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    देश में गाजियाबाद की हवा 'सबसे खराब', बीते 5 दिनों से AQI 400 पार; 45 लाख आबादी की सांसों पर संकट

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 09:22 PM (IST)

    गाजियाबाद में प्रदूषण का स्तर गंभीर है, जिससे 45 लाख लोगों की सांसों पर संकट मंडरा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 422 दर्ज किया गया, जो देश में सबसे अधिक है। लोनी क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषित है। प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत और गले में खरास जैसी समस्याएं हो रही हैं।

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    गाजियाबाद में वायु की गुणवत्ता बीते 5 दिनों से गंभीर श्रेणी में।

    जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। बेहतर सुविधाओं की उम्मीद लेकर लोग एनसीआर में आते हैं। जीवनभर की कमाई से बहुमंजिला इमारतों में घर खरीदते हैं। यहां लोगों को जीवन आसान बनाने के लिए पैसे के बल पर तमाम सुविधाएं तो मिल जाती हैं, लेकिन साफ हवा के लिए वर्षभर तरसते रहते हैं। वर्ष में माह के बराबर दिन भी साफ हवा नहीं मिल पाती है। बीते तीन दिन से प्रदूषण के कारण गाजियाबाद की हवा देश में सबसे ज्यादा बीमार स्थिति में है। हवा गंभीर श्रेणी में होने से 45 लाख आबादी की सांसों पर संकट छाया हुआ है।

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    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार शुक्रवार को जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 422 दर्ज किया गया। इसके साथ ही देश में सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है। इससे पहले भी 19 व 20 नवंबर को भी यहां का एक्यूआइ सबसे अधिक दर्ज किया गया। आए दिन गाजियाबाद की स्थिति देश में सबसे खराब रहती है।

    इसके बाद भी उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड अपनी निगरानी व कार्रवाई नहीं बढ़ा रहा है। करीब 20 से अधिक विभागों को प्रदूषण रोकथाम की जिम्मेदारी दी गई, सभी विभाग जिम्मेदारी निभाने के बजाय खानापूरी कर रहे हैं। जिला प्रशासन को भी रिपोर्ट के नाम पर फोटो भेज दिए जाते हैं। लोगों का कहना है कि अगर प्रदूषण से बचाना है तो इसके लिए विभागों को ठोस योजना बनाकर पूरी जिम्मेदारी के साथ कार्य करना होगा।

    सभी इलाकों की स्थिति गंभीर, लोनी का एक्यूआई सबसे अधिक

    जिले में सभी इलाकों की स्थिति गंभीर है। लोनी क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषित बना हुआ हैै। यहां का एक्यूआइ 465 दर्ज किया गया। इसके बाद भी दिनभर में यहां पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, इंदरिापुरम व संजय नगर का एक्यूआइ भी 400 पार बना हुआ है।

    ग्रेप के नियमों का उल्लघंन करने पर एक प्लांट सील

    एनसीआर में ग्रेप (ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान)-तीन लागू है। इसके अंतर्गत विभिन्न पाबंदियां लगी हुई हैं। इसके बाद भी ग्रेप के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की टीम ने शुक्रवार को रिहिनो आरएमसी प्लांट वैशाली एक्सटेंशन पर सीलिंग की कार्रवाई की।

    प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़ रहे ये प्रभाव

    • प्रदूषण के कारण गले में खरास की समस्या।
    • प्रदूषण से आंखों में जलन की हो रही समस्या।
    • प्रदूषण के कारण सांस लेने में हो रही दिक्कत।
    • सांस व दमा के मरीजों की बढ़ रही परेशानी।
    • बच्चों व बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा प्रभाव।

    सीपीसीबी के अनुसार एक्यूआई

    • गाजियाबाद- 422
    • इंदिराुपरम- 404
    • लोनी - 465
    • संजय नगर- 401
    • वसुंधरा - 387

    प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पांच टीम निगरानी कर रही हैं। जहां भी मानकों का उल्लंघन होता पाया जाता है उस पर कार्रवाई की जाती है। संबंधित विभाग भी अपने-अपने स्तर से प्रदूषण रोकथाम में जुटे हैं। - अंकित सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड