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    कालम: हाल ए प्रशासन:

    मुर्गा भी सियासी हो गया है। चौंकिये मत। यह हम नहीं वह लोग कह रहे हैं जो इन दिनों वाट्सएप पर वायरल लोनी के भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर का वीडियो देख रहे हैं। वीडियो में लोनी विधायक मुर्गा बेचने वालों से ज्यादा खफा नजर आ रहे हैं।

    By JagranEdited By: Updated: Wed, 29 Dec 2021 09:05 PM (IST)
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    कालम: हाल ए प्रशासन:

    मुर्गा भी सियासी हो गया मुर्गा भी सियासी हो गया है। चौंकिये मत। यह हम नहीं वह लोग कह रहे हैं, जो इन दिनों वाट्सएप पर वायरल लोनी के भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर का वीडियो देख रहे हैं। वीडियो में लोनी विधायक मुर्गा बेचने वालों से ज्यादा खफा नजर आ रहे हैं। वह क्षेत्र में पुलिस के साथ घूमते हैं और मुर्गा बेचने वालों को धमकाते हुए कहते हैं कि मुर्गा बेचना है तो दिल्ली जाओ। लोनी में मुर्गा नहीं बिकेगा। मुर्गा बेचते हुए पकड़े गए तो जेल भेज दिए जाओगे। जमानत भी नहीं होगी। उनका यह वीडियो वाट्सएप पर वायरल हुआ तो लोनी में ही रहने वाले मुर्गा खाने के शौकीन भी चौंक गए। वह आपस में चर्चा करते हुए कह रहे हैं कि अभी तो मुर्गा बेचने पर रोक लगा रहे हैं, कहीं ऐसा न हो कि मुर्गा खाने पर ही विधायक जी रोक लगवा दें और हमें भी दिल्ली ही जाना पड़े।

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    दल मिले, दिल नहीं हम मिले, तुम मिले, एक दूजे के लिए..। न, हम मिले, तुम मिले, सियासी मेल के लिए। जी हां, यह लाइन सटीक बैठती है सियासी मंच पर एक-दूजे की शान में कसीदे गढ़ने वाले समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के लंबरदारों पर। इसका प्रमाण 27 दिसंबर को राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के जन्मदिन के अवसर पर तब देखने को मिला, जब रालोद के नेता और कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय पर केक काटकर खुशियां मना रहे थे, लेकिन समाजवादी पार्टी के कार्यालय पर मौजूद नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनसे दूरी बनाए रखी और सपा के कार्यक्रम में व्यस्त रहे। सवाल उठा तो महिला सपा नेता ने कहा कि हम जन्मदिन मनाने के लिए उनके कार्यालय क्यों जाएं। एक माह पहले ही नेताजी मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन था। उस वक्त ही हमारे पार्टी कार्यालय पर कौन से रालोद नेता आए थे? इससे स्पष्ट है दल मिले हैं, पर दिल नहीं।

    -------------------- त्रिदेव नहीं हैं लेखपाल जमीन से जुड़े मामले में विवाद का प्रकरण सामने आने के बाद ही लेखपालों की बांछें खिल जाती हैं। उनके पास शिकायतकर्ता जमीन की पैमाइश करने के लिए चक्कर काटते हैं। लेखपाल जिस हिसाब से पैमाइश करते हैं, उससे कई बार दूसरा पक्ष खफा होकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाता है। गाजियाबाद में जमीन से जुड़े मामले अक्सर सामने आते हैं। जिला प्रशासन के पास शिकायतें भी पहुंचती हैं। ऐसा ही एक मामला जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के सामने आया तो वह नाराज हो गए। एडीएम प्रशासन ऋतु सुहास से कहा कि लेखपाल खुद को ब्रह्मा, विष्णु, महेश समझकर पैमाइश के दौरान लकीर खींचते हैं। यदि वह किसी एक पार्टी के कहने पर जमीन की पैमाइश करने पहुंचे और इसकी शिकायत मिली तो उनके लिए अच्छा नहीं होगा। निगरानी करो। लेखपाल त्रिदेव नहीं हैं, जो उनकी पैमाइश की रिपोर्ट को तहसीलदार और एसडीएम भी बगैर जांच के सच मान लेते हैं।

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    मंत्री के संदेश के बाद थमा तूफान जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में कुछ दिन पहले ही एक मंत्री के परिवार सहित दिल्ली के फाइव स्टार होटल में ठहरने का खर्च उठाने को लेकर विवाद शुरू हो गया। वक्फ इंस्पेक्टर परविदर पर लोगों से मंत्री के खर्च की भरपाई के लिए शादी अनुदान योजना में रिश्वत मांगने का आरोप लगा तो इसकी शिकायत लखनऊ तक कर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अमृता सिंह ने इंस्पेक्टर को गाजियाबाद से हटाने की मांग की। उन्होंने कार्यालय से फाइल गायब होने का आरोप लगाया और रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही। वक्फ इंस्पेक्टर ने भी अधिकारी पर आरोप लगाया। इससे मामले ने तूल पकड़ा। मामले में खुद का नाम आने पर मंत्री जी भी नाराज हुए। उन्होंने लखनऊ से सख्त संदेश भिजवाया, जिसके बाद आरोप-प्रत्यारोप का तूफान थम गया और वक्फ इंस्पेक्टर की कुर्सी भी जाने से बच गई है। हालांकि विभागीय अधिकारी कह रहे हैं कि तूफान ज्यादा दिन नहीं थमेगा।