बीमा पालिसी के नाम पर करते थे ठगी, सात दबोचे
सोनीपत का अमित है गिरोह का सरगना अन्य सदस्य अलग-अलग शहरों के बैंक खातो में साढ़े चार करोड़ के लेन-देन का ब्योरा मिला।

जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद: बीमा पालिसी नवीनीकरण या सरेंडर के नाम पर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। गिरोह के सात सदस्य दबोच लिए। इनके पास से दो कार, 18 मोबाइल और 7.30 लाख रुपये बरामद हुए हैं। शातिरों के अलग-अलग बैंक खातों में 4.50 करोड़ के ट्रांजेक्शन का पता चला है।
जवाहर नवोदय विद्यालय सिरसागंज की उप प्राचार्य दिव्या सक्सेना से इंश्योरेंस पालिसी बंद कराने के नाम पर पिछले साल नौ लाख रुपये ठग लिए थे। दिव्या ने मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने शनिवार रात हाईवे स्थित सिरसागंज के नगला राधे मोड़ से गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया। एसएसपी आशीष तिवारी ने रविवार को प्रेसवार्ता में बताया कि इस गिरोह ने दिव्या सहित कई दर्जन लोगों से बीमा पालिसी के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी स्वीकार की है। अभी तक की जांच में अलग-अलग बैंक खातों में साढ़े चार करोड़ के लेनदेन का विवरण मिला है। इनके पास बरामद डायरी में मोहाली (पंजाब) के प्रवीन कुमार से 1. 60 लाख की ठगी करने का जिक्र है। ये गिरोह बीमा कंपनियों आदि से डाटा चुरा लेता था। ये हुए गिरफ्तार:
सरगना अमित (गनौर, सोनीपत), दीपू (सेक्टर 39 नोएडा), रोशन (सलारपुर, गौतमबुद्ध नगर), आलोक (भंगेर, गौतमबुद्ध नगर), शिवम पाठक (ललितपुर), अमन (विधूना, औरैया) और विवेक गिरि (छपरा, बिहार)। ये हैं फरार
अभिषेक, श्वेता (निवासीगण नाहन, हिमाचल प्रदेश), अनिल लोनी और प्रिस (सलारपुर, गौतमबुद्ध नगर)।
अमित ने नोएडा में खोला था काल सेंटर
एसएसपी ने बताया कि अमित 2017 से 2019 तक कई इंश्योरेंस कंपनियों के काल सेंटरों पर काम कर चुका है। इस दौरान उसने डाटा चुरा लिया था। इसके बाद दीपू, प्रिस, श्वेता व अभिषेक के साथ नोएडा के सेक्टर दो में काल सेंटर खोल लिया। दीपू और उसका भाई प्रिस अपने दोस्त अनिल से दो-दो हजार रुपये में सिम खरीदते। अभिषेक और श्वेता इस सेंटर पर कालर्स की भर्ती करते। उन्हें ठगी के रुपयों में से 10 फीसद का भुगतान वेतन के रूप में दिया जाता था। ग्राहक सेवा केंद्रों से थी मिलीभगत
शिवम पाठक ग्राहक सेवा केंद्र संचालकों से मिलीभगत कर जन धन योजना के फर्जी खाते खुलवाता था। धोखाधड़ी की रकम इन्हीं खातों में जमा कराई जाती थी। इसके एवज में केंद्र संचालकों को जमा राशि पर 15 फीसद का भुगतान होता था। इस काम में रोशन, अमन, विवेक व आलोक मदद करते थे।
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