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    बुद्ध का मध्यम मार्ग ही है उत्तम मार्ग

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    Updated: Sun, 11 May 2014 09:20 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : बुद्ध की मध्यम निकाय की देशना यानी मध्य मार्ग पर चलने के संदेश, को अपना कर ही भारत समेत पूरे विश्व का कल्याण संभव है। बुद्ध ने कहा था, मध्यम मार्ग ही उत्तम मार्ग है। अति से बचने का यह बुद्ध का संदेश मनुष्य को बहुत से विकारों से बचा सकता है।

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    यह कहना था बुद्ध प्रेमियों का जो बुद्ध पूर्णिमा से पूर्व सेक्टर-23 के ग्रीनफील्ड स्कूल में आयोजित गोष्ठी व विपशना ध्यान में शामिल हुए। इस दौरान मुख्य वक्ता शिक्षाविद् पृथ्वी सिंह कसाना ने कहा कि आज मनुष्य की अधिकांश परेशानियों का कारण अतिवाद है। बुद्ध की मध्यम निकाय की देशना बताती है कि अति से हमेशा ही बचना चाहिए। यह संदेश एक व्यक्ति के लिए, परिवार के लिए, पूरे राष्ट्र व समाज के लिए और फिर पूरे विश्व के लिए भी बराबर का हितकारी है। अति का त्याग कर मध्यम मार्ग पर चलते हुए तमाम तरह के विकारों व समस्याओं से बचा जा सकता है।

    स्वामी चेतन विस्तार ने कहा कि बुद्ध की करुणा हमेशा ही प्रासंगिक रही है और रहेगी, मगर आज के दौर में उसकी और अधिक जरूरत महसूस हो रही है। स्वामी वीत विस्तार ने कहा कि बुद्ध का व्यक्तित्व किसी चमत्कार जैसा था और उनके विचार व्यक्ति का स्वयं से साक्षात्कार करा देने वाले थे।

    गोष्ठी में बुद्ध के चार आदि सत्यों पर भी चर्चा हुई। दुख है, दुख का कारण है, दुख का निवारण है और उसके लिए बुद्ध द्वारा बताए गए अष्टांगिक मार्ग पर वक्ताओं ने विचार रखे। विचार व्यक्त करने वालों में चौ. मनवीर सिंह, डॉ. अनुज बंसल, डॉ. संजय जिंदल, रेखा चौधरी, पूनम शर्मा, अनुराधा, स्वामी अंतर्रजत, सुधीर जैन, इंजीनियर चरण सिंह, रतन सिंह, मनोज यादव, सुभाष मिश्रा व पवन मिश्रा आदि प्रमुख थे। साथ ही मां बोधि सुबह, मां सुमति बागला, मां सत्या, मधु, मोहम्मद हनीफ, स्वामी वेदांत आदि उपस्थित थे। प्रधानाचार्या रेनु गुप्ता ने आगंतुकों का स्वागत किया। मेरठ से आए पवन अग्रवान ने संगीत पर विपशना ध्यान करवाया। उन्होंने कहा कि यह बुद्ध का सर्वप्रिय ध्यान था।