गाजियाबाद में खराब हवा से सीओपीडी के मरीजों की सांसों पर आफत, रोज 30 से ज्यादा मरीज हो रहे भर्ती
गाजियाबाद में वायु प्रदूषण के कारण सीओपीडी रोगियों की हालत गंभीर हो गई है। अस्पतालों में प्रतिदिन 30 से अधिक मरीज भर्ती हो रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ गया है। डॉक्टरों का कहना है कि खराब हवा के कारण मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। स्वास्थ्य विभाग लोगों को प्रदूषण से बचने की सलाह दे रहा है।
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जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। बढ़ता वायु प्रदूषण और सर्दी की दस्तक के चलते सीओपीडी के मरीजों की सांसों पर आफत आने लगी है। सरकारी अस्पतालों में रोज 30 से अधिक मरीज भर्ती हो रहे हैं।20 से अधिक मरीजों को आक्सीजन पर रखा जा रहा है। जिला एमएमजी अस्पताल की ओपीडी में बुधवार को खांसते खांसते पहुंचे 179 में से 126 मरीजों का चेस्ट एक्स-रे कराया गया।
जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डा. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि इमरजेंसी में सांस के मरीजों के बेहतर इलाज के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति निर्बाध कराई जा रही है। आक्सीजन सिलेंडर भी रिजर्व में रखवा दिये गये हैं। उनके अनुसार इमरजेंसी में पिछले 24 घंटे में पहुंंचे पांच मरीजों को जांच के बाद मृत घोषित किया गया है। इसके अलावा नौ मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया गया है।
ओपीडी में 64 बच्चों समेत बुखार के 439 मरीज पहुंचे। जिला एमएमजी अस्पताल, संजयनगर स्थित संयुक्त अस्पताल और डूंडाहेड़ा अस्पताल की ओपीडी में कुल 4,056 मरीज पहुंचे। इनमें 2,084 महिला, 1,455 पुरूष और 557 बीमार बच्चे शामिल रहे।
फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा ने बताया कि ओपीडी में वायु प्रदूषण बढ़ने के चलते सांस लेने में परेशानी, पेट में संक्रमण, थकान, आंखों में जलन और जोड़ों में दर्द के मरीज अधिक पहुंच रहे हैं। सबसे अधिक चेस्ट इंफेक्शन के मरीज पहुंच रहे हैं।
24 घंटे में जिला एमएमजी अस्पताल में मृत घोषित मरीजों का विवरण
- नीरज शर्मा (50) मधुमेह एवं सांस की बीमारी
- बिलकिस (54) सीओपीडी
- मुन्ना सिंह (55) सीओपीडी
- अरविंद (65) सांस लेने में परेशानी
- प्रेमलता (70) सांस लेने में परेशानी
क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों की एक स्थायी स्थिति है जो फेफड़ों को होने वाली क्षति के कारण होती है। इस क्षति के परिणामस्वरूप वायुमार्गों में सूजन और जलन होती है, जिसे इन्फ्लेमेशन भी कहा जाता है, जिससे फेफड़ों में और बाहर हवा का प्रवाह सीमित हो जाता है। वायु प्रदूषण बढ़ने, स्माग और धूल के चलते सामान्य लोगों को भी सांस लेने में परेशानी होने लगती है। आक्सीजन की जरूरत पड़ने लगती है। अस्थमा, सांस और हृदयरोगियों की परेशानी और बढ़ने लगती है। खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिये। मास्क का उपयोग करना चाहिये। अधिक से अधिक पानी पीना चाहिये। घर में वेंटिलेशन का इंतजाम होना चाहिये। सुबह-शाम टहलना बंद कर देना चाहिये। योग बहुत जरूरी है।
- डॉ. आशीष अग्रवाल, पल्मोनालाजिस्ट

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