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    लापरवाही उजागर, गाजियाबाद में ड्रग माफिया का नेटवर्क तोड़ने में फेल हैं दो औषधि निरीक्षक

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 09:06 AM (IST)

    लोनी में नकली दवा फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद गाजियाबाद के ड्रग विभाग की लापरवाही सामने आई है। दिल्ली पुलिस की छापेमारी से पता चला कि जिले में ड्रग माफ ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। लोनी में नकली दवा बनाने की फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद एक बार फिर गाजियाबाद के ड्रग विभाग की लापरवाही की पोल खुल गई। दिल्ली पुलिस द्वारा की गई छापामारी के बाद यह साबित हो गया कि जिले में ड्रग माफिया की जड़ें गहरी हैं, उनका नेटवर्क तोड़ने में जिले में तैनात दो औषधि निरीक्षक फेल साबित हो रहे हैं।

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    इसकी वजह भी साफ है कि औषधि निरीक्षकों के पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं न ही खुफिया तंत्र है। यही वजह है कि गलत तरीके से दवाओं की जिले से सप्लाई, नकली दवाएं बनाने का भंडाफोड़ जिले या फिर दूसरे राज्यों की पुलिस द्वारा किया जाता है।

    नकली दवाओं की फैक्ट्री पकड़े जाने से पहले तीन नवंबर को मेरठ रोड पर मछली गोदाम में क्राइम ब्रांच ओर ड्रग विभाग की टीम ने संयुक्त रूप से कफ सीरप की खेप पकड़ी थी, इसकी कीमत साढ़े तीन करोड़ रुपये है। यह कार्रवाई भी सोनभद्र पुलिस द्वारा दिए गए इनपुट के बाद की गई। इसके अलावा लोनी नकली दवाओं को तैयार करने के लिए हाटस्पाट बना है, वहां पर पूर्व में भी इस तरह के प्रकरण सामने आए हैं। इसके बावजूद ड्रग विभाग नेटवर्क को पूरी तरह से तोड़ने में विफल है।

    जिले में पांच हजार से अधिक मेडिकल स्टोर हैं। दवाओं की थोक बिक्री मुख्य तौर पर नई बस्ती स्थित दवा मार्केट से की जाती है। इसके अलावा नामी दवा कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर भी मोहन नगर, मेरठ रोड औद्योगिक क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर हैं। जिले में 500 से अधिक होल सेलर हैं।

    जब भी प्रदेश स्तर से दवाओं की चेकिंग का अभियान का निर्देश प्राप्त होता है तो लाइसेंस लेकर दवाओं की बिक्री करने वाले दुकानदारों के यहां चेकिंग की जाती है। नकली दवाएं बनाने, अवैध रूप से दवाओं की बिक्री और सप्लाई करने वालों तक औषधि निरीक्षकों के हाथ नहीं पहुंच पाते हैं। इस मामले में ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा से फोन पर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।