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    पिस्टल दिखाकर पुलिसकर्मियों की वर्दी फाड़ने के तीन आरोपी 21 साल बाद दोषमुक्त, वर्दी फाड़ने का लगा था आरोप

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 08:47 AM (IST)

    गाजियाबाद में 2004 में अलविदा जुमा की नमाज के दौरान पुलिसकर्मियों से मारपीट और वर्दी फाड़ने के आरोप में तीन लोगों को 21 साल बाद न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा, जिसके चलते तीनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। पुलिस अदालत में आरोप साबित करने में विफल रही।

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    जागरण संवाददाता,गाजियाबाद। कोतवाली क्षेत्र में 12 नवंबर 2004 को अलविदा जुमा में ट्रैफिक ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों को पिस्टल दिखाकर उनकी वर्दी फाड़ने के तीन आरोपितों को न्यायालय ने 21 वर्ष बाद दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा है। तीनों आरोपित जमानत पर जेल से बाहर थे।

    अलविदा जुमा की नमाज के दौरान 12 नवंबर 2004 को लगभग 1:55 बजे चौधरी मोड़ पर पुलिस ट्रैफिक ड्यूटी पर तैनात थी। नमाज के मद्देनजर अंबेडकर रोड से सिविल लाइन लालकुआं की ओर जाने वाले मार्ग पर यातायात को डायवर्ट किया गया था। तभी एक कार जबरन रोक लगे मार्ग पर जाने लगी। सिपाही जितेंद्र चौहान और श्रीपाल नागर ने कार को वापस मोड़ने के लिए कहा।

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    इस पर कार चालक मोहम्मद इरफान और उसमें बैठे हामिद और चौधरी मुजाहिद ने उन्हें गालियां देते हुए मारपीट शुरू कर दी। शोर सुनकर मौके पर मौजूद सिपाही राकेश कुमार और अन्य पुलिसकर्मी पहुंचे तो मुजाहिद ने लाइसेंसी पिस्टल निकालकर खुद को छुड़ाने की कोशिश की। आरोपितों ने पुलिसकर्मियों की वर्दी फाड़ दी गई।

    पुलिस तीनों आरोपितों को हथियार व आठ कारतूस सहित कोतवाली लेकर पहुंची। आरोपितों के खिलाफ कोतवाली में धारा 332, 353 और 504 आइपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के दौरान पुलिस ने मामले के गवाहों के बयान दर्ज कराए। तीनों आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अभियोजन ने घटनास्थल पर तैनात तीन पुलिसकर्मियों को गवाह बनाया।

    पुलिस कोर्ट ने कोई स्वतंत्र गवाह पेश नहीं कर पाई। आरोप पत्र व एफआइआर में पुलिस ने किसी स्वतंत्र गवाह का नाम नहीं लिखा। साक्ष्य के अभाव में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा बनौधिया ने इरफान, हामिद और मुजाहिद को दोषमुक्त कर दिया।