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    गाजियाबाद पुलिस पर फायरिंग करने वाले आरोपी रिहा, कोर्ट ने इस वजह से दी जमानत

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 06:33 AM (IST)

    गाजियाबाद के लोनी में पुलिस दल पर फायरिंग करने के आरोपी जुल्फिकार को कोर्ट ने जमानत दे दी है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. दिनेश चंद्र शुक्ला की अदालत ने स्वतंत्र गवाहों की कमी और पुलिसकर्मी के घायल न होने के आधार पर यह फैसला सुनाया। पुलिस ने आरोपी को अवैध हथियार और चोरी की बाइक के साथ गिरफ्तार किया था, लेकिन अदालत ने आरोपी की पत्नी के तर्कों को मानते हुए जमानत दे दी।

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    गाजियाबाद के लोनी में पुलिस दल पर फायरिंग करने के आरोपी जुल्फिकार को कोर्ट ने जमानत दे दी है।

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. दिनेश चंद्र शुक्ला की अदालत ने सोमवार को लोनी थाना क्षेत्र में पुलिस दल पर फायरिंग करने के आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया। आरोपी ने पुलिस पर फायरिंग कर हत्या का प्रयास किया था। एक पुलिसकर्मी बाल-बाल बच गया। अदालत ने स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति और पुलिसकर्मी के घायल न होने के आधार पर आरोपी को जमानत दे दी।

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    पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 317(2), 317(5) और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25/27 के तहत मामला दर्ज किया था। पुलिस के अनुसार, 7 मई 2025 की रात करीब 9:45 बजे पुलिस लोनी के शकलपुरा के पास वाहनों की चेकिंग कर रही थी। पुलिस ने बाइक सवार जुल्फिकार को रुकने का इशारा किया तो जुल्फिकार ने पुलिस दल पर जान से मारने की नीयत से फायरिंग कर दी।

    पुलिस ने आरोपी को घेरकर गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से एक अवैध तमंचा, एक जिंदा व एक खोखा कारतूस और एक चोरी की बाइक बरामद हुई। पुलिस ने आरोपी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। आरोपी की पत्नी रुक्सार की ओर से ज़मानत याचिका दायर की गई थी। रुक्सार ने कहा कि उसके पति से कुछ भी बरामद नहीं हुआ। पुलिस ने अपनी अच्छी कार्यप्रणाली दिखाने के लिए झूठा मामला गढ़ा था। गोलीबारी में कोई भी पुलिसकर्मी घायल नहीं हुआ। पुलिस ने कोई स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया। उसका पति 8 मई, 2025 से जेल में है।

    अभियोजन पक्ष के वकील ने ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी का आपराधिक इतिहास रहा है और उसे रिहा नहीं किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने और केस डायरी देखने के बाद, अदालत ने स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति और पुलिस अधिकारी के घायल न होने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए ज़मानत दे दी।