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    Year Ender 2025: गाजियाबाद में कागजों में योजनाएं, धरातल पर साफ नहीं आबोहवा; हर साल 10 से 15 दिन ही मिल पाती है स्वच्छ हवा

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 08:35 AM (IST)

    गाजियाबाद में प्रदूषण की समस्या गंभीर बनी हुई है। Year Ender 2025 के अनुसार, कागजों में कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन धरातल पर हवा की गुणवत्ता में कोई ...और पढ़ें

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    ट्रांस हिंडन में छाया स्मॉग। फोटो- मनोज कुमार

    राहुल कुमार, साहिबाबाद। जिले के लोगों को साफ आबोहवा दिलाने के लिए हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कागजों में तमाम योजनाएं बनीं। हुक्मरानों ने हवा-हवाई दावे भी किए, लेकिन फिर भी लोग इनसे वंचित रह गए। इस वर्ष भी अभी तक महज छह दिन ही साफ हवा मिल सकी।

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    लोगों को संतोषजनक, मध्यम, खराब, बेहद खराब के साथ ही गंभीर श्रेणी की हवा में भी रहना पड़ा। यही कारण है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से जारी स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 रैंकिंग में जिला 12वें स्थान पर रहा।

    गाजियाबाद के लोगों के लिए प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। सालभर में यहां के लोगों को अधिकतम 10 से 15 दिन ही शुद्ध हवा मिल पाती है। बाकी दिन लोगों को प्रदूषण में ही रहना पड़ता है। पिछले पांच साल में प्रदूषण रोकने के लिए विभिन्न कार्य किए गए। इसके बाद भी यहां प्रदूषण कम नहीं हुआ।

    सर्दी के मौसम में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए हर साल अक्टूबर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू होता है। इसके अंतर्गत निर्माण गतिविधियों, कोयला जलाने समेत विभिन्न कार्यों पर पाबंदी लग जाती हैं। इनसे उद्योगों को करोड़ों रुपये का नुकसान भी झेलना पड़ता है। आठ हॉटस्पॉट भी चिह्नित किए गए। कार्रवाई करने के लिए टीम भी गठित की गईं। इसके बाद भी वायु प्रदूषण पर रोक नहीं लग पा रही है।

    प्रदूषण रोकथाम के लिए इस वर्ष चिह्नित किए गए हॉटस्पॉट

    1. मोहननगर।
    2. राजनगर एक्सटेंशन।
    3. लोनी।
    4. भोपुरा-दिल्ली बार्डर।
    5. सिद्धार्थ विहार।
    6. कनावनी पुस्ता रोड।
    7. विजय नगर एंड साउथ साइड जीटी रोड।
    8. लालकुआं।

    प्रदूषण नियंत्रण के लिए इन बिंदुओं पर होनी चाहिए काम

    • निर्माण कार्य में धूल उड़ने पर रोक लगे।
    • 15 साल पुराने वाहनों पर रोक लगे।
    • सीएनजी और ई-वाहनों की संख्या बढ़े।
    • जाम की समस्या को खत्म करना।
    • अवैध फैक्ट्रियों को बंद करना होगा।
    • सड़कों पर पानी का छिड़काव हो।
    • कूड़ा व अन्य वेस्ट पदार्थ जलाने पर रोक लगे।
    • जनरेटर चलाने पर पूरी तरह रोक लगे।

    किस वर्ष कितने दिन मिली साफ हवा

    वर्ष साफ
    2020 13
    2021 10
    2022 12
    2023 10
    2024 15
    2025 06

    पिछले छह वर्ष में अधिकतम प्रदूषण की स्थिति

    वर्ष एक्यूआई
    2020 484
    2021 485
    2022 487
    2023 478
    2024 467
    2025 459

    छह वर्ष में अवैध फैक्ट्री सील

    वित्तीय वर्ष सील फैक्ट्री
    2020-21 180
    2021-22 353
    2022-23 380
    2023-24 308
    2024-25 294
    2025-26 307

    चार स्थानों पर लगाए गए प्रदूषण मापक यंत्र

    • वसुंधरा
    • इंदिरापुरम
    • संजय नगर
    • लोनी

    हरनंदी के साफ होने की उम्मीद पर पानी फेर रहे अधिकारी

    हरनंदी नदी के साफ होने की उम्मीद पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व अन्य विभागों के अधिकारी पानी फेर रहा है। जिला प्रशासन द्वारा हरनंदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया। समिति निगरानी तो कर रही है लेकिन केवल खानापूरी की जा रही है। जिले में जगह-जगह रंगाई फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। इन फैक्ट्रियों का पानी नाले में डलने के बाद हरनंदी नदीं में गिरता है। इससे हरनंदी का पानी जहरीला हो गया है।

    अक्टूबर की रिपोर्ट के मुताबिक, बागपत और मेरठ क्षेत्र में नदी के पानी में घुलनशील आक्सीजन (डीओ) की मात्रा शून्य थी। गाजियाबाद क्षेत्र में नदी के पानी में डीओ की मात्रा 2.60 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंची। प्रदूषण बोर्ड का दावा है कि ट्रानिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र की 280 फैक्ट्रियों (रसायन प्रयुक्त करके उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियां) का एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (इटीपी) चालू कराया।

    जल गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानक

    • घुलित आक्सीजन की मात्रा - श्रेणी
    • छह मिलीग्राम प्रति लीटर - ए
    • पांच मिलीग्राम प्रति लीटर - बी
    • चार मिलीग्राम प्रति लीटर - सी व डी
    • चार मिलीग्राम प्रति लीटर से कम - ई

    ये कार्य होने चाहिए

    • हरनंदी में नाले डलने बंद होने चाहिएं।
    • नालों के मुहानों पर जाली के बजाय एसटीपी से पानी शोधित करना चाहिए।
    • अधिकारियों को योजना बनाकर जमीनी स्तर पर कार्य करना चाहिए।
    • हरनंदी में पूजा सामग्री डालनी बंद होनी चाहिए।
    • हरनंदी में मूर्ति विसर्जन पर रोक का पालन हो।

    औद्योगिक क्षेत्र से अधिक रिहायशी इलाकों में अधिक शोर

    प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि महानगर के रिहायशी इलाकों में औद्योगिक क्षेत्रों से ज्यादा शोर-शराबा है। बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण की जांच की जा रही है। रिहायशी इलाकों में मानकों से ज्यादा आया है। इसे कम करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।

    वर्ष 2025 में प्रदूषण की स्थिति

    क्षेत्र दिन रात
    रिहायशी 57.15 48.13
    व्यवसायिक 65.17 52.74
    शांत क्षेत्र 50.36 42.60
    औद्योगिक 72.32 65.40

    ये हैं ध्वनि प्रदूषण के कारण

    • शहर में कई मार्गों पर जाम की समस्या।
    • वाहनों के हार्न।
    • आयोजनों में तेज ध्वनि यंत्रों का शोर
    • औद्योगिक गतिविधियां।

    ध्वनि प्रदूषण रोकथाम के ये दावे

    • रात 10 बजे के बाद तेज ध्वनि यंत्र पर रोक।
    • प्रेशर हार्न लगवाने वाले वाहनों पर कार्रवाई।

    आठ स्थानों पर होती है ध्वनि प्रदूषण की जांच

    • वसुंधरा सेक्टर-16
    • मॉडल टाउन
    • बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र
    • साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र
    • नया बस अड्डा
    • वैशाली मेट्रो स्टेशन
    • एमएमजी अस्पताल
    • वसुंधरा के जयपुरिया स्कूल के पास



    प्रदूषण रोकथाम के लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर कार्य किए जा रहे हैं। जो भी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हरनंदी नदी में गिरते हैं उनका निरीक्षण कर उद्योगों पर जुर्माना लगाया जाता है। ध्वनि प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई होती है।


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    -अंकित सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड