तीन दिन से 'गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है गाजियाबाद की हवा, देशभर में दूसरे स्थान पर है शहर
गाजियाबाद में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने से हवा गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 444 तक पहुंच गया है, जिससे यह देश में द ...और पढ़ें
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प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने से की गाजियाबाद की हवा गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने से जिले की हवा गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। तीन दिनों से गाजियाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से ऊपर पहुंच रहा है। सोमवार को भी एक्यूआई 444 रहा और इसके साथ ही गाजियाबाद के तीनों स्टेशन पर भी हवा गंभीर श्रेणी में रही। लगातार दूरे दिन भी लोनी का वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज नहीं किया जा सका।
सोमवार को जिला प्रदूषण के मामले में देश में दूसरे स्थान पर रहा। पहले नंबर पर 447 एक्यूआई के साथ ग्रेटर नोएडा, तीसरे पर 437 एक्यूआइ पर नोएडा और चौथे स्थान पर दिल्ली रहा। दिल्ली का एक्यूआई 427 दर्ज किया गया। गाजियाबाद में लगातार तीन दिन से प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है। तीनों स्टेशन पर भी 400 से ऊपर एक्यूआई के साथ हवा जहरीली दर्ज की गई।
लोनी में रविवार को भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एप पर अपडेट नहीं किया गया था और सोमवार को भी यही स्थिति रही। लोनी में दिसंबर के 13 दिन हवा बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की जा रही थी। सुबह के समय कोहरा और धुंध होने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ग्रेप-4 लागू होने के बाद सभी नियमों का सख्ती से पालन कराए जाने की अपील संबंधित विभागों और निकायों से की है।
पेड़ों पर जम रही धूल, कैसे मिले ताजी हवा
नगर निगम यूं तो छिड़काव कराने के दावे कर रहा है लेकिन पेड़ों पर जम रही धूल की मोटी चादर से ताजी हवा मिलना भी मुश्किल हो रहा है। ट्रांस हिंडन क्षेत्र में कई जगह पेड़ों पर धूल जमी हुई है। वसुंधरा में सबसे अधिक धूल देखी जा सकती है। इसको लेकर लोगों ने भी सवाल उठाए हैं।
सेक्टर-15 शिखर एन्क्लेव निवासी संदीप गुप्ता ने बताया कि वसुंधरा में 40 से अधिक पेड़ों पर धूल जमी हुई है। उन्होंने नगर निगम के जनसुनवाई पोर्टल और एक्स पर इसकी शिकायत की है। संदीप ने बताया कि सोसायटी में ही 30 से अधिक पेड़ धूल लदे पड़े हैं।
उन्होंने बताया कि पत्तियों पर धूल की परत जमा होने से संश्लेषण की प्रक्रिया भी नहीं हो पा रही है। पत्तियों में छोटे-छोटे छेद होते हैं, जिन्हें स्टोमेटा कहते हैं। इनके जरिये पत्तियां हवा से कार्बन डाइआक्साइड , सूर्य का प्रकाश और जमीन से जल लेकर संश्लेषण की प्रक्रिया करती हैं। इससे आक्सीजन का उत्सर्जन होता है। उन्होंने नगर निगम से पेड़ों की धुलाई के लिए मशीन की व्यवस्था करने के लिए कहा है।
प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रयास तेज किए गए हैं। लकड़ी-कोयला जलाने वालों की निगरानी की जा रही है। अवैध फैक्ट्रियों पर भी कार्रवाई की जा रही है। - अंकित सिंह, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी

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