बिना इलेक्ट्रिकल सेफ्टी सर्टिफिकेट के नहीं लगा सकेंगे जनरेटर
धीरेंद्र मिश्र, गाजियाबाद: दुर्घटनाओं के बाद भी बिजली विभाग सबक नहीं ले रहा है। विद्युत वितरण प्र
धीरेंद्र मिश्र, गाजियाबाद:
दुर्घटनाओं के बाद भी बिजली विभाग सबक नहीं ले रहा है। विद्युत वितरण प्रणाली पूरी तरह से अस्त व्यस्त है। ट्रांसफार्मर के आसपास तार छिटके हुए हैं। जनरेटर भी नियम कानून को ताक पर रखकर धड़धड़ा रहे हैं। अब बिना इलेक्ट्रिकल सेफ्टी सुरक्षा को ध्यान में रखकर विद्युत सुरक्षा निदेशालय जल्द ही अभियान चलाकर औद्योगिक प्रतिष्ठानों की जांच एवं इलेक्ट्रिकल सेफ्टी आडिट शुरू करने जा रहा है। बिना वैध प्रमाणक जनरेटर चलाने वालों के खिलाफ एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
भवन स्वामी या प्रतिष्ठान मालिक अक्सर करोड़ों का भवन बनाता है लेकिन लापरवाहीवश भवन की वायरिंग व इलेक्ट्रिक उपकरण घटिया किस्म का लगवाता है। इससे दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है। गर्मियों में अक्सर शार्ट सर्किट या उपकरण फुंकने से घटनाएं होती रहती हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए विद्युत सुरक्षा निदेशालय ने कठोर कदम उठाए हैं।
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जनरेटर लगाने के लिए क्या है नियम:
-जनरेटर सेट लगाने वाले रजिस्टर्ड विद्युत ठेकेदार से कार्यपूरक प्रमाणपत्र निदेशालय में प्रस्तुत करना होगा।
-जनरे¨टग सेट्स के विद्युती अधिष्ठापन के निरीक्षण के निर्धारित शुल्क बैंक में जमा करना होगा।
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सुरक्षा के मानक :
प्रत्येक जनरेटर के न्यूट्रल प्वाइंट को कापर स्ट्रिप से अर्थ किया जाना अनिवार्य है। कार्यपूरक प्रमाणपत्र लगाना अनिवार्य है। जनरेटर सुरक्षा के जनरेटर से निकलने वाले केबल या तारों के सर्किट में ब्रेकर लगाना अनिवार्य है एवं केबल का साइज निर्धारित मानक के अनुसार होना चाहिए।
जनरेटर के चारों ओर एक मीटर का खुला स्थान होना चाहिए।
-जनरेटर एवं सप्लायर की विद्युत आपूर्ति के बीच चेंज ओवर स्विच लगाया जाना अनिवार्य है।
-अर्थिंग के लिए अर्थ पिट की दूरी भवन की दीवार से कम से कम दो मीटर होनी चाहिए।
जनरेटर के कमरे में उचित आकार प्रकार को डैंजर नोटिस लगाया जाना चाहिए।
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1500 लोगों ने नहीं लिया प्रमाणक पत्र:
विद्युत सुरक्षा निदेशालय के आंकड़ों की मानें तो जिले में दस केवीए के ऊपर दो हजार जनरेटर विभिन्न प्रतिष्ठानों पर संचालित हो रहे हैं। इनमें से 1500 लोगों ने निदेशालय से इलेक्ट्रिकल सेफ्टी प्रमाणक नहीं लिया है। निदेशालय की माने तो केवल 480 लोगों ने ही अनुमति के लिए आवेदन किया है इसमें से 140 लोगों को प्रमाणक जारी किए गए हैं।
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प्रदूषण विभाग की गंभीरता पर सवाल:
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस ओर गंभीर नहीं दिख रहा है। बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में लगे जनरेटर की चिमनी पर ध्यान दिया जाता है। दस किलोवाट से ऊपर के जनरेटर की चिमनी को एक मीटर ऊंचा कराया जाता है। इसके अलावा यदि शिकायत मिलती है तो नोटिस दी जाती है। विद्युत सुरक्षा निदेशालय से प्रमाणक जारी किया जाता है। प्रदूषण विभाग केवल प्रदूषण की जांच करता है।
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सुरक्षा को ध्यान में रखकर जल्द ही अभियान चलाया जाएगा। अस्पताल, होटल, सिनेमाघर, बहुमंजिला इमारत, कामर्शियल एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों को चेक किया जाएगा। यहां पर इलेक्ट्रिकल सेफ्टी आडिट किया जाएगा। जहां भी जनरेटर लगे हैं वहां पर विद्युत सुरक्षा निदेशालय द्वारा जारी किए गए प्रमाणक को चेक किया जाएगा। प्रमाणक नहीं होने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
-केके शुक्ला, सहायक निदेशक, विद्युत सुरक्षा निदेशालय
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