जहरीली हवा में सुबह-शाम टहलने से बचें, मास्क लगाकर ही निकलें घर से बाहर
एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। सुबह-शाम टहलना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। चिकित्सकों ने मास्क पहनने और घर के अंदर रहने की सलाह दी है। प्रदूषण से सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन जैसी समस्याएं हो रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
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सांकेतिक तस्वीर
मदन पांचाल, गाजियाबाद। वायु की गुणवत्ता तेजी से खराब हो रही है। दीवाली से शुरू हुई स्माग का दायरा सर्दी की दस्तक के साथ बढ़ गया है। ऐसे में सेहत पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। हर तीसरा व्यक्ति खांसी,जुकाम,सांस और चेस्ट पेन की समस्या से जूझ रहा है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की ओपीडी में सीओपीडी के मरीज भी बढ़ रहे हैं।
बच्चों को निमोनिया तो युवाओं को खांसी सोने नहीं दे रही है। ऐसे में सावधानी बरतने और सतर्क रहने की जरूरत है। इसी को लेकर दैनिक जागरण के संवाददाता मदन पांचाल ने जिला एमएमजी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा से वार्ता की। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंश।
वायु गुणवत्ता क्या है और यह स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
वायु गुणवत्ता इस बात का माप है कि हवा कितनी साफ़ या प्रदूषित है। वायु गुणवत्ता की निगरानी ज़रूरी है। प्रदूषित हवा हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। वायु गुणवत्ता को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) से मापा जाता है।वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक वनों की कटाई है।
औद्योगीकरण, टूटी सड़के उड़ती धूल, निर्माण कार्य व वाहनों की बढ़ती संख्या प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। वर्तमान में पराली और आतिशबाजी भी इसका एक कारण है।वायु प्रदूषण ठोस और तरल कणों और हवा में मौजूद कुछ गैसों के कारण होता है। ये कण और गैसें कार और ट्रक के धुएं, कारखानों, धूल, परागकणों, फफूंद के बीजाणुओं और जंगल की आग से आ सकती हैं।
खराब वायु गुणवत्ता से कौन-कौन सी बीमारी हो सकती हैं?
वायु प्रदूषण और इसके आसानी से फैलने तथा शरीर में समस्याएं पैदा करने से मनुष्य बहुत प्रभावित होते हैं। वायु प्रदूषण से जुड़ी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में अस्थमा, एलर्जी, साइनस, फेफड़ों का संक्रमण, फेफड़ों का कैंसर, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और वातस्फीति शामिल हैं।
वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाली विशिष्ट बीमारियों में स्ट्रोक, इस्केमिक हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, निमोनिया और मोतियाबिंद वायु प्रदूषण फेफड़ों के कामकाज को प्रभावित कर सकता है, अस्थमा और सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) को बढ़ा सकता है और श्वसन तंत्र के संक्रमण और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। वायु प्रदूषण से दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता है, इससे कोरोनरी धमनी रोग और आघात होता है।
वायु प्रदूषण से बचाव एवं बीमारियों से सतर्क रहने को क्या करना चाहिये ?
प्रदूषित हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड के कारण सांस लेने में दिक्कत होने के साथ-साथ, थकान व चक्कर आने जैसी भी समस्या हो सकती है।पर्यावरण में मौजूद दूषित हवा के असर से बचने के लिए नियमित रूप से मास्क का इस्तेमाल करें, मास्क का इस्तेमाल खतरनाक बीमारियों के संक्रमण से काफी हद तक बचाकर रखने में सक्षम है। समय-समय पर हाथ धोएं। संक्रमण से बचने के लिए शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होना बहुत जरूरी है। इसलिए संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है।
डाइट में फल, हरी सब्जियां व विटामिन से भरपूर चीजों को जरूर शामिल करें। बच्चों, सक्रिय व्यस्कों और अस्थमा जैसे श्वसन रोग से पीड़ित लोगों को लंबे समय तक बाहर रहने से बचना चाहिए। सबसे अच्छा यही है कि खिड़कियां बंद करके घर के अंदर ही रहें । यदि बाहर जाना ही है, तो जितना हो सके कम समय के लिए ही जाएं। हवा की गुणवत्ता खराब हो, तो किसी को भी बाहर व्यायाम नहीं करना चाहिए। जब आप व्यायाम करते हैं, तो आप इन प्रदूषकों को और ज़्यादा अंदर ले रहे होते हैं।
खांसी बढ़ने और चेस्ट में इंफेक्शन होने पर क्या करना चाहिए?
घर पर गरम पानी से गरारे करने और भाप लेने से लाभ मिल सकता है। यदि फिर भी सुधार न हो तो नजदीकी अस्पताल में पहुंचकर चिकित्सक की सलाह पर तुरंत नेमुलाइजेशन का सहारा लेना चाहिये। चेस्ट का एक्स-रे कराने पर इंफेक्शन का सही पता चल जायेगा। यदि हालत में सुधार न हो तो भर्ती होने के बाद चिकित्सक की निगरानी में आक्सीजन लेवल चेक कराते हुए आक्सीजन ले सकते हैं।
घर में वायु गुणवत्ता कैसे सुधार सकते हैं?
अपने घर में जलने वाली चीज़ों से बचें, जैसे कि चिमनी, लकड़ी के चूल्हे, गैस के उपकरण और मोमबत्तियां। एयर फ्रेशनर, स्प्रे और सफाई उत्पादों जैसे रसायनों से बचें या कोई स्वास्थ्यवर्धक विकल्प इस्तेमाल करें। गलीचों और कालीनों को नियमित रूप से वैक्यूम करें। माइक्रोफाइबर कपड़े या नम कपड़े से नियमित रूप से धूल साफ़ करें।

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