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    गाजियाबाद में ठहर गई 100 से ज्यादा नशा से संबंधित अपराधों की सुनवाई, डीजीपी दरबार पहुंची पुलिस की लापरवाही

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 07:47 AM (IST)

    गाजियाबाद में पुलिस की लापरवाही के कारण नशा से जुड़े 100 से अधिक अपराधों की सुनवाई रुक गई है। मामला डीजीपी तक पहुंचने के बाद, अब उच्च अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।

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    हसीन शाह, गाजियाबाद। नशीला पदार्थ से संबंधित 100 से अधिक अपराधों के मुकदमों की सुनवाई कोर्ट में आगे नहीं बढ़ पा रही है। पुलिस का कोर्ट को सहयोग नहीं मिल रहा है। कोर्ट द्वारा ई-प्रोसेस प्रणाली के माध्यम से जारी की जा रही आदेशिकाओं की तामीला रिपोर्ट थानों से कोर्ट को प्राप्त नहीं हो रही है।

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    100 से अधिक मामलों में आरोपित लंबे समय से गैर हाजिर चल रहे हैं। इनमें कई मामले सात से आठ वर्ष पुराने हैं। इससे मामलों के निस्तारण में देरी हो रही है। पुलिस की इस लापरवाही पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. निदेश चंद्र शुक्ला ने डीजीपी को पत्र लिखा है।


    कोर्ट में एनडीपीएस एक्ट (नशीले पदार्थों से जुड़े अपराध) से संबंधित लगभग 500 फाइलें विचाराधीन हैं। इनमें से 100 से अधिक मामलों में आरोपित लंबे समय से गैर हाजिर चल रहे हैं। न्यायालय द्वारा बार-बार आरोपितों और उनके जमानतियों के खिलाफ आदेश ई-प्रोसेस के माध्यम से जारी किए जा रहे हैं। संबंधित थानों की ओर से किसी भी आदेश की तामीला रिपोर्ट न्यायालय को नहीं भेजी जा रही।

    इससे मामलों की सुनवाई में लगातार विलंब हो रहा है। न्यायिक सुनवाई प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। कोर्ट द्वारा इस संबंध में थानाध्यक्षों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है। पुलिस ने अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने डीजीपी से अनुरोध किया है कि वह सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करें। जिससे न्यायालयों से ई-प्रोसेस के माध्यम से भेजी गई आदेशिकाओं की समय पर तामीला सुनिश्चित की जा सके और मामलों का शीघ्र निस्तारण हो।

    क्या होता है आदेशिकाएं, तामीला रिपोर्ट और ई-प्रोसेस 

    न्यायालय द्वारा आरोपित और उनके जमानतियों के खिलाफ आदेशिकाएं निर्गत की जाती हैं। इसका मतलब है कि कोर्ट द्वारा अपराधियों और जमानतियों के खिलाफ विभिन्न आदेश जारी किए जाते हैं। कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी वारंट, समन, नोटिस आदि आदेश इसलिए जारी किए जाते हैं जिससे आरोपित या उनका जमानती कोर्ट के सामने उपस्थित हो सके।

    पूर्व में कोर्ट से इस तरह के आदेश कागजी रूप में डाक या पुलिस द्वारा भेजे जाते थे। अब न्यायालय ई-प्रोसेस यानी डिजिटल प्रणाली का उपयोग करता है। यानी आदेश आनलाइन पोर्टल या ईमेल के माध्यम से सीधे संबंधित थाने या अधिकारी को भेजे जाते हैं। तामीला रिपोर्ट मतलब होता है जब पुलिस किसी कोर्ट आदेश जैसे वारंट या नोटिस को अमल में लाती है तो उसे कोर्ट को एक रिपोर्ट भेजनी होती। मतलब आरोपित मिला या नहीं मिला। पुलिस ने मामले में क्या कार्रवाई की।

    बढ़ता है न्यायालय पर केस का बोझ

    सुनवाई में देरी होने के कारण मामलों का निस्तारण होने में देरी होती है। इससे न्यायालय पर केसों का बोझ बढ़ता है। हालांकि न्यायाधीश अपनी ओर से केसों को जल्द से जल्द निस्तारण करने की कोशिश करते है। पुलिस सहयोग भी मुकदमों को जल्दी निस्तारण में अहम भूमिका निभाता है।