45 साल का हुआ गाजियाबाद, विकास की कई बुलंदियों को छुआ
जागरण संवाददाता गाजियाबाद देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद का आज 45वां स्थापना दिवस है। 45 बरसों में जिले ने विकास की कई बुलंदियों को छुआ है। शि ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद का आज 45वां स्थापना दिवस है। 45 बरसों में जिले ने विकास की कई बुलंदियों को छुआ है। शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, व्यापार, खेल और विकास के क्षेत्र में जिले ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम की है। चार गेटों में बसे गाजियाबाद में हिडन एयरपोर्ट है, तो रैपिड रेल का काम तेजी से चल रहा है। ईस्टर्न-पेरिफेरल और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे शुरू होने से ट्रैफिक जाम की समस्या दूर हो गई है। रोप-वे की तैयारी की जा रही है। मास्टर प्लान-2031 बनाया जा रहा है। एजुकेशन हब बना जिला : 14 नवंबर 1976 को मेरठ से अलग करते हुए गाजियाबाद को जिला घोषित किया गया था। एक तहसील के रूप में पहचाने जाने वाले गाजियाबाद ने कम समय विकास के नए आयामों को छुआ है। कभी औद्योगिक नगरी के रूप में पहचाने जाने वाला जिला एजुकेशनल हब के रूप में प्रसिद्ध हो गया है। दो सौ से अधिक शिक्षण संस्थानों में लाखों बच्चे अध्ययनरत है। खेत-खलिहानों में तेजी से आवासीय भवनों का निर्माण हो रहा है। दो हाइटेक टाउनशिप और आठ इंटीग्रेटेड सिटी विकसित की जा रही हैं। राजनगर एक्सटेंशन विकसित होने से दो लाख लोगों को आशियाना मिला है। प्रदूषण बना चुनौती : एक तरफ जिला तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है, वहीं दिल्ली-एनसीआर के साथ जिले में बढ़ता हुआ प्रदूषण विकास के मुंह पर धब्बा लगा रहा है। बढ़ते वाहनों की संख्या से वायु प्रदूषण साल दर साल बढ़ता जा रहा है। ग्रेप लागू होने पर भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 तक पहुंच गई है।
ऐसे बना तहसील से जिला : तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस पर गाजियाबाद तहसील को मेरठ से अलग करके नया जिला बनाया था। कभी चार गेटों जवाहर गेट, दिल्ली गेट, डासना गेट और सिहानी गेट के बीच में बसा शहर गाजियाबाद आज गेट-वे आफ यूपी के नाम से मशहूर हो चुका है। पतली सड़कों वाले गाजियाबाद की जगह आज मेट्रो, एनसीआर आटो, कैब, एलिवेटेड रोड, चौड़ी सड़कों और फ्लाईओवर वाले महानगर ने ले ली। शहर में इतने फ्लाईओवर का निर्माण हुआ कि गाजियाबाद को सिटी आफ फ्लाईओवरर्स भी कहा जाने लगा। बीते कुछ वर्षों में शहर की यातायात व्यवस्था में जबरदस्त सुधार हुआ।
चार गेटों का शहर बन गया जिला : वर्तमान में 42 लाख की आबादी वाले जिले को वर्ष 1740 में मुगल बादशाह मोहम्मद शाह रंगीला के वजीर गाजीउद्दीन ने इसे गाजीउद्दीन नगर के नाम से बसाया था। गाजीउद्दीन नगर का एक किले के रूप में ढांचा तैयार किया गया। जवाहर गेट, दिल्ली गेट, सिहानी गेट और डासना गेट बनाए गए। गाजियाबाद को बसाने वाले गाजीउद्दीन की मजार आज भी नए बस अड्डे के पास जीटी रोड पर स्थित है। आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ स्वंतत्रता संग्राम का पहला बिगुल गाजियाबाद से ही हरनंदी नदी के तट से फूंका गया था। सितंबर 1997 में दादरी तहसील को गाजियाबाद से अलग कर नया जिला गौतमबुद्ध नगर बसा दिया गया। सितंबर 2011 को हापुड़, गढ़ और धौलाना क्षेत्र को गाजियाबाद से अलग कर हापुड़ को अलग जिला बना दिया गया। वर्तमान में गाजियाबाद में सदर, मोदीनगर और लोनी तहसील हैं। पांच विधानसभा हैं। साहिबाबाद एशिया की सबसे बड़ी विधानसभा है। बाक्स..
जिले के विकास में चार चांद लगाने वाली मुख्य विकास परियोजनाएं
-एलिवेटिड रोड
-दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे
-दिल्ली से वैशाली तक मेट्रो संचालन
-दिल्ली से न्यू बस अड्डा तक मेट्रो संचालन
-दिल्ली से वाया गाजियाबाद मेरठ तक निर्माणाधीन आरआरटीएस( रैपिड रेल) वर्जन..
गाजियाबाद, मेरठ जिले की तहसील थी। उस समय गाजियाबाद को जिला बनाने का अचानक से निर्णय लिया गया था। मुझे रिपोर्ट बनाने का 15 दिन का समय मिला था। गांधी नगर में एक छोटे से दफ्तर से शुरू हुए गाजियाबाद में आज इतनी तरक्की हो गई है कि देखकर बहुत खुशी होती है। गाजियाबाद के विकास में इसके निजी और सरकारी दोनों ही क्षेत्रों का हाथ है। पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा भी गाजियाबाद के ही हिस्सा थे। यह देखा जाए तो अच्छा नहीं हुआ। आज भी ये गाजियाबाद का हिस्सा होता तो ज्यादा बेहतर होता। यहां सबसे बड़ी समस्या देखें तो प्रदूषण है। यदि वाहनों का सीमित उपयोग हो तो इसमें कुछ सुधार हो सकता है।
-एनएन वर्मा, प्रथम जिलाधिकारी, गाजियाबाद। गाजियाबाद के 45वें स्थापना दिवस पर जिले के सभी लोगों को शुभकामनाएं। इस अवधि में जिला का चहुमुखी विकास हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास, उद्योग, व्यापार के क्षेत्र में जिले ने बुलंदियों को छुआ है।
-राकेश कुमार सिंह, डीएम।

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