NCR में धड़ल्ले से दौड़ रहीं गाजियाबाद रोडवेज की 300 BS-3/4 बसें , बढ़ते प्रदूषण पर CAQM की सख्ती भी बेअसर
गाजियाबाद रोडवेज की लगभग 300 BS-3/4 बसें NCR में धड़ल्ले से चल रही हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए CAQM की सख्ती भी बेअसर साबित हो रही है। पुराने मानकों वाली इन बसों के कारण NCR में प्रदूषण नियंत्रण एक बड़ी चुनौती बन गया है, और अधिकारियों की लापरवाही स्थिति को और गंभीर बना रही है।

कौशांबी बस अड्डे का ओवर व्यू। जागरण
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेश के बाद भी उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम गाजियाबाद रीजन में अभी तक 300 से अधिक बीएस-तीन व चार बसों को नहीं बदल सका। एनसीआर में प्रतिबंध के बाद भी इनमें से ज्यादातर बसों का संचालन किया जा रहा है, जिससे इन बसों से प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है। वहीं, अधिकारियों का दावा है कि बसों का रूट बदलकर उन्हें एनसीआर के बाहर शिफ्ट किया जा रहा है।
एनसीआर में प्रदूषण का बड़ा कारण पुराने वाहनों के संचालन को भी माना जा रहा है। इनमें रोडवेज की बीएस-3 व 4 बसें भी शामिल हैं। इसकी रोकथाम के लिए वायु प्रदूषण प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने बसों को बंद करने के लिए परिवहन निगम के अधिकारियों के साथ अक्टूबर 2023 में बैठक की थी।
इन बसों को एनसीआर में बंद करने का फैसला लिया गया था। इनके स्थान पर बीएस-छह, सीएनजी व इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाना था, लेकिन परिवहन निगम के अधिकारियों ने सीएक्यूएम से अनुमति लेकर बीते वर्ष बसों का संचालन गया था। अब सीएक्यूएम ने ग्रेप-तीन के अंतर्गत इन बसों के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है। इसके बाद भी इनमें से ज्यादातर बसों का संचालन किया जा रहा है, जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बीएस-3 व 4 बसों के संचालन पर आठ नवंबर 2023 को ही रोक लग चुकी है। वहां केवल बीएस-6 बसों को भेजा जा रहा है। जो बसें दिल्ली के आनंद विहार से संचालित होती थीं उन 50 से अधिक बसों को कौशांबी डिपो शिफ्ट कर दिया गया था। यहीं से इन बसों का संचालन किया जा रहा है।
बीते एक वर्ष में करीब 200 बसें आईं
दो वर्ष पहले परिवहन निगम के बेड़े में करीब 500 बीएस-तीन व चार बसें थीं। बीते करीब एक वर्ष में 200 बसों को बदला गया है। इनके स्थान पर बीएस-छह बसों को शामिल किया गया है। इनमें से बड़ी संख्या में बसों को नीलाम किया जा चुका है। बची हुई बसों को भी नीलाम किया जाएगा।
ऐसे समझें क्या है बीएस-6
बीएस यानी भारत स्टेज प्रदूषण मापक पैमाना है। इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है। ये वाहनों से उत्सर्जित होने वाले कार्बन का पर्यावरण और लोगों के सेहत पर पड़ रहा असर जांचता है और उसके अनुसार वाहन के स्तर को निर्धारित करता है। बीएस नंबर वाहनों के इंजन का प्रदूषण नियंत्रण का स्तर बताता है। यानी जितना बड़ा नंबर उतना कम प्रदूषण।
बीएस-3 व 4 बसों के रूटों में बदलाव किया जा रहा है। बची हुईं बसों के रूटों को भी बदलकर उनके स्थान पर बीएस-छह बसों का संचालन किया जा रहा है। अगले एक वर्ष में बची हुई बसों की उम्र पूरी हो जाएगी उनके स्थान पर बीएस-छह बसें आएंगी।
बिजय चौधरी, सेवा प्रबंधक, यूपीएसआरटीसी।

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