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    गाजियाबाद में 330 करोड़ रुपये से होंगे विकास कार्य, 68 हजार घरों से जोड़ी जाएगी सीवर लाइन

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 09:20 AM (IST)

    गाजियाबाद में जल निगम की 330 करोड़ की परियोजना के तहत सीवर लाइन डालने के बाद भी 80 किलोमीटर सड़कों का पुनर्निर्माण नहीं हुआ है, जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है। धूल और गड्ढों से प्रदूषण और कमर दर्द की समस्या बढ़ रही है। 68 हजार घरों को सीवर लाइन से जोड़ा जाना है, लेकिन काम की गति धीमी होने से लोगों में निराशा है।

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    हसीन शाह, गाजियाबाद। गाजियाबाद में संकरी गलियों की कॉलोनी में सूरज की रोशनी शाम होने से पहले ही विदा हो जाती है। सूरज ढलने से पहले ही अंधेरा इन गलियों को अपने आगोश में ले लेता है लेकिन इन गलियों का अपना एक इतिहास है। यहां रौनक रहती है। देर रात तक रहने वाली चहलकदमी इन गलियों को गुलजार करती है, लेकिन पिछले एक वर्ष से चहलकदमी की गति धीमी सी हो गई है।

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    इसकी वजह से टूटी सड़कें। जल निगम ने 330 करोड़ की परियोजना के तहत ज्यादातर शहर की संकरी गलियों में सीवर लाइन डालने के बाद सड़कों को उनके हाल छोड़ दिया है। एक दो किलोमीटर नहीं बल्कि 80 किलोमीटर सड़कों की हालत इतनी खराब है कि रात में लोग ठोकर खाकर गिर गिर रहे हैं। गड्ढों से कमर दर्द की शिकायत बढ़ रही है।

    वहीं, हवा चलने पर धूल उड़ती है। यहां प्रदूषण लोगों की सांसों को नुकसान पहुंचा रहा है। अधिकारी मूकदर्शक बनकर तमाशबीन बने हुए हैं।


    मोहन नगर जोन में घरों का पानी नालों के जरिये हरनंदी नदी में गिर रहा है। इससे हरनंदी प्रदूषित हो रही है। यहां सीवर लाइन नहीं है। जल निगम द्वारा 330 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत सीवर लाइन बिछाने और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और सड़कों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। परियोजना का काम एक अप्रैल 2024 को शुरू हुआ था। जून 2026 तक इसका काम खत्म करना है। हालांकि जल निगम ने दिसंबर 2025 तक काम पूरा करने दावा किया है।

    जल निगम द्वारा मोहन नगर जोन में सीवर लाइन बिछाई जा रही है। जल निगम का दावा है कि 145 किलोमीटर में से 140 किलोमीटर लाइन बिछाई जा चुकी है। लाइन बिछाने के लिए बुलडोजर से सड़कों की खोदाई की गई है। सीवर लाइन डालने के बाद सड़कों का पुनर्निर्माण किया जाना था।

    निगम का दावा है कि उन्होंने 140 किलोमीटर सीवर लाइन डालने के बाद 60 किलोमीटर सड़क का पुनर्निर्माण कर दिया है। जबकि 80 किलोमीटर में अभी तक सड़क का पुनर्निर्माण नहीं हुआ है। खोदाई करने के बाद 80 किलोमीटर में सीवर लाइन डालने के बाद केवल मिट़्टी भरकर छोड़ दिया है।

    अर्थला की कई कॉलोनी हैं जहां पर एक वर्ष पहले सीवर लाइन डाली गई लेकिन अभी तक उनका पुनर्निर्माण नहीं हुआ। तीन लाख से ज्यादा लोगों को घर आने-जाने में परेशानी हो रही है। वर्षा होने पर समस्या ज्यादा बढ़ जाती है।

    68 हजार घरों को जोड़ा जाएगा सीवर लाइन से

    सीवर लाइन से मोहन नगर जोन के 68 हजार घरों को जोड़ा जाएगा। एसटीपी सहित मैन पंपिंग स्टेशन (एमपीएस) और पांच इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन (आइपीएस) बनाए जाएंगे। लोगों का आरोप है कि काम धीमी गति से चल रहा है। जिस वजह से हरनंदी को साफ करने का इंतजार बढ़ता जा रहा है।

    ग्रेप की पाबंदी लगने पर रुक जाएगा काम 

    ग्रेप की पाबंदी लागू होने पर निर्माण कार्य पर रोक लग जाती है। सर्दी बढ़ने पर प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है। इसके बाद पाबंदी लगती हैं। निगम को सड़कों के निर्माण पर देरी के लिए पाबंदी लागू होने का बहाना मिल जाता है। जबकि पाबंदी से पहले सड़कों का पुनर्निर्माण कार्य ढील बरती जा रही है।

    स्थानीय लोगों का कहना कहना है गड्ढों में वाहन चलाने पर कमर दर्द की शिकायतें बढ़ रही हैं। सड़क की मिट्टी नाले में भर गई है। इससे पानी निकासी अवरूद्ध हो रही है। जल भराव की समस्या बन गई है।

    परियोजना पर एक नजर

    • 330 करोड़ रुपये की परियोजना
    • 01 अप्रैल 2024 शुरू हुई थी परियोजना और जून 2026 तक इसका काम खत्म करना है
    • 140 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाई जा चुकी है
    • 60 किलोमीटर सड़क की मरम्मत लाइन डालने के बाद की जा चुकी है
    • 68 हजार घरों को सीवर लाइन से जोड़ा जाना है
    • 145 किलोमीटर बिछाई जानी है सीवर लाइन
    • 68 हजार घरों को सीवर लाइन से जोड़ा जाएगा
    • 20 हजार वर्ग मीटर भूमि बनाया जा रहा एसटीपी
    • एसटीपी सहित मैन पंपिंग स्टेशन (एमपीएस) और पांच इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन (आइपीएस) बनाए जाएंगे
    • जल निगम ने दिसंबर 2025 तक काम पूरा करने दावा किया है

    330 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत सीवर लाइन बिछाने के बाद सड़क बनाई जा रही है। योजना के तहत 140 किलोमीटर सीवर लाइन डालने के बाद 60 किलोमीटर सड़कों का पुनर्निर्माण कर दिया है। काम तेजी से किया जा रहा है। - अरुण प्रताप सिंह, अधिशासी अभियंता, जल निगम