आर्थिक तंगी और दर्द की जिंदगी, चैंपियन बनने का भी सपना टूटा; माता-पिता ने बेटे हरीश के लिए क्यों मांगी मौत?
गाजियाबाद के हरीश राणा 2013 से क्वाड्रिप्लेजिया से पीड़ित हैं और बिस्तर पर हैं। उनके माता-पिता ने हाई कोर्ट में इच्छामृत्यु की अपील की थी, जिसे खारिज ...और पढ़ें
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गाजियाबाद के हरीश राणा 2013 से क्वाड्रिप्लेजिया से पीड़ित हैं और बिस्तर पर हैं। जागरण ग्राफिक्स
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। हरीश राणा (32) की सांसें अभी चल रही हैं, लेकिन वह 2013 से जिंदा लाश की तरह बिस्तर पर हैं। क्वाड्रिप्लेजिया (100 परसेंट विकलांगता) से पीड़ित हरीश का शरीर पूरी तरह से निष्क्रिय है। उसे यूरिन बैग लगा हुआ है और ट्यूब के जरिए खाना दिया जाता है। उसके माता-पिता का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा दिन आएगा जब वे भगवान से अपने बेटे की लंबी उम्र के लिए नहीं बल्कि उसकी मुक्ति के लिए प्रार्थना करेंगे।
मां निर्मला देवी का कहना है कि भले ही उनका बेटा ठीक न हो, लेकिन वे उसके अंग दान करके दूसरों को नई जिंदगी देना चाहते हैं। उन्होंने हाई कोर्ट में इच्छामृत्यु की अपील की थी।
हालांकि, 8 जुलाई 2024 को हाई कोर्ट ने अपील खारिज कर दी थी। राजनगर एक्सटेंशन में राज अंपायर सोसायटी में रहने वाले अशोक राणा ने बताया कि 2013 में रक्षाबंधन था और उनके बेटे हरीश ने शाम 6:30 बजे अपनी बहन से बात की थी। एक घंटे बाद उन्हें खबर मिली कि उनका बेटा उनके पीजी की चौथी मंजिल से गिर गया है।

राजनगर एक्सटेंशन स्थित आवास पर बेटे हरीश की देखरेख करते पिता अशोक राणा व माता निर्मला देवी। अनिल बराल
उनके बेटे के सिर में गंभीर चोट लगी थी, लेकिन ऐसा कभी नहीं लगा कि वह कभी उठ पाएगा। वह पिछले 12 सालों से अपने बेटे की देखभाल और इलाज करवा रहे हैं। अशोक राणा ने बताया कि एडवोकेट मनीष जैन उनका केस फ्री में लड़ रहे थे।
हरीश वेटलिफ्टिंग फाइनल में हिस्सा लेने वाला था
अशोक राणा ने बताया कि उनका बेटा हरीश 2013 में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग में B.Tech फाइनल ईयर का स्टूडेंट था। एक्सीडेंट के अगले दिन उसे पंजाब यूनिवर्सिटी में वेटलिफ्टिंग फाइनल में हिस्सा लेना था। लेकिन एक्सीडेंट के बाद उनका बेटा कभी उठ नहीं पाया।
बेटे की मौत का दुख मनाना आसान नहीं
मूल रूप से हिमाचल के रहने वाले 63 साल के अशोक राणा कहते हैं कि उन्होंने अपने बेटे के लिए वह सब कुछ किया जो वह कर सकते थे। उन्होंने हरीश का इलाज PGI चंडीगढ़, AIIMS, RML, लोक नायक, अपोलो और फोर्टिस जैसे बड़े अस्पतालों में करवाया और सबसे अच्छे डॉक्टरों को दिखाया।
उन्होंने 27,000 रुपये महीने पर एक नर्स रखी और फिजियोथेरेपी पर भी हर महीने 14,000 रुपये खर्च किए। दवाओं पर भी महीने का खर्च 20,000 से 25,000 रुपये आता है। उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिलती। वह ताज सेट्स एयर केटरिंग से रिटायर हुए हैं और उन्हें हर महीने करीब 3,500 रुपये पेंशन मिलती है। उनका छोटा बेटा आशीष एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। वह किसी तरह गुजारा कर रहा है।
दिल्ली महावीर एन्क्लेव में उनका तीन मंज़िला घर था जिसे उन्होंने सितंबर 2021 में बेच दिया। अब उनके पास पैसे नहीं हैं। वह बूढ़े हो रहे हैं। वह हमेशा अपने बेटे के साथ नहीं रह सकते। अपने बेटे के लिए मौत मांगना आसान नहीं है, लेकिन वह हर दिन उसकी मौत नहीं देख सकते। उनका बेटा बहुत ज्यादा दर्द से गुजर रहा है।

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