अमृत सरोवर पर सावन में लगेंगे झूले, महिलाएं गाएंगी गीत
सिंहपुर की ग्राम प्रधान ने बनाया प्रस्ताव महिलाएं उत्साहित अमृत सरोवर योजना में चयनित तालाबों पर शुरू हुआ काम। ...और पढ़ें

जागरण टीम, फिरोजाबाद: एका ब्लाक के गांव सिंहपुर में अपनी पहचान खोता जा रहा तालाब अमृत सरोवर बनने के बाद पुरानी परंपराओं को संजोने का माध्यम बनेगा। गांव की महिला प्रधान ने सावन में तालाब के किनारे झूले लगवाने की योजना बनाई है। जिन पर महिलाएं और युवतियां सावन के गीत गाते हुए प्रकृति का आनंद लेंगी।
सिंहपुर गांव में एससी समाज की बस्ती में छह बीघा तालाब के लिए जमीन थी, लेकिन तालाब के नाम पर यह गंदे पानी का गड्ढा बन गया था। अब इसकी किस्मत बदल जाएगी। यह अमृत सरोवर के रूप में विकसित हो रहा है। मनरेगा मजदूर यहां काम कर रहे हैं और गंदे पानी को निकालकर अब तालाब की खोदाई शुरू हो गई है। ग्राम प्रधान चंद्रप्रभा ने बताया कि तालाब में जल प्रवेश और निकासी के लिए पांच-पांच मीटर तक पक्की नालियां बनेंगी और चारों तरफ हरियाली होगी। हमारी योजना है कि तालाब किनारे सावन में महिलाओं के लिए झूल लगवाए जाएंगे, जिससे महिलाएं हरे भरे प्राकृतिक माहौल में सावन के गीतों पर झूले का आनंद ले सकेंगी।
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शंकरपुर में अभी शुरू नहीं हुआ काम
सदर ब्लाक की यमुना किनारे की ग्राम पंचायत शंकरपुर में भी अमृत सरोवर बनना है। इसके लिए तालाब का चयन हो गया है, लेकिन अभी तक इस पर काम शुरू नहीं हो पाया है। पंचायत सचिव का तबादला होने के बाद काम शुरू होने में अभी एक सप्ताह का समय और लगने का अंदाजा लगाया जा रहा है।
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हमारे गांव में तालाब के नाम पर गंदे पानी का गड्ढा था। बारिश में तालाब उफनता था और गर्मी के मौसम में यहां मच्छर पनपते थे, जिससे गांव में बीमारियां फैलने का खतरा मंडराता रहता था। इसके अमृत सरोवर बनने से ग्रामीणों को इस समस्या से निजात मिलेगी।
- सुरेंद्र कुमार, सिंहपुर एका - गांव के तालाब को अमृत सरोवर बनाने की योजना से हम सब उत्साहित हैं। उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब काम पूरा होगा। हरियाली होगी, बुजुर्ग टहलेंगे और बच्चे झूला झूलेंगे। तालाब शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मददगार होगा।
- मोहन कुमार, बामई सिरसागंज गांव के तालाब में गंदा पानी इकट्ठा होता था। लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था, जिससे तालाब नजर नहीं आता था। अब अमृत सरोवर योजना से तालाब का सुंदरीकरण होगा तो यह गांव के लिए पिकनिक स्पाट बन जाएगा। इससे अच्छा और क्या हो सकता है।
- मलखान सिंह, नगला सामंती एका - अभी तक गांव में टहलने का मतलब खेतों में घूमकर आना होता था। अब हमारे गांव को भी शहरों की तरह ऐसा स्थान मिलेगा जहां हम आराम से प्रकृति के साए में टहल सकेंगे। गांव के बुजुर्ग कहते है कि वह सौभाग्यशाली है कि गांव में कुछ ऐसा परिवर्तन होते देख पाएंगे
- नितिन कुमार, बामई सिरसागंज

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