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    गांव से आए और बन गए शिक्षा के क्षेत्र में राजकुमार

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 10 Aug 2022 09:23 PM (IST)

    शाहनवाज अली गाजियाबाद राजकुमार गोयल भट्ठे वालों के नाम से मशहूर थे। वह गाजियाबाद में वर्ष 1

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    गांव से आए और बन गए शिक्षा के क्षेत्र में राजकुमार

    शाहनवाज अली, गाजियाबाद

    राजकुमार गोयल भट्ठे वालों के नाम से मशहूर थे। वह गाजियाबाद में वर्ष 1964 में मेरठ-बागपत मार्ग स्थित गांव कुराली से आकर अपने परिवार के साथ बस गए थे। शिक्षा क्षेत्र में गाजियाबाद और आसपास के जनपदों में कई शिक्षण संस्थान उनके नाम से संचालित हैं। वह बेटियों को शिक्षित करने के पक्षधर थे। इसके लिए उन्होंने काम भी किया और अब विरासत को संभालकर उनके सपने को पुत्र विधान परिषद सदस्य दिनेश गोयल पूरा करने में जुटे हैं।

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    मौका है आजादी के अमृत महोत्सव पर जश्न मनाने का। शिक्षा के क्षेत्र में जिले के स्वावलंबन के सारथी की बात करें तो राजकुमार गोयल का नाम जरूर सामने आएगा। मूल रूप से ईंट भट्ठा व्यवसाय से जुड़े राजकुमार गोयल परिवार के साथ गाजियाबाद आकर बसे। उन्होंने बेटियों को शिक्षित करने के अपने सपने को धरातल पर लाने की सोची। वर्ष 1998-99 में मुरादनगर में रामलीला मैदान में कन्या डिग्री कालेज बनाने की तैयारी की, लेकिन उनका यह सपना हकीकत में नहीं बदल सका और उनकी यह योजना सियासत की भेंट चढ़ गई, लेकिन उनका शिक्षा के क्षेत्र में विकास का सफर जारी रहा। राजकुमार गोयल का वर्ष 2006 में निधन हो गया। अब उनके बेटे दिनेश गोयल पिता के सपनों को साकार कर रहे हैं। संस्थान के सात विद्यार्थी भारतीय इंजीनियरिग सेवा में कार्यरत हैं। वहीं, हर साल संस्थान के विद्यार्थियों को लाखों के पैकेज पर बड़ी कंपनियों में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। आरकेजीआइटी ग्रुप के चार संस्थानों में करीब 615 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

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    खुद पर भरोसा कर बढ़े आगे राजकुमार गोयल के पुत्र दिनेश गोयल मौजूदा विधान परिषद सदस्य हैं। वह एकेजी इंजीनियरिग कालेज शिक्षण संस्था के फाउंडर मेंबर के रूप में शामिल हैं। एक बैठक में उन्होंने सवाल उठाया तो किसी ने कहा कि सवाल कोई भी उठा देता है। जवाब न मिलने और अटपटी बात पर उन्होंने अपने पिता के नाम से मेरठ रोड पर राजकुमार गोयल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (आरकेजीआइटी) की नींव रखी, जिसमें 153 विद्यार्थियों से शुरूआत की। इसके बाद आरकेजीआइटी एंड मैनेजमेंट गाजियाबाद, आरकेजीईसी, आरकेजी इंटरनेशनल स्कूल, आरकेजी ग‌र्ल्स डिग्री कालेज हापुड़, आरकेजी जूनियर हाई स्कूल बागपत आरंभ किए। इनमें जनपद के अलावा दूसरे जिलों और अन्य राज्यों के करीब पांच हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

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    कभी सोचा नहीं कि मेरा भी जन्मदिन मनेगा आरकेजीआइटी की शुरूआत 153 विद्यार्थियों के साथ हुई थी। तब कालेज चेयरमैन दिनेश गोयल ने सभी बच्चों का जन्मदिन मनाने का निर्णय लिया। जन्मदिन पर एक विद्यार्थी के साथ वह वह अपने कार्यालय में ही चाय पी रहे थे। पेस्टी के अलावा खाने का सामान रखा था। उन्होंने देखा चाय पीते हुए विद्यार्थी के हाथ कांप रहे थे और आंख से आंसू निकल रहे थे। इसकी वजह पूछने पर उसने बताया कि कभी सोचा नहीं था कि मेरा भी जन्मदिन मनेगा और मैं कालेज के चेयरमैन के साथ बैठकर चाय नाश्ता करूंगा। उस विद्यार्थी को उन्होंने गले से लगा लिया।

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    बिना हाथ वाली रानी ने फहराया राष्ट्रध्वज

    दिनेश गोयल बताते हैं कि 14 अगस्त 2012 को रानी वर्मा नाम की लड़की अपने स्वजन के साथ एडमिशन के लिए कालेज आई। उसके हाथ नही थे इसलिए मना कर दिया। उस लड़की ने कहा कि वह टेस्ट दे सकती है और उसने पैरों से लिखकर खुद को साबित किया। उसकी प्रतिभा और पढ़ाई में लगन देखते हुए निश्शुल्क एडमिशन और साथ में उनकी बहन की खाने-रहने की भी निश्शुल्क व्यवस्था की। इतना ही नहीं, अगले दिन 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर रानी वर्मा को मुख्य अतिथि बनाकर राष्ट्रध्वज फहराया।

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    अगले माह वृद्धाश्रम, अनाथालय और स्कूल की रखेंगे नींव मौजूदा पीढ़ी एक उम्र के बाद मां-बाप के आदर सत्कार में कमी कर रही है। दिनेश गोयल बताते हैं कि ऐसे बहुत से मामले सामने आते हैं जब बूढ़े मां-बाप को घर से निकाला जा रहा है। ऐसे में उनकी सेवा के लिए गढ़मुक्तेश्वर के ब्रजघाट के निकट उन्होंने 16 बीघा जमीन खरीदी है, जिसमें अगले माह सितंबर से वृद्धाश्रम, अनाथालय और अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल का निर्माण आरंभ करेंगे। इसमें अनाथ बच्चों को बड़ों का और बुजुर्गों को बच्चों का साथ मिल सकेगा।