गैंगस्टर बिट्टू गुर्जर की जमानत अर्जी खारिज, हत्या कर शव को ठिकाने लगाने की रची थी साजिश
गैंगस्टर बिट्टू गुर्जर की जमानत याचिका अदालत ने खारिज कर दी है। उस पर हत्या करने और शव को ठिकाने लगाने की साजिश रचने का आरोप है। अदालत ने सबूतों के आधार पर यह फैसला सुनाया, जिससे बिट्टू गुर्जर को राहत नहीं मिली। पुलिस ने उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश किए थे।
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जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर एक्ट) एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-12, विनोद कुमार ने गैंगस्टर बिट्टू गुर्जर उर्फ तुषार की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने माना कि आरोपित सक्रिय आपराधिक गिरोह का सदस्य है और समाज विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है।
उसकी रिहाई से सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है। अदालत में दाखिल रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी के खिलाफ थाना मोदीनगर में धारा 302, 201, 364, 120बी आइपीसी के तहत मुकदमा दर्ज है। आरोपित ने अपने साथियों के साथ मिलकर दीन मोहम्मद नामक व्यक्ति की हत्या कर शव को ठिकाने लगाने की साजिश रची थी।
इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। आरोपित जेल में बंद है। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि बिट्टू गुर्जर एक सक्रिय गिरोह से जुड़ा हुआ है जो हत्या, अपहरण, रंगदारी और अन्य गंभीर अपराधों के जरिए अवैध धन अर्जित करता है। उसके खिलाफ गैंग चार्ट भी तैयार किया गया है जिसमें कई संगीन अपराध दर्ज हैं।
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि यदि उसे जमानत पर छोड़ा गया तो वह समाज में भय का माहौल पैदा कर सकता है तथा गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दलील दी कि आरोपित निर्दोष है। उसे झूठा फंसाया गया है। वह एक जिम्मेदार नागरिक है। उसे जमानत दी जानी चाहिए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि केस रिकार्ड और गैंग चार्ट के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि आरोपित एक आपराधिक गैंग से जुड़ा है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त की जमानत पर रिहाई से न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। प्रकरण के समस्त तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए आरोपित को जमानत देने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है। जमानत अर्जी निरस्त की जाती है।

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