तीस साल का हो गया फीरोजाबाद, आज मनेगा उत्सव
फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता। अकबर के सेनापति फीरोज शाह द्वारा बसाए गए फीरोजाबाद को जिले का दर्जा पाने में दशकों लग गए। जिले के युवाओं ने आंदोलन शुरू क ...और पढ़ें

फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता। अकबर के सेनापति फीरोज शाह द्वारा बसाए गए फीरोजाबाद को जिले का दर्जा पाने में दशकों लग गए। जिले के लिए युवाओं ने आंदोलन शुरू किया तो यह जनांदोलन बन गया। दस साल बाद आंदोलन को सफलता मिली और पांच फरवरी 1989 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने जिला बनाए जाने की घोषणा की थी। तीस साल के हुए फीरोजाबाद की स्थापना दिवस का उत्सव मनाया जाएगा।
सुहागनगरी के नाम से मशहूर फीरोजाबाद में कांच की चूड़ियां बनती थीं। आगरा-कानपुर हाईवे पर बसे ऐतिहासिक कस्बे में सुविधाओं का अभाव था। कहने को तो तहसील थी, मगर एसडीएम आगरा बैठते थे। 1979 में सर्वप्रथम आंदोलन की शुरूआत युवाओं ने की और पोस्टकार्ड अभियान चलाया। इसी साल प्रदेश में ललितपुर और हरिद्वार दो नए जिले बने, जिससे युवाओं में जोश आ गया और आंदोलन को धार मिलने लगी। 1982 में क्रांतिकारी युवा दल के बैनर तले 48 दिन तक भूख हड़ताल घंटाघर पर चली। युवाओं के साथ-साथ महिलाओं ने भी सुशीला ब्रजराज ¨सह के नेतृत्व में आंदोलन की भागेदारी की। इसके बाद पदयात्राएं, मशाल जुलूस और जेल भरो आंदोल हुए और आखिरकार जिला बन गया।
प्रदेश के खूबसूरत मुख्यालयों में से है एक: कानपुर हाईवे से सटकर डबरई पर सौ एकड़ में बनाया गया फीरोजाबाद जिला मुख्यालय हर नजरिए से खूबसूरत है। प्राकृतिक सौंदर्य और साफ सफाई इसे अलग बनाती है। मुलायम ¨सह यादव के मुख्यमंत्री काल में इसका निर्माण हुआ था। पिछले दो साल में इसमें और निखार आया है। बाउंड्रीवाल के रंग रोगन और डीएम नेहा शर्मा द्वारा बनवाए गए सेल्फी प्वाइंट से रौनक बढ़ी है।
तहसील से जिले का सफर: आजादी से पहले फीरोजाबाद आगरा की तहसील था तो जसराना मैनपुरी जिले में था।
1966 से एसडीएम का कार्यालय फीरोजाबाद में बना, इससे पहले आगरा में बैठते थे। अधिवक्ताओं की मांग पर दो सितंबर 1975 को मुंसिफी की स्थापना हुई।
1979 में सबसे पहले जिले की मांग उठी और युवाओं ने पोस्टकार्ड अभियान चलाया।
5 फरवरी 1989 को तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने जिले की घोषणा की।

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