मंदिर के लिए दान की मिट्टी, डाली अंत्येष्टि स्थल में
जासं गाजियाबाद दुहाई में अंत्येष्टि स्थल पर टेंडर से पहले ही भराव के लिए मिट्टी पहुंच गई।

जासं, गाजियाबाद: दुहाई में अंत्येष्टि स्थल पर टेंडर से पहले ही भराव के लिए मिट्टी पहुंच गई। इस पर सवाल उठे तो नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने मामले की जांच निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर मोइनुद्दीन को सौंपी है। दूसरी तरफ, इस मामले में महापौर आशा शर्मा ने नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर को पत्र लिखा है और मामले की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि टेंडर से पहले ही अंत्येष्टि स्थल पर मिट्टी डलने से भ्रष्टाचार की आशंका है, जांच में दोषी मिलने पर अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
चीफ इंजीनियर मोइनुद्दीन ने नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर को बताया कि अंत्येष्टि स्थल पर टेंडर से पहले मिट्टी डाली गई है। इसकी पुष्टि वहां पर शुक्रवार को जांच के लिए पहुंची टीम ने की है। उन्होंने बताया कि मिट्टी अंत्येष्टि स्थल के पास ही बन रहे पशुपतिनाथ मंदिर के लिए मंगाई गई थी, जो अंत्येष्टि स्थल में डाल दी गई। जो एक भक्त ने दान की है, लेकिन मिट्टी दान करने वाले भक्त के बारे में जानकारी नहीं है। अभी कार्य के लिए टेंडर फाइनल नहीं हुआ है। पूरी जांच टेंडर खोले जाने के बाद हो सकेगी।
पशुपतिनाथ महादेव मंदिर समिति के सदस्य ब्रजमोहन ने दैनिक जागरण को बताया कि नए साल में मंदिर पर एक भंडारा हुआ था। उस वक्त कार सवार एक व्यक्ति ने मंदिर के निर्माण के लिए मिट्टी दान करने की बात कही थी, उस व्यक्ति ने ही मंदिर के लिए मिट्टी भिजवाई। लेकिन मंदिर में निर्माण कार्य के लिए बजट नहीं है। ऐसे में मिट्टी अंत्येष्टि स्थल में भराव के लिए दस दिन पहले डलवा दी गई। मिट्टी दान करने वाला भक्त कौन और कहां का रहने वाला है, इस संबंध में जानकारी नहीं है। जिस वजह से मिट्टी भेजने वाले व्यक्ति से संपर्क नहीं हो सका।
बयान मामले की जांच निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर को सौंपी गई है। शुक्रवार को जांच के लिए नगर निगम की टीम मौके पर गई। वहां पर मिट्टी मिली है। मिट्टी मंदिर समिति द्वारा डलवाई जाना बताया गया है। मामले की गहनता से जांच कराई जा रही है। -महेंद्र सिंह तंवर, नगर आयुक्त। मामले की गंभीरता से जांच कराने के लिए नगर आयुक्त को पत्र लिखा है। भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- आशा शर्मा, महापौर अंत्येष्टि स्थल पर जो मिट्टी है, उसकी कीमत 15 लाख रुपये है। मामला भ्रष्टाचार का है, अब खुद के बचाव में नगर निगम के अधिकारी बहाने बना रहे हैं।
- हिमांशु मित्तल, शिकायतकर्ता पार्षद
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।