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    गाजियाबाद में 410 करोड़ का फर्जी इनवॉइस रैकेट उजागर, CGST की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 10:46 PM (IST)

    गाजियाबाद में सीजीएसटी की एंटी-इवेजन टीम ने 410 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉइस रैकेट का पर्दाफाश किया है। वकील विनय सिंह को गिरफ्तार किया गया है, जिसने 4 ...और पढ़ें

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    वकील विनय सिंह गिरफ्तार। सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। कई दिनों की जांच के बाद, CGST गाजियाबाद कमिश्नरेट की एंटी-इवेजन टीम ने ₹410 करोड़ के एक ऑर्गनाइज़्ड नकली इनवॉइस रैकेट का पर्दाफाश किया है। मामले के मुख्य आरोपी, वकील विनय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसने 40 से ज़्यादा नकली फर्मों के नेटवर्क के ज़रिए ₹73.70 करोड़ का गैर-कानूनी ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) हासिल किया।

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    CGST अधिकारियों के मुताबिक, यह रैकेट एक सुनियोजित ऑपरेशन था, जिसमें सिर्फ़ नकली GST इनवॉइस जारी करके ITC इकट्ठा किया जाता था। जांच में पता चला कि आरोपी ने कई लोगों से धोखाधड़ी से KYC डॉक्यूमेंट हासिल किए और उनका गलत इस्तेमाल करके नकली फर्मों को GST के तहत रजिस्टर किया। फिर उसने इन कंपनियों के ऑथराइज़्ड रिप्रेजेंटेटिव बनकर GST पोर्टल, ई-वे बिल पोर्टल, TDS पोर्टल और ईमेल अकाउंट पर पूरा कंट्रोल बनाए रखा।

    कैसे काम करता था पूरा धोखाधड़ी वाला सिस्टम?

    जांच के दौरान, CGST अधिकारियों को पता चला कि सभी नकली फर्मों के यूज़रनेम, पासवर्ड और OTP विनय सिंह के मोबाइल नंबर पर आए थे। इस कंट्रोल का इस्तेमाल करके, वह अपनी मर्ज़ी से पूरे GST नेटवर्क को एक्सेस कर लेता था। कोई असली सामान या सर्विस सप्लाई नहीं की जाती थी; सिर्फ़ नकली इनवॉइस बनाए जाते थे। इन इनवॉइस के आधार पर, गैर-कानूनी ITC हासिल किया जाता था और बेचा जाता था।

    अधिकारियों ने बताया कि एडवोकेट विनय सिंह पर सेक्शन 132 के तहत टैक्स चोरी, जाली डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल और नकली ITC हासिल करने जैसे गंभीर क्रिमिनल केस दर्ज किए गए हैं। गिरफ्तारी के बाद, उसे कोर्ट में पेश किया गया और ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया। CGST गाजियाबाद कमिश्नरेट ने कहा कि डिपार्टमेंट नकली ITC और टैक्स चोरी के खिलाफ सख्त एक्शन लेगा। कई दूसरी फर्मों की जांच की जा रही है, और बड़ी गड़बड़ियां मिलने की उम्मीद है।

    पूरे रैकेट में ट्रांज़ैक्शन 410 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। CGST अधिकारियों के मुताबिक, यह रैकेट न सिर्फ़ सरकारी रेवेन्यू को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा था, बल्कि मार्केट में गलत कॉम्पिटिशन भी पैदा कर रहा था। आरोपी लंबे समय से नकली ITC से फायदा उठा रहे थे, नकली फर्मों के ज़रिए असली बिज़नेस सिस्टम में दखल दे रहे थे। एंटी-इवेजन सेल को इस फ्रॉड के बारे में पक्की खुफिया जानकारी मिली थी। इसके बाद टीम ने डिजिटल ट्रेल्स, GST डेटा, ई-वे बिल एक्टिविटीज़ और बैंक अकाउंट्स के एनालिसिस के आधार पर आरोपी को ट्रैक किया। लंबी जांच के बाद, CGST टीम ने आरोपी वकील को CGST एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया।

    जांच जारी है, और गिरफ्तारियां होंगी

    CGST गाजियाबाद टीम अब इस रैकेट में शामिल दूसरे लोगों की तलाश कर रही है। नकली फर्मों के डायरेक्टर के तौर पर लिस्टेड लोगों से पूछताछ की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे धोखाधड़ी के शिकार हुए थे या जानबूझकर नेटवर्क में शामिल थे। अधिकारियों का कहना है कि बैंक अकाउंट्स, मोबाइल डेटा और डिजिटल ट्रांजैक्शन की जांच के बाद और खुलासे हो सकते हैं।

    जांच के दौरान, CGST टीम ने एक आयरन फर्म के मालिक शारिब कुरैशी को ₹255 करोड़ की धोखाधड़ी वाली खरीद और बिक्री के मामले में गिरफ्तार किया, जिसमें ₹47 करोड़ से ज़्यादा की ITC रिकवरी शामिल थी। नकली फर्मों और धोखाधड़ी वाले ट्रांजैक्शन इनवॉइस के ज़रिए करोड़ों रुपये का ITC इकट्ठा करने का तरीका पुराना है। सारी सावधानियों के बावजूद, SGST और CGST में रजिस्टर करके विभागों को धोखा देने और ITC में करोड़ों रुपये जमा करने का काम जारी है।