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    68,000 लाइटें, 160 कर्मचारी... फिर भी गाजियाबाद रात में काला क्यों?

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 02:34 AM (IST)

    गाजियाबाद में नगर निगम के दावों के विपरीत, राजनगर जैसे पॉश इलाकों में भी रात में अंधेरा छाया रहता है। बारिश में स्ट्रीट लाइटें खराब होने के बाद मरम्मत अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह जाता है। स्थानीय निवासियों ने अंधेरे के कारण होने वाली समस्याओं की शिकायत की है, जिसके बाद प्रकाश विभाग ने मरम्मत का आश्वासन दिया है।

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    गाजियाबाद में नगर निगम के दावों के विपरीत, राजनगर जैसे पॉश इलाकों में भी रात में अंधेरा छाया रहता है। 

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। नगर निगम दावा करता है कि हर गली रोशन है, लेकिन यह दावा खोखला है। शहर के सबसे पॉश इलाके राजनगर की गलियां भी रात में अंधेरे में डूबी रहती हैं। यह इलाका आमतौर पर 24 घंटे खुला रहता है। शहर की सड़कों पर अंधेरा असामाजिक तत्वों की गतिविधियों को बढ़ावा देता है।

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    बारिश के दौरान पानी से बड़ी संख्या में स्ट्रीट लाइटें खराब होना आम बात है। इस बार भी बड़ी संख्या में स्ट्रीट लाइटें खराब हो गईं। हर साल मानसून के बाद लाइटों की मरम्मत का अभियान चलाया जाता है। इस बार भी यह अभियान महज औपचारिकता बनकर रह गया। प्रत्येक वार्ड में महज 40 लाइटें ही लगाई गईं, जबकि खराब लाइटों की संख्या कहीं ज्यादा है।

    राजनगर शहर का हृदय स्थल माना जाता है, जहां कई कॉर्पोरेट कार्यालय, बाजार और हवेलियां हैं। यह इलाका 24 घंटे चहल-पहल से गुलजार रहता है। दैनिक जागरण की टीम ने सोमवार रात राजनगर का दौरा किया तो हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिखा। कुछ जगहों पर इमारतों पर लगी निजी लाइटें सड़कों को रोशन कर रही थीं। लोहिया नगर स्थित नगर निगम मुख्यालय लगभग दो-तीन किलोमीटर दूर है।

    सोमवार रात लोहिया नगर में अंधेरा छाया रहा। अंधेरे के कारण सड़कों पर कम ही लोग नज़र आए। स्थानीय निवासी संजय ने बताया कि नगर निगम की टीम रात में इलाके का दौरा नहीं करती। अंधेरे के कारण, शाम होते ही पटेल नगर में जगह-जगह लोग इकट्ठा होकर नशा करते हैं। महिलाएं शाम के समय घर से निकलने में हिचकिचाती हैं। न्यू आर्य नगर में भी कई गलियों में रात में रोशनी की कमी है। राकेश मार्ग पर भी कई इलाकों में अंधेरा छाया रहा।

    आंकड़ों का खेल

    • 160 कर्मचारियों के पास स्ट्रीट लाइटों की ज़िम्मेदारी
    • नगर निगम की सड़कों की लंबाई 2809.13 किलोमीटर है
    • केंद्रीय निगरानी प्रणाली के तहत 60 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार की गई
    • शहर भर में 68,000 स्ट्रीट लाइटें लगी हैं
    • 38,000 लाइटें अपनी पूरी उम्र पूरी कर चुकी हैं और पुरानी हो चुकी हैं।

    सर्दियों में सूरज जल्दी ढल जाता है। हम शाम को टहलने जाते हैं। गलियों में अंधेरा रहता है, जिससे हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। नगर निगम को लाइटें ठीक करवानी चाहिए।

    -प्रभात गर्ग, स्थानीय निवासी।

    लंबे समय से स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत नहीं हुई है। सड़कों पर अंधेरा रहना आम बात हो गई है। असामाजिक तत्व अंधेरे का फायदा उठाते हैं। बारिश में लाइटें खराब हो गईं।
    - राजेश अग्रवाल, स्थानीय निवासी।

    शिकायत मिलने पर हम लाइटें ठीक करवाते हैं। अंधेरे वाले स्थानों को चिह्नित किया जाएगा। सभी लाइटों की मरम्मत प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी।

    आस कुमार, प्रभारी, प्रकाश विभाग।