गाजियाबाद में टूटी सड़कों से उड़ती धूल से बढ़ा प्रदूषण का ग्राफ, सांस के मरीज पहुंचे रहे अस्तपाल
गाजियाबाद में टूटी सड़कों से उड़ती धूल के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। सांस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे अस्पतालों में भीड़ बढ़ गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय प्रशासन समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सड़कों की मरम्मत में देरी हो रही है।
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सिद्धार्थ विहार में टूटी सड़क पर उड़ती धूल। जागरण
शाहनवाज अली, गाजियाबाद। मौसम बदलने के साथ ही वायु प्रदूषण से हर कोई हांफता और खांसता नजर आ रहा है। चिकित्सकों के यहां वायु प्रदूषण से खांसी, जुकाम और सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाने हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को बढ़ते वायु प्रदूषण पर हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारकों को चिह्नित किया जा रहा है, जिसमें उद्योग, यातायात, निर्माण कार्य के साथ ही टूटी सड़कों पर उड़ती धूल ज्यादा जिम्मेदार है। दैनिक जागरण ने औद्योगिक और शहरी क्षेत्र में पड़ताल की तो कई जगह सड़क की जगह गड्ढ़े और उड़ती धूल मिली, जिससे हर खास-ओ आम परेशान दिखा।
बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र में यूपीसीडा की ओर से कई सड़कों का निर्माण किया गया, लेकिन अभी यहां कई अन्य सड़कों पर काम की जरूरत है। इन सड़कों से रोड़ी गायब है और गड्ढ़े व धूल में ही वाहन दौड़ रहे हैं। इससे उड़ने वाली धूल कर्मचारियों से लेकर आसपास खुले में काम करने वाल लोगों को बीमार बना रही है।
आइएएमए संगठन के महासचिव संजीव सचदेवा का कहना है कि लाल कुआं से आने वाली सड़कों पर धूल उड़ रही है। जहां सड़के बनी हैं वहां ट्रक-ट्रालों से जाम लगता है। मेरठ रोड औद्योगिक क्षेत्र में टाटा स्टील के निकट पूरी सड़क पर गहरे गड्ढों से धूल उड़ती है, जहां से कई स्कूलों के बच्चे होकर गुजरते हैं। यहां आसपास रहने वाले लोग धूल से परेशान हैं।
शहरी क्षेत्र में टूटी सड़कें आफत
सिद्धार्थ विहार, प्रताप विहार, राजनगर एक्सटेंशन के अलावा संजय नगर, पटेल नगर, शास्त्री नगर, नेहरू नगर समेत शहर के कई इलाकों की कई सड़कों पर धूल उड़ने से वायु प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है। इस संबंध में नगर निगम के मुख्य अभियंता एनके चौधरी का कहना है कि वर्षा में टूटी सड़कों को गड्ढामुक्त और बनाया जा रहा है। वहीं, जीडीए के मीडिया कोर्डिनेटर रुद्रेश शुक्ला कहना है कि प्राधिकरण क्षेत्र की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का अभियान जारी है।
मौसम बदलने के बाद अधिक प्रदूषण की शिकायत होगी, जिसमें धूल प्रमुख कारक होगा। फैक्ट्रियों की जगह वायु प्रदूषण और यातायात ज्यादा जिम्मेदार है। अधिकांश औद्योगिक क्षेत्रों में सड़कों की हालत खराब है, जिन्हें अविलंब बनवाना चाहिए।
- नीरज सिंघल, निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष आइआइए
औद्योगिक क्षेत्रों की अधिकांश में सड़कें दुरुस्त नहीं हैं। यहां वाहनों से उड़ती धूल मानव शरीर के लिए तो नुकसानदायक है ही। फैक्ट्री में बनने वाले उत्पादों के लिए भी कम खतरनाक नहीं है। इससे क्वालिटी खराब होने का पूरा खतरा है।
संजय अग्रवाल, अध्यक्ष चेप्टर गाजियाबाद आइआइए
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क को जीवनशैली का हिस्सा माना जाता है। वायु प्रदूषण बढ़ रहा है ऐसे में घर से बाहर निकलते समय मास्क का नियमित रूप से इस्तेमाल करें। - डॉ. आलोक रंजन, वरिष्ठ फिजिशियन एमएमजी अस्पताल

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