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    ड्राई फ्रूट्स और कंबल की आड़ में धंधा? गाजियाबाद के इन कारोबारियों पर दिल्ली आतंकी हमले से जुड़े होने का शक

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 06:29 AM (IST)

    दिल्ली में लाल किले के सामने हुए विस्फोट के तार गाजियाबाद से जुड़े होने के संदेह पर खुफिया एजेंसियां जांच कर रही हैं। कश्मीर और पाकिस्तान से जुड़े लोगों, जम्मू-कश्मीर के निवासियों, और रोहिंग्याओं पर नज़र रखी जा रही है। स्लीपर सेल की गतिविधियों और पटाखा गोदामों की भी जाँच की जा रही है। गाजियाबाद अतीत में भी आतंकियों का पनाहगाह रहा है, इसलिए एजेंसियां सतर्क हैं।

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    दिल्ली में लाल किले के सामने हुए विस्फोट के तार गाजियाबाद से जुड़े होने के संदेह पर खुफिया एजेंसियां जांच कर रही हैं।

    आशुतोष गुप्ता, साहिबाबाद। दिल्ली में लाल किले के सामने 10 नवंबर को हुए विस्फोट के तार गाजियाबाद से जुड़े होने का संदेह है। खुफिया एजेंसियों ने कश्मीर या पाकिस्तान से जुड़े गाजियाबाद में रहने वाले लोगों की जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, जांच में गाजियाबाद में 12 ऐसे लोगों का पता चला है जो व्यापार के सिलसिले में पाकिस्तान आते-जाते हैं और 16 ऐसे लोग हैं जिनके रिश्तेदार पाकिस्तान में हैं और वे पाकिस्तानियों के संपर्क में हैं। इनमें से कुछ लोगों के राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह है।

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    इसके अलावा, जांच में बड़ी संख्या में जम्मू-कश्मीर के लोग गाजियाबाद में रह रहे हैं। इन लोगों ने मुस्लिम बस्तियों में अपना ठिकाना बना लिया है और सूखे मेवे व कंबल का कारोबार करते हैं। विभाग ने संदेह जताया है कि ये लोग सूखे मेवे और कंबल के बंडलों की आड़ में धंधा कर रहे होंगे। गाजियाबाद में राज्य के बड़ी संख्या में शिक्षक और छात्र भी रहते हैं। राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल लोग न केवल आतंकवादियों की मदद कर सकते हैं, बल्कि उन्हें शरण भी दे सकते हैं। विभाग ने असम के रोहिंग्याओं की भी तलाश शुरू कर दी है, जिनके आधार कार्ड असम में बने हैं, लेकिन उनके पते अधूरे हैं। पता चला है कि इनमें से ज़्यादातर बूचड़खानों में काम करते हैं। ये लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा बन सकते हैं।

    पूरे पते न होने से इनका सत्यापन भी मुश्किल हो रहा है। सूत्रों ने यह भी बताया है कि विभाग ने सरकार को एक ख़ुफ़िया रिपोर्ट भेजी है। सूत्रों का कहना है कि फरीदाबाद से लेकर दिल्ली तक की घटनाओं में शामिल आरोपियों ने स्लीपर सेल की भूमिका निभाई थी। गाजियाबाद और आसपास के इलाकों में स्लीपर सेल की गतिविधियों की भी जाँच शुरू कर दी गई है। स्लीपर सेल पहले भी गाजियाबाद में सक्रिय रहे हैं। ये लोग युवाओं का ब्रेनवॉश करने, धर्मांतरण, लव जिहाद और अन्य गतिविधियों में शामिल रहे हैं। एजेंसियों ने अब इस पर चिंता जताई है, जिसके चलते गाजियाबाद में ख़ुफ़िया गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। मिश्रित इलाकों पर नज़र रखी जा रही है और पहले भी देश विरोधी घटनाओं में शामिल रहे लोगों पर भी नज़र रखी जा रही है।

    पटाखा गोदामों की भी जांच होगी शुरू

    सूत्रों के अनुसार, आशंका है कि आतंकवादी पटाखों के बारूद से विस्फोटक भी बना सकते हैं। इस विस्फोटक में छर्रे भरे जा सकते हैं ताकि आतंकी हमले किए जा सकें। इसलिए, जल्द ही पटाखा गोदामों की भी जाँच शुरू होगी। भारी मात्रा में पटाखे खरीदने वालों की सूची तैयार की जा रही है और फिर उनका सत्यापन किया जाएगा।

    गाजियाबाद पहले भी आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह 

    गाजियाबाद आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह रहा है और कई बार आतंकियों ने यहां शरण ली है। देश भर में हुई बड़ी आतंकी घटनाओं के तार गाजियाबाद से जुड़े रहे हैं। 1987 में कुख्यात आतंकी कश्मीरा सिंह ने साहिबाबाद और दिल्ली के शाहदरा में अप्सरा बॉर्डर पर कई धमाके किए थे। साहिबाबाद में साइकिल पर बम ले जाते समय हुए एक विस्फोट में वह घायल हो गया था। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि उसने लंदन स्थित खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के इशारे पर ये धमाके किए थे।

    पिलखुआ निवासी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा का नाम 19 लोगों की जान लेने वाले सिलसिलेवार ट्रेन बम धमाकों में कुख्यात आतंकी के रूप में सामने आया था। पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे भी घटना के बाद गाजियाबाद में छिपे थे। ब्रिटिश नागरिक बेला नुस और तीन अन्य नागरिकों को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने अगवा कर मसूरी इलाके में छिपा दिया था। पुलिस ने पाकिस्तानी आतंकवादियों अज़हर मसूद और शेख उमर सईद को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया।

    अपनी रिहाई के लिए, उनके साथियों ने 1999 में काठमांडू से इंडियन एयरलाइंस की उड़ान संख्या IC 814 का अपहरण कर लिया था। लाल किला बम विस्फोट की घटना का भी गाजियाबाद से संबंध था। गिरफ्तार आतंकवादियों के ड्राइविंग लाइसेंस गाजियाबाद के कैला भट्टा से जारी किए गए थे। आतंकवादी मुनीर को एजेंसियों ने गाजियाबाद में क्रॉसिंग रिपब्लिक के पास एक सोसाइटी से 1916 में बिजनौर में इंडियन नेशनल आर्मी के डिप्टी एसपी तंजील अहमद और उनकी पत्नी की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।