गाजियाबाद में सड़कों पर स्पीड ब्रेकर और गड्ढों से बढ़ रहे कमर दर्द के मरीज, अक्टूबर में 490 मरीज पहुंचे अस्पताल
गाजियाबाद में सड़कों पर बने स्पीड ब्रेकर और गड्ढों के कारण कमर दर्द के मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। अक्टूबर में लगभग 490 मरीज अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों का कहना है कि खराब सड़कों पर गाड़ी चलाने से रीढ़ की हड्डी पर बुरा असर पड़ता है, जिससे कमर दर्द की समस्या बढ़ रही है।
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बोंझा के पास जीटी रोड पर बना स्पीड ब्रेकर। जागरण
हसीन शाह, गाजियाबाद। जिले की सड़कों पर गड्ढे और अवैध रूप से बने पांच हजार से अधिक कमर तोड़ स्पीड ब्रेकर कमर दर्द की बीमारी दे रहे हैं। अस्पतालों में पहुंच रहे कमर दर्द के मरीजों में 35 से 40 प्रतिशत मरीजों को अवैध ब्रेकर और सड़क के गड्ढों के कारण कमर दर्द हो रहा है।
इनमें वाहन चालक ही नहीं बल्कि नौकरी पेशा वाले वह लोग भी पीड़ित हैं जो प्रतिदिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करते हैं। नगर निगम की 2809.13 किलोमीटर है सड़कों पर महज 16 टेबल टाप ब्रेकर बने हैं। जबकि पीडब्ल्यूडी की 374 किलोमीटर सड़कों पर 31 टेबल टाप ब्रेकर बने हैं।
प्रदेश में कमर तोड़ स्पीड ब्रेकर बनाने पर रोक लगी हुई है। नियम के तहत केवल टेबल टाप स्पीड ब्रेकर ही बनाए जा सकते हैं। इसके बाद भी नगर निगम और पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर पांच हजार से अधिक कमर तोड़ ब्रेकर बने हैं। कमर तोड़ ब्रेकर की वजह से कमर दर्द के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
जिला एमएमजी अस्पताल की बात करें तो अक्टूबर में यहां फिजियोथेरेपी केंद्र पर कमर दर्द के 1250 मरीज पहुंचे। इनमें 490 मरीजों को कमर दर्द सड़क पर गड्ढे और कमर तोड़ ब्रेकर की वजह से हुआ। इसी तरह सितंबर में 1199 मरीज कमर दर्द के पहुंचे।
इनमें 452 मरीजों को कमर दर्द सड़क के गड्ढे और ब्रेकर की वजह से हुए हैं। यह आंकड़ा केवल जिला एमएमजी अस्पताल का है। यदि निजी अस्पताल की बात की जाए तो वहां भी यही स्थिति है। डाक्टर फिजियोथेरेपी कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
धीमी गति से की जा रही सड़कों की मरम्मत
वर्षा के दौरान नगर निगम और पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर गड्ढे हो गए थे। नगर निगम और पीडल्यूडी ने सड़कों की मरम्मत कराने का काम शुरू कर दिया है लेकिन काम की गति बहुत धीमी है। गड्ढों की वजह न केवल कमर दर्द बढ़ रहा है बल्कि वाहनों की आयु भी कम हो रही है। शहर के मुख्य मार्ग पर गड्ढे भर चुके हैं। कालोनियों की सड़कों पर गड्ढे बचे हैं।
सोमवार को नगर निगम ने वार्ड 42, वार्ड 52, वार्ड 10, वार्ड 20 और वार्ड 82 में सड़कों की मरम्मत के लिए 7.21 करोड़ रुपये का कार्य का शुभारंभ किया था। नगर निगम ने 29 अक्टूबर को भी वार्ड 91, वार्ड 36, वार्ड 94, वार्ड 80, वार्ड 28 में सड़क बनाने के लिए पांच करोड़ रुपये के कार्य का शुभारंभ किया था।
निगम द्वारा 27 अक्टूबर को वार्ड 19, वार्ड 56, वार्ड 97, वार्ड 28, वार्ड 83,वार्ड 16 और वार्ड 42 में आठ सड़कों को बनाने के लिए 10 करोड़ रुपये के कार्य को शुरू किया था। हालांकि अभी भी कुछ सड़कों पर गड्ढे हैं। निगम व पीडब्ल्यूडी का दावा है कि सभी सड़कों को गड्ढामुक्त किया जा रहा है।
नगर निगम की सड़कों की स्थिति
- 2809.13 किलोमीटर है नगर निगम की सड़कों की लंबाई है।
- 9313 नगर निगम की पक्की सड़के हैं।
- 1400 किलोमीटर पक्की सड़कों की लंबाई है।
- 5000 से अधिक कमर तोड़ क्रेबर बने हैं
- 16 स्पीड ब्रेकर नगर निगम की सड़कों पर बने हैं
पीडब्ल्यूडी की सड़कों की स्थिति
- 374 सड़कें जिले में पीडब्ल्यूडी की हैं
- 885 किलोमीटर जिले में पीडब्ल्यूडी की सड़कों की लंबाई है
- 21 स्पीड ब्रेकर पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर बने हैं।
- जीटी रोड, एनएच 58, हापुड़ रोड जैसे अहम रोड पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत आते हैं
क्यों बनते हैं कमर तोड़ ब्रेकर?
कमर तोड़ ब्रेकर पर रोक लगने के बाद भी इनकी संख्या अधिक है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि कागजों में किसी सड़क पर कमर तोड़ ब्रेकर बनाने का नियम नहीं है। कुछ स्थानीय लोग अवैध ब्रेकर बनाने का दबाव बनाते हैं। ठेकेदार द्वारा लोगों के कहने पर ब्रेकर बना दिए जाते हैं।
कुछ लोग निजी स्तर पर भी ब्रेकर बना लेते हैं। एक टेबल टाप ब्रेकर बनाने में लगभग 1.80 लाख रुपये खर्च होते हैं। जबकि कमर तोड़ ब्रेकर बनाने में 500 से 1000 रुपये की निर्माण सामग्री अतिरिक्त लग जाती है। खर्चा कम होने की वजह से भी कमर तोड़ ब्रेकर अधिक बनते हैं।
जनवरी से अक्टूबर तक जिला एमएमजी अस्पताल में फिजियोथेरेपी कराने पहुंचे मरीज
| माह | कुल मरीज | कमर दर्द मरीज | सड़क की वजह कमर दर्द के मरीज |
|---|---|---|---|
| जनवरी | 3601 | 1182 | 388 |
| फरवरी | 3759 | 1172 | 422 |
| मार्च | 3522 | 1188 | 406 |
| अप्रैल | 3822 | 1023 | 362 |
| मई | 3911 | 1189 | 437 |
| जून | 3966 | 1137 | 451 |
| जुलाई | 3988 | 1183 | 466 |
| अगस्त | 3900 | 1211 | 472 |
| सितंबर | 3921 | 1199 | 452 |
| अक्टूबर | 3900 | 1250 | 490 |
क्या होता है टेबल टॉप स्पीड ब्रेकर?
एक चौड़ा व सपाट शीर्ष वाला उभरा हुआ प्लेटफार्म होता है। यह सामान्य स्पीड ब्रेकर की तुलना में लंबा और कम ढलान वाला होता है। वाहन जब इसके ऊपर से गुजरता है तो धीरे-धीरे चढ़ता और उतरता है। इसमें झटका नहीं लगता और वाहन के संतुलित की गति नियंत्रण होता है। इस पर सफेद पट्टी और रिफलेक्टर लगाना जरूरी होता है।
पीडब्ल्यूडी के मुताबिक टेबल टाप ब्रेकर की डिजाइन और माप
- कुल लंबाई - 6 से 10 मीटर
- ऊंचाई - 75 से 100 मिमी (7.5 से 10 सेमी)
- रैंप (ढलान) की लंबाई - 1.5 से 02 मीटर (दोनों साइड)
- टाप की लंबाई (समतल भाग) - 03 से 06 मीटर
कमर तोड़ ब्रेकर और टेबल टॉप ब्रेकर में अंतर
| विशेषता | कमर तोड़ ब्रेकर | टेबल टाप ब्रेकर |
|---|---|---|
| ऊंचाई | 15–25 सेमी | 7.5–10 सेमी |
| लंबाई | 0.4–0.8 मीटर | 6–10 मीटर |
| वाहन झटका | बहुत ज्यादा | बहुत कम |
| आराम और सुरक्षा | कम | अधिक |
कमर दर्द के मरीज बढ़ रहे हैं। सड़क पर ऊंचे ब्रेकर और गड्ढों की वजह से हर माह 450 से अधिक मरीज आते हैं। फिजियोथेरेपी कर उनका इलाज किया जाता है। उन्हें ब्रेकर और गड्ढों पर संभलकर वाहन चलाने की सलाह दी जाती है।
- डॉ. सैयद जौहर नकवी, फिजियोथेरेपिस्ट
पीडब्ल्यूडी कमर तोड़ ब्रेकर नहीं बनाता है। इस तरह के ब्रेकर बनाने का आदेश नहीं है। पीडब्ल्यूडी ने केवल टेवल टाप ब्रेकर बनाएं हैं।
- रामराजा, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी

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