गाजियाबाद के रैन बसेरों का कोई नहीं रखवाला, कहीं बाहरी लोगों का आशियाना तो कहीं पर लटका ताला
गाजियाबाद में रैन बसेरों की हालत खराब है। देखभाल के अभाव में कुछ पर बाहरी लोगों का कब्जा है, तो कुछ बंद पड़े हैं। बेघर लोगों के लिए बने ये आश्रय स्थल दुर्दशा का शिकार हैं। नगर निगम की उदासीनता के कारण रैन बसेरों की स्थिति दयनीय बनी हुई है, जिससे जरूरतमंद लोगों को परेशानी हो रही है।
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एमएमजी जिला अस्पताल के रेन बसेरे में ताला लगा होने के कारण जमीन पर लेटा व्यक्ति। जागरण
मदन पांचाल, गाजियाबाद। केंद्र और प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के साथ ही मरीजों के तीमारदारों को बेहतर सुविधाएं देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं हैं लेकिन स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही से सुविधाओं का लाभार्थियों को उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है।
जिले के तीन बड़े अस्पतालों में मरीजों के तीमारदारों के लिए बनाये गये रैन बसेरों की हालत अच्छी नहीं है।कहीं बाहरी लोगों का आशियाना है तो कहीं पर ताला लटका रहता है। हालत यह है कि जिला अस्पतालों में मरीजों के तीमारदारों के लिये बनाये गये रैन बसेरों को कोई देखने वाला नहीं है। सुबह से दोपहर तक खुले रहते हैं लेकिन शाम होते ही रैन बसेरों पर ताला लटका जाता है।
संयुक्त अस्पताल के रैन बसेरे में ठेकेदार के कर्मचारियों का आशियाना
संजयनगर स्थित जिला संयुक्त अस्पताल के रैन बसेरे में बेड पड़े हैं। गद्दे भी हैं। चादर और तकिया गायब हैं। पडताल करने पर पता चला कि सोलर पैनल का काम कर रहे ठेकेदार के पांच-छह कर्मचारियों ने इस रैन बसेरे को अपना आशियाना बना लिया है। यदि कोई गलती से मरीज का तीमारदार पहुंच जाये तो उसे भगा दिया जाता है। रैन बसेरे में खाना बना रहे कर्मचारी ने बताया कि सीएमएस ने रहने के लिये उन्हे दिया गया है।
मुख्य दरवाजे की टूटी खिड़की, चादरें अस्त व्यस्त
जिला महिला अस्पताल के रैन बसेरे में बेड पड़े हैं। पंखा,कूलर के साथ हीटर भी लगा हुआ है लेकिन बेड की चादरें अस्त-व्यस्त रहती हैं। बेड पर खाने का सामान और पोलिथीन भी पड़ी हुई मिली। साफ सफाई का इंतजाम अच्छा नहीं है। मुख्य दरवाजे की खिड़की टूटी पड़ी है। इसके एक हिस्से का शीशा गायब है। सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं है। यह स्थिति तब है जबकि सर्दी होने लगी है।
दो बजे के बाद लटक जाता है ताला
जिला एमएमजी अस्पताल के रैन बसेरे में बेड के साथ हीटर तक का इंतजाम है लेकिन शाम को यह अधिकांश बंद रहता है। ओपीडी खत्म होने के बाद इस पर ताला लगा दिया जाता है। सुबह को आठ बजे से लेकर दो बजे तक इस रैन बसेरे में सफाई कर्मचारी,सुरक्षाकर्मी और कुछ अन्य स्वास्थ्यकर्मी आराम करते देखे जा सकते हैं।
जिला अस्पतालों के सीएमएस और सीएचसी के प्रभारियों को सख्त निर्देश जारी किये गये हैं कि रैन बसेरों को चालू कर दिया जाये। मरीजों के तीमारदारों के लिए बैठने, लेटने,सोने,पीने के पानी और हीटर का इंतजाम किया जाये। यदि कहीं पर निर्देशों का अनुपालन नहीं हो रहा है तो संबंधित से स्पष्टीकरण मांगा जायेगा।
- डॉ. अखिलेश मोहन, सीएमओ

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