फुटकर बाजार में सब्जी के दोगुना भाव
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: बड़े नोटों की बंदी से धड़ाम हुए सब्जी कारोबार में भी फुटकर विक्रेताओं की च
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: बड़े नोटों की बंदी से धड़ाम हुए सब्जी कारोबार में भी फुटकर विक्रेताओं की चांदी रहे है। थोक मंडी में माटी मोल बिक रही सब्जी के भाव शहर के अंदर आते-आते दोगुने तक पहुंच जाते हैं। इससे आर्थिक तंगी में ग्राहकों की जेब पर दोहरा बोझ पड़ रहा है। शहर के पॉश इलाकों में सब्जी के भाव में ज्यादा अंतर देखने को मिलता है। इन इलाकों की महिलाएं सब्जी का भाव पता न होने से मनमानी दरों पर खरीददारी को मजबूर हैं।
वैसे तो सर्दी के मौसम में सब्जी की आवक ज्यादा होने से भाव अक्सर कम हो जाते हैं, लेकिन इस बार पांच सौ और हजार के नोट बंदी के कारण सब्जी के भाव समय से पहले ही नीचे आ गए हैं। थोक मंडी में सब्जी की भरमार होने और खरीदारी कम होने से किसान परेशान हैं। इससे वह औने पौने दामों में सब्जी बेचने को मजबूर हो रहे हैं। इसका पूरा फायदा फुटकर विक्रेता उठा रहे हैं। कोटला रोड स्थित मंडी से खरीदी गई सब्जी का भाव बाजार आते-आते दोगुना तक पहुंच जाते हैं। रेहड़ी वाले गली मुहल्लों में घूमकर जहां मनमाने रेट पर सब्जी बेच रहे हैं। वहीं शहर के कई इलाकों में सब्जी की दुकाने सजाए बैठे दुकानदार भी इसका फायदा उठा रहे हैं। जैन नगर में सजी सब्जी की दुकानों के भाव भी दोगुने से ज्यादा लिए जाते हैं, तो आर्य नगर, तिलक नगर, सुहाग नगर आदि मुहल्लों में सब्जी वालों के भाव दोगुने से ज्यादा वसूले जाते हैं। आर्य नगर पॉश इलाका माना जाता है। यहां के परिवार मंडी जाने की बजाए घर के बाहर घूमने वाले रेहड़ी वालों से सब्जी खरीदते हैं। सब्जी वाले उनसे मनमाना भाव वसूल कर लेते हैं। कई फुटकर दुकानदारों का कहना है कि मंडी से शहर तक सब्जी लाने का भाड़ा और दिनभर रेहड़ी चलाने के कारण भाव में अंतर करना ही पड़ेगा, ताकि उनके परिवार का गुजारा हो सके। नाम न छापने की शर्त पर एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि वह 8 साल से सब्जी बेच रहा है। 4 बच्चों समेत 6 लोगों का परिवार है। सब्जी बेचकर ही वह बच्चों की पढ़ाई और खर्च चला रहा है।
बाजार जाने का समय नहीं मिलता
हम लोगों को कभी मंडी जाने का समय नहीं मिल पाता। घर के बाहर ही रेहड़ी वालों से सब्जी खरीद लेती हूं। मंडी न जाने से उन्हें भाव पता नहीं होते। सब्जी वाला जो भाव बताता है, उसे भुगतान करना पड़ता है। घर के पुरुष भी कभी थोक मंडी नहीं जाते। इससे उन लोगों को किसी भी मौसम में सब्जी के सही भाव की जानकारी नहीं हो पाती।
- रेनू ¨सह, मोहन नगर।
घर के पुरुष खरीदते हैं सब्जी
वैसे तो हमारे परिवार के पुरुष ही बाजार से सब्जी खरीद लाते हैं। कभी-कभी घर के बाहर रेहड़ी वालों से सब्जी खरीदनी पड़ती है। उन्हें सब्जी वाला जो भाव बताता है, उसे भुगतान करना पड़ता है। भाव का पता न होने से वह सब्जी वालों से बहस भी नहीं कर पाती, लेकिन कभी यह अहसास होता है कि रेहड़ी वाला ज्यादा पैसे मांग रहा है। जब वह मोलभाव करती हैं तो सब्जी वाला दुनिया के खर्च गिना देता है।
-अनुपम वर्मा, तिलकनगर।
सब्जी के भाव प्रति किलो
सब्जी- थोक रेट फुटकर रेट
आलू नया 12 रुपय 20 रुपये
आलू पुराना 6 रुपये 15 रुपये
टमाटर 12 रुपये 20 रुपये
शिमला मिर्च 18 रुपये 30 रुपये
¨भडी 20 रुपये 30 रुपये
हरी मिर्च 8 रुपये 15 रुपये
गोभी 5 रुपये 10 रुपये
बैंगन 6 रुपये 15 रुपये
हरी धनियां 10 रुपये 20 रुपये।
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