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    '...ज्यादा पैसा खर्च करना भी मानसिक बीमारी', एक्सपर्ट की बात सुन उड़े लोगों के होश

    By Jagran NewsEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Thu, 19 Jun 2025 05:12 PM (IST)

    फिरोजाबाद में हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में डॉ. आशीष कुमार ने मानसिक स्वास्थ्य पर बात की। उन्होंने बताया कि अचानक ज़्यादा खर्च करना या नशा करना मानसिक रोग हो सकता है जिसका शुरुआती इलाज ज़रूरी है। पुरानी बातों को भूलकर वर्तमान में ध्यान दें और सकारात्मक रहें। नींद की कमी और तनाव भी मानसिक बीमारी के कारण हो सकते हैं।

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    अचानक से अधिक पैसा खर्च करना और नशा करना भी मानसिक बीमारी

    जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद। अचानक से किसी का पैसे अधिक खर्च करने लगना या अधिक नशा करना भी मानसिक बीमारी हो सकती है। ऐसे मरीज को मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। शुरुआत में ही उपचार से आराम मिल जाता है। अन्यथा समस्या गंभीर रूप ले सकती है।

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    गुरुवार को दैनिक जागरण के हेलो डाक्टर कार्यक्रम में मेडिकल कालेज अस्पताल में मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. आशीष कुमार ने यह जानकारी दी। उन्होंने सुबह 11 से 12 बजे तक फोन पर मरीजों से बात कर उपचार बताया। प्रस्तुत हैं कार्यक्रम में बताई गई परेशानियां और उनका परामर्श।

    -- पुरानी घटनाओं को लेकर मन में नकारात्मक विचार चलते हैं। -- विकास जैन, सिरसागंज।

    -अभी जो समस्या है, उस पर विचार करना चाहिए। बीता हुआ कल बदला नहीं जा सकता है। सकारात्मक सोच रखें। खुद को व्यस्त रखें। इससे इन चीजों पर ध्यान नहीं जाएगा। फिर भी आराम नहीं मिलता है तो एक बार संपर्क करें। काउंसलिंग से आराम मिल जाएगा।

    -- बारिश होती है तो सिर में दर्द होता है। खाने के बाद दांतों में झनझनाहट सी होती है। - दिनेश चंद्र, अरांव।

    -आपको यह बीमारी सात वर्ष से है। यह माइग्रेन का लक्षण है। आप एक बार मेडिकल कालेज में आकर दिखा लें। जांच के बाद दवा देने पर आपको को आराम मिल जाएगा। यह कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन उपचार जरूरी है।

    -- मेरी उम्र 70 साल है। रात में नींद नहीं आती है। -- सोमदत्त, पेमेश्वर गेट, लक्ष्मी देवी अरांव

    -आप पहले से दवा खा रहे हैं। एक ही दवा बार-बार खाने से उसका असर कम हो जाता है। एक बार आकर दिखा लें। जांच के बाद दवा देने पर आपको आराम मिल जाएगा। नींद की समस्या दूर हो जाएगी।

    -- कभी-कभी सुबह उठने पर ऐसा महसूस होता है कि नींद पूरी नहीं हुई। रामवीर, कबीरनगर ।

    - यह समस्या अगर किसी दिन महसूस होती है तो कोई दिक्कत नहीं है। अगर लगातार 10 से 20 दिन होती है तो डाक्टर संपर्क करें। यह मानसिक तनाव की वजह से होता है। इसके लिए सुबह पांच से छह बजे के धूप लें। आराम मिलेगा।

    - मां को रात में अचानक से कमरे से तेज आवाज महसूस होती है, परिवार के लोग उन्हें अपशब्द कह रहे हैं। -- कौशल, कबीरनगर

    - यह मानसिक बीमारी का एक लक्षण है। इसमें मरीज की काउंसिलिंग की जाती है। इससे आराम नहीं मिलता है तो दवा दी जाती है। 15 दिन बाद से मरीज को आराम महसूस होगा, लेकिन सात से आठ महीने तक लगातार उपचार चलेगा।

    -- मेरा आठ साल का बच्चा है, वह मोबाइल बहुत देखता है। -- मनोज, सुहागनगर, राहुल हुंडावाला बाग

    -- इसके लिए जरूरी है कि बच्चे को माता-पिता समय दें। बच्चे के सामने खुद भी अधिक मोबाइल न चलाएं। उसे बाहरी गतिविधियों जैसे पार्क में घूमाने ले जाएं। खाली समय उससे बातचीत करें। बच्चे का ध्यान मोबाइल पर न जाएं इसका ध्यान रखना है।

    जागरण के पांच प्रश्न

    1- न्यूरोलाजिस्ट, न्यूरोसर्जन और न्यूरो साइकियाट्रिस्ट में क्या अंतर है।

    - न्यूरोलाजिस्ट ब्रेन में ट्यूमर, गांठ बनने, नस दबने आदि का उपचार करते हैं। न्यूरो साइकियाट्रिस्ट डिप्रेशन, नींद न आना, तनाव, सिरदर्द का उपचार करते हैं। सर्जरी की जरूरत हो तो वहां न्यूरोसर्जन के पास जाना चाहिए।

    2-कोई भी व्यक्ति मानसिक बीमारी से पीड़ित है यह कैसे पता चलेगा।

    -- यह लक्षण के आधार पर पता चलता है। जैसे अचानक से कोई अधिक पैसे खर्च करने लगे। अनावश्यक शक करना। जल्दी किसी बात पर क्रोधित हो जाना। अचानक से गलत गतिविधियों जैसे जुआ खेलना, नशा करने लगना भी मानसिक बीमारी है।

    3. मानसिक बीमारी का क्या कारण होता है?

    -कुछ मामलों में यह वंशानुगत होता है, लेकिन अधिकतर मामलों में तनाव इसकी मुख्य वजह है। मानसिक बीमारी के तीन अहम कारण है पहला है तनाव, दूसरा नशा और तीसरा नींद का पूरा न होना।

    4. सेक्स से जुड़ी समस्या को लेकर लोग भ्रमित रहते हैं, लोगों को लगता है कि उन्हें कुछ समस्या है।

    -नीम, हकीम और बाबाओं ने भ्रमित कर रखा है। कम से कम शादी से पहले तो यह कोई बीमारी नहीं होती है, केवल मानसिक भ्रम होता है। इसे यह भी कह सकते हैं कि जानकारी का अभाव है।

    5.अक्सर किशोर और युवा गलत कदम उठा लेते हैं, इसकी क्या वजह है।

    - जब किशोरावस्था से युवा अवस्था की तरफ बढ़ते है तो तेजी से हार्मोन में बदलाव होते हैं। शरीर में पैदा होने वाली इस ऊर्जा का इस्तेमाल अगर सकारात्मक चीजों में करते हैं तो इसके बेहतर परिणाम मिलते हैं। नकारात्मक में लगाते है तो गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं। जीवन की इस अवधि में स्वजन को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए।