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    गाजियाबाद में दमघोंटू धुएं से बढ़ा वायु प्रदूषण, सांस लेने में हो रही परेशानी; सोशल मीडिया पर लोग एक्टिव

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 09:58 AM (IST)

    गाजियाबाद में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं के कारण वायु प्रदूषण बढ़ गया है। एक नागरिक ने एक्स पर तस्वीरें साझा कर प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार पहुंचने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहले भी कई इकाइयों पर कार्रवाई की है, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है।

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    गाजियाबाद में औद्योगिक इकाइयां भी दमघोंटू धुआं फैला रहीं हैं।

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। दिल्ली-एनसीआर में पहले से ही गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे गाजियाबाद में औद्योगिक इकाइयां भी दमघोंटू धुआं फैला रहीं हैं। शहर के जागरूक नागरिक ने एक्स प्लेटफार्म के माध्यम से तस्वीरें साझा कर प्रशासन और यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) का ध्यान इन अनियंत्रित औद्योगिक उत्सर्जन की ओर आकर्षित किया है।

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    गाजियाबाद की हवा पहले से ही गंभीर श्रेणी में है। यहां एक्यूआइ (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 400 के पार पहुंच गया है। लोगों का सांस लेना तक दूभर है और अधिकांश लोगों के गले में खराश और खांसी की शिकायत होने पर वह अस्पताल पहुंच रहे हैं।

    शहरी नागरिक सचिन त्यागी ने एक्स पर तस्वीरें पोस्ट कर दिखाया कि कैसे कुछ औद्योगिक इकाइयां बिना किसी फिल्टरेशन सिस्टम के काला धुआं सीधे वातावरण में छोड़ रही हैं। इस जहरीली हवा का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, जिससे सांस संबंधी बीमारियां और हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं।

    वायु प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां और नियम

    प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार गाजियाबाद में 403 अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योग हैं जो प्रदूषण स्तर में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। बोर्ड ने पहले भी प्रदूषण फैलाने वाली कई इकाइयों को नोटिस जारी किया है और जुर्माना लगाया है। कुछ आरएमसी प्लांटों को सील भी किया गया है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत वायु प्रदूषण फैलाने पर पांच साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान है। हालांकि, नागरिक की इस ताज़ा शिकायत ने एक बार फिर इन नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

    स्थानीय लोगों ने प्रशासन से नियमित निगरानी और सख्त कार्यवाही की मांग की है। ताकि औद्योगिक इकाइयां पर्यावरण मानकों का पालन कर सकें और लोगों को राहत मिले।