स्ट्रीट लाइट के ड्राइवर पर पड़ा ब्लैकलिस्टेड कंपनी का नाम
ड्राइवर का उपयोग कर सरकारी धन के दुरुपयोग की आशंका जता मामले की जांच की मांग की है। ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : स्ट्रीट लाइट लगाने के काम में एक और गड़बड़झाले का आरोप लगाया गया है। पार्षद हिमांशु मित्तल ने नगर आयुक्त को दी शिकायत में कहा कि स्ट्रीट लाइट में लगने वाले ड्राइवर पर ब्लैकलिस्टेड कंपनी का नाम पड़ा हुआ है। निगम ने इन्हें सप्लाई करने का टेंडर दूसरी कंपनी को दिया है। स्टॉक में मौजूद ड्राइवर का उपयोग कर सरकारी धन के दुरुपयोग की आशंका जता मामले की जांच की मांग की है।
पार्षद हिमांशु मित्तल के मुताबिक व्हाइट प्लेकार्ड नाम की कंपनी को पूर्व में शासन ने ब्लैकलिस्ट किया था। इस कंपनी के पास नगर निगम क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट के मेंटीनेंस का काम था। शहर में अलग-अलग स्थानों पर लग रही स्ट्रीट लाइट में प्रयोग होने वाले 18 वाट के ड्राइवर का टेंडर नगर निगम ने मुजफ्फरनगर की एक कंपनी को दिया था। आरोप है कि स्ट्रीट लाइट में लगाए जा रहे ड्राइवर पर व्हाइट प्लेकार्ड का नाम पड़ा हुआ है। पार्षद का सवाल है कि ब्लैकलिस्टेड कंपनी से सामान कैसे मंगाया जा सकता है। पार्षद के मुताबिक व्हाइट प्लेकार्ड पूर्व में नगर निगम के लिए काम कर चुकी है। स्टॉक में पड़े ड्राइवरों का उपयोग कर फर्जी बिलिग के जरिये भुगतान की भी आशंका जताई है। अपर नगर आयुक्त आरएन पांडेय ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। आरोपों की तस्दीक की जा रही है। यदि ऐसा पाया जाता है तो जांच करा, रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

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