गाजियाबाद कमिश्नरेट में पुलिसिंग का होगा विस्तार, 11 नए थानों का प्रस्ताव; इन जगहों को किया गया चिह्नित
गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में 11 नए थानों के गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जिसका उद्देश्य पुलिसिंग व्यवस्था को मजबूत करना है। वृंदावन गार्डन, ग ...और पढ़ें
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गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में 11 नए थानों के गठन का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। तेजी से बढ़ती आबादी, शहरी विस्तार और कानून-व्यवस्था की चुनौतियों को देखते हुए गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में 11 नए थानों के गठन का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है। यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो जिले की पुलिसिंग व्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी और मौजूदा थानों पर बढ़ता दबाव काफी हद तक कम होगा। मौजूदा समय में कमिश्नरेट में 24 थाने हैं जबकि एक महिला थाना भी है।
प्रस्ताव के तहत साहिबाबाद और शालीमार गार्डन थानाक्षेत्र के कुछ हिस्सों को अलग कर वृंदावन गार्डन थाना बनाया जाएगा। इसी तरह मोदीनगर और मुरादनगर थानों के क्षेत्र विभाजन से गंगनहर थाना गठित करने की योजना है। साहिबाबाद थानाक्षेत्र से ही करहेड़ा में हरनंदी थाना, जबकि मुरादनगर के हिस्से से रावली थाना प्रस्तावित किया गया है।
इन पांच थानों के लिए जमीन पहले ही चिन्हित कर ली गई है, जिससे इनके निर्माण और संचालन में तेजी आने की संभावना है। इसके अलावा कमिश्नरेट क्षेत्र में राजनगर एक्सटेंशन, सिद्धार्थ विहार, पटेल नगर, वसुंधरा, अवंतिका, गोविंदपुरी और दामोदर विहार में नए थाने खोलने का प्रस्ताव है। इनमें राजनगर एक्सटेंशन को प्राथमिक क्षेत्र माना जा रहा है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में बहुमंजिला सोसायटियों के साथ घनी आबादी रहती है और वर्तमान में यह इलाका नंदग्राम थानाक्ष्ज्ञेत्र में आता है।
सिद्धार्थ विहार में भी नए थाने की आवश्यकता है। यहां भी बहुमंजिला सोसायटी लगातार विकसित हो रही हैं। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि नए थानों के गठन से न केवल पुलिस की प्रतिक्रिया समय में सुधार होगा, बल्कि अपराध नियंत्रण, गश्त और स्थानीय स्तर पर शिकायतों के निस्तारण में भी तेजी आएगी।
गाजियाबाद लगातार विस्तार कर रहा है और उसी अनुपात में पुलिस संसाधनों का विस्तार जरूरी है। उन्होंने कहा कि नए थानों का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है और मंजूरी मिलते ही चरणबद्ध तरीके से इन्हें जमीन पर उतारा जाएगा। इसका सीधा लाभ आम नागरिकों को मिलेगा और पुलिसिंग अधिक प्रभावी व जनोपयोगी बन सकेगी। - जे रविंदर गौड, पुलिस आयुक्त

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