंग के नियम लागू हैं। पार्किंग चलाने के लिए नगर निगम की अनुमति, ट्रेड लाइसेंस और भूमि उपयोग की अनुमति होनी चाहिए।
गाड़ियों में स्टीकर लगे हैं। बेसमेंट में खड़े वाहनों को चेक करते हैं। जो वाहन काफी दिन से खड़े हैं उनके मालिकों के बारे में पता किया जा रहा है। यदि किसी गाड़ी का मालिक नहीं मिलता है तो इसकी सूचना पुलिस को देंगे।
सुमित श्रीवास्तव, एओए सदस्य, जीएस 7 सोसायटी।
हमारी सोसायटी में कुछ गाड़ी काफी समय से खड़ी है। उनके मालिकों के बारे में पता लगाया जाएगा। यदि मालिक नहीं मिलते हैं तो पुलिस से इसकी शिकायत की जाएगी।
राहुल त्यागी, मैनेजर, गुलमोहर एन्क्लेव सोसायटी।
हमने पार्किंग में खड़े लावारिस वाहनों को चिह्नित किया था। कई वाहनों को हटवा दिया था लेकिन अभी कुछ वाहन खड़े हैं। इन वाहनों के संबंध में सिविल पुलिस को सूचना दी गई है। पार्किंग में कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
चेतन प्रकाश, आरपीएफ थाना प्रभारी।
पार्किंग व्यवस्था में सुधार के सुझाव
- एंट्री और एग्ज़िट का अलग रास्ता होना चाहिए।
- फायर सेफ्टी सिस्टम होना चाहिए।
- पार्किंग में सीसीटीवी कैमरे लगे हो।
- पर्याप्त लाइटिंग व्यवस्था होनी चाहिए।
- वाहन चालक की आइडी देखी जानी चाहिए।
- पार्किंग शुल्क बोर्ड स्पष्ट रूप से लगाना अनिवार्य है।
- पार्किंग को रसीद देना जरूरी है।
गाजियाबाद में वाहन और पार्किंग तथ्य
- 1.50 लाख से अधिक वाहन जिले में प्रतिदिन पार्क किए जाते हैं।
- 100 से ज्यादा पार्किंग सरकारी और निजी स्तर पर जिले में संचालित हो रही हैं।
- 9.83 लाख वाहन जिले में पंजीकृत हैं। इनमें दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहन शामिल हैं।

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