सिस्टम ने छोड़ा साथ तो दोस्त ने पकड़ा हाथ, गाजियाबाद के MMG अस्पताल में दिखी सच्ची दोस्ती की मिसाल
गाजियाबाद के एमएमजी अस्पताल में एक दोस्त ने घायल दोस्त की मदद कर इंसानियत की मिसाल पेश की। सड़क हादसे में घायल प्रदीप को उसका दोस्त मोनू अस्पताल लेकर गया और उसे पीठ पर लादकर ओपीडी और प्लास्टर रूम तक ले गया। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण उन्हें व्हीलचेयर तक नहीं मिली। सीएमएस ने जांच का आश्वासन दिया है।
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मदन पांचाल, गाजियाबाद। दोस्ती फिल्म की कहानी सोमवार को जिला एमएमजी अस्पताल में देखने को मिली। सिस्टम ने जब साथ छोड़ा तो दोस्त ने हाथ पकड़ लिया। इतना ही नहीं पीठ पर घायल दोस्त को लेकर कभी ओपीडी कक्ष तो कभी प्लास्टर रूम में घूमता रहा। इस दौरान कमरा नंबर पूछने से भी उसकी हिम्मत नहीं टूटी। दरअसल दुहाई के रहने वाले प्रदीप सोमवार सुबह को बाइक से ड्यूटी जा रहे थे।
नंदग्राम में बुजुर्ग को बचाने के चक्कर में बाइक गिर गई और वह बुरी तरह से घायल हो गया। घायल प्रदीप ने तुरंत अपने दोस्त मोनू को फोन करके कराहते हुए हादसे की सूचना दी। मोनू कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गया और घायल प्रदीप को बाइक पर बैठाकर जिला एमएमजी अस्पताल में पहुंचा। पर्ची बनवाने को मोनू ने दोस्त प्रदीप को पीठ पर बिठाया और काफी देर कतार में खड़ा रहा।
इसके बाद चिकित्सक की ओपीडी में भी पीठ पर लेकर पहुंचा। इंतजार के बाद हड्डी रोग विशेषज्ञ ने एक्स-रे जांच की सलाह पर्ची पर लिख दी। एक्स-रे के लिए भी मोनू पीठ पर बिठाकर कतार में खड़ा होकर अपनी बारी का इंतजार करता रहा। इसके बाद फिर चिकित्सक के पास पहुंचा। एक्स-रे देखने के बाद चिकित्सक ने प्लास्टर कराने को भेज दिया।
प्लास्टर कहां होता है, यह पूछता हुआ मोनू पूरे अस्पताल परिसर में घूमता रहा लेकिन किसी ने कक्ष संख्या नहीं बताई। बाद में खुद ही झांककर देखा और प्लास्टर रूम के बाहर जाकर बैठ गया। चौंकाने वाली बात यह है कि कोने कोने में लगे सीसीटीवी के बाद भी अस्पताल प्रबंधन की ओर से उक्त दोस्तों को किसी ने व्हील चेयर और स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं कराई। उधर, सीएमएस डा. राकेश कुमार सिंह का कहना है कि प्रकरण की जानकारी नहीं है। यदि ऐसा हुआ है तो जांच के बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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